Author: Team Bhaktisatsang

भक्ति सत्संग वेबसाइट ईश्वरीय भक्ति में ओतप्रोत रहने वाले उन सभी मनुष्यो के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिन्हे अपने निज जीवन में सदैव ईश्वर और ईश्वरत्व का एहसास रहा है और महाज्ञानियो द्वारा बतलाये गए सत के पथ पर चलने हेतु तत्पर है | यहाँ पधारने के लिए आप सभी महानुभावो को कोटि कोटि प्रणाम

माँ शैलपुत्री मंत्र – Maa ShailPutri  Mantra नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। देवी, पर्वतों के राजा शैल की पुत्री थीं इसलिए इनका नाम शैलपुत्री रखा गया। मां प्रकृति की देवी हैं इसलिए नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री, देवी पार्वती का अवतार हैं। मां शैलपुत्री

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  भुवनेश्वरी ध्यानम् मंत्र उद्यद्दिनद्युतिमिन्दुकिरीटां तुङ्गकुचां नयनत्रययुक्ताम् । स्मेरमुखीं वरदाङ्कुशपाशां_ ऽभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम् ॥१॥ सिन्दूरारुणविग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौलिस्फुरत् । तारानायकशेखरां स्मितमुखीमापीनवक्षोरुहाम् ॥ पाणिभ्यामलिपूर्णरत्नचषकं संविभ्रतीं शाश्वतीं । सौम्यां रत्नघटस्थमध्यचरणां द्यायेत्परामम्बिकाम् ॥२॥

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मत्स्य पुराण हिंदी में – Matsya Puran in Hindi मत्स्य पुराण (Matsya Purana) अष्टादश पुराणों (18 Puran) में से एक मुख्य पुराण है। इसमें 14 हजार श्लोक एवं 291 अध्याय है। भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से सम्बद्ध होने के कारण यह पुराण मत्स्य पुराण कहलाता है। भगवान ने मत्स्यावतारी महात्म्य के द्वारा राजा वैवश्वत

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श्रीराम सहस्रनामस्तोत्र – Ram Sahastranaam Stotram श्रीराघवं दशरथात्मजमप्रमेयंसीतापतिं रघुकुलान्वयरत्नदीपम् आजानुबाहुमरविन्ददलायताक्षंरामं निशाचरविनाशकरं नमामि वैदेहीसहितं सुरद्रुमतले हैमे महामण्डपेमध्ये पुष्पकमासने मणिमये वीरासने सुस्थितम् अग्रे वाचयति प्रभञ्जनसुते तत्त्ं मुनिभ्यः परंव्याख्यान्तं भरतादिभिः परिवृतं रामं भजे श्यामलम् श्रीरामो रामभद्रश्च रामचन्द्रश्च शाश्वतः राजीवलोचनः श्रीमान् राजेन्द्रो रघुपुङ्गवः १ जानकीवल्लभो जैत्रो जितामित्रो जनार्दनः विश्वामित्रप्रियो दान्तः शत्रुजिच्छत्रुतापनः २ वालिप्रमथनो वाग्मी सत्यवाक् सत्यविक्रमः .सत्यव्रतो व्रतधरः सदा

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शनि अष्टोत्तरशतनामावलिः शनि बीज मन्त्र ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥ ॐ शनैश्चराय नमः ॥ ॐ शान्ताय नमः ॥ ॐ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः ॥ ॐ शरण्याय नमः ॥ ॐ वरेण्याय नमः ॥ ॐ सर्वेशाय नमः ॥ ॐ सौम्याय नमः ॥ ॐ सुरवन्द्याय नमः ॥ ॐ सुरलोकविहारिणे नमः ॥ ॐ सुखासनोपविष्टाय नमः ॥ ॐ सुन्दराय

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HANUMAN-SAHASSTRANAM

हनुमान सहस्त्र नामावली – Hanuman Sahasranamam हनुमत्सहस्त्रनाम (Hanuman Sahasranama) का वर्णन ‘बृहज्ज्योतिषार्णव ’ में किया गया है । सर्वप्रथम श्री रामचंद्रजी ने हनुमान सहस्त्रनाम (Lord Hanuman 1008 Names) से हनुमानजी की स्तुति की थी । हनुमान जी को अपना इष्ट देव मानने वालो को हनुमत्-सहस्त्रनाम का पाठ प्रतिदिन करना चाहिये । इस सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ जो मनुष्य करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। हनुमत्सहस्त्र नामावलीविनियोग ॐ अस्य श्रीहनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्रमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः हनुमान देवता, अनुष्टुप छन्द, ह्रां बीजं श्रीं शक्ति, श्रीहनुमत्प्रीत्यर्थंतद्सहस्त्रनामभिरमुकसंख्यार्थ पुष्पादिद्रव्य समर्पणे विनियोगः। ध्यानः ध्यायेद् बालदिवाकरद्युतिनिभ देवारिदर्पापहंदेवेन्द्रमुखप्रशा्तयकसं देदीप्यमान रुचा। सुग्रीवादिसमतवानरयुतं…

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अग्नि पुराण – Agni Puran In Hindi अग्नि पुराण ज्ञान का विशाल भण्डार है। स्वयं अग्निदेव ने इसे महर्षि वसिष्ठ को सुनाते हुए कहा था – आग्नेये हि पुराणेऽस्मिन् सर्वा विद्या: प्रदर्शिता: अर्थात ‘अग्नि पुराण’ में सभी विद्याओं का वर्णन है। आकार में लघु होते हुए भी विद्याओं के प्रकाशन की दृष्टि से यह पुराणअपना विशिष्ट महत्त्व रखता है। इस

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108 उपनिषद के नाम – 11 मुख्य उपनिषद हिन्दू धर्म के अनुसार कुल मिलाकर 108 उपनिषद् वर्णित है, यह सारे उपनिषद वास्तविक रूप से हिन्दू धर्म की दार्शनिक अवधारणा एवं विचारो का अद्भुत संग्रह है, जो अत्यंत प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ है | इन उपनिषदों में बौद्ध धर्म, जैन धर्म एवं सिख धर्म के बारे

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गृह निर्माण, नींव पूजन, नींव भराई, नींव की खुदाई, नींव की भराई, नींव खोदने के लिए दिशा-विचार, गृह निर्माण में वास्तु विचार,  गृह निर्माण में दिशा-विचार, नींव खुदाई से पहले दिशा की जानकारी कौन सी दिशा से शुरू करें और कौन सी दिशा से भराई करें, वास्तु पुरुष दिशा, वास्तुशास्त्र घर निर्माण, Grih aarambh kab kare नीव भराई से गृह

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वामन पुराण Pdf – Vamana Purana in Hindi वामन पुराण’ (Vaman Puran) नाम से तो वैष्णव पुराण लगता है, क्योंकि इसका नामकरण विष्णु के ‘वामन अवतार’ के आधार पर किया गया है, परन्तु वास्तव में यह शैव पुराण है। इसमें शैव मत का विस्तारपूर्वक वर्णन प्राप्त होता है। यह आकार में छोटा है। कुल दस हज़ार श्लोक इसमें

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