वेद – Vedas in Hindi
वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। सामान्य भाषा में वेद का अर्थ है “ज्ञान” वस्तुत: ज्ञान वह प्रकाश है जो मनुष्य-मन के अज्ञान-रूपी अन्धकार को नष्ट कर देता है। वेद दुनिया के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों को इतिहास का ऐसा स्रोत कहा गया है जो पोराणिक ज्ञान-विज्ञान का अथाह भंडार है। वेद शब्द संस्कृत के विद शब्द से निर्मित है अर्थात इस एक मात्र शब्द में ही सभी प्रकार का ज्ञान समाहित है। प्राचीन भारतीय ऋषि जिन्हें मंत्रद्रिष्ट कहा गया है |
उन्हें मंत्रो के गूढ़ रहस्यों को ज्ञान कर, समझ कर, मनन कर उनकी अनुभूति कर उस ज्ञान को जिन ग्रंथो में संकलित कर संसार के समक्ष प्रस्तुत किया वो प्राचीन ग्रन्थ (Hindu Religious Books) “वेद” कहलाये। एक ऐसी भी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है। इस जगत, इस जीवन एवं परमपिता परमेश्वर; इन सभी का वास्तविक ज्ञान “वेद” है।
वेद क्या हैं | What Are The 4 Vedas
वेद प्राचीन भारत में रचित विशाल ग्रन्थ हैं | इनकी भाषा संस्कृत है जिसे ‘वैदिक संस्कृत’ कहा जाता है | वेद हिन्दुओ के धर्मग्रन्थ भी हैं | वेदों को ‘अपौरुषे’ (miraculous जिसे कोई व्यक्ति न कर सकता हो) माना जाता है तथा ब्रह्मा को इनका रचयिता माना जाता है |
वेद भारतीय संस्कृति के वे ग्रन्थ हैं, जिनमे ज्योतिष (Astrology) गणित, विज्ञान, धर्म (Religion) ओषधि, प्रकृति, खगोल शास्त्र आदि लगभग सभी विषयों से सम्बंधित ज्ञान का भंडार भरा पड़ा है।वेद हमारी भारतीय संस्कृति की रीढ़ हैं। इनमे अनिष्ट से सम्बंधित उपाय तथा जो इच्छा हो उसके अनुसार उसे प्राप्त करने के उपाय संग्रहीत हैं। लेकिन जिस प्रकार किसी भी कार्य में महनत लगती है, उसी प्रकार इन रत्न रूपी वेदों का श्रमपूर्वक अध्यन करके ही इनमे संकलित ज्ञान को मनुष्य प्राप्त कर सकता है ।
प्रश्न – चार वेद किसने लिखे
वैसे तो परमपिता ब्रह्मा को इनका रचयिता माना जाता है परन्तु द्वापरयुग की समाप्ति के समय श्रीकृष्ण द्वैपायन वेदव्यास जी ने यज्ञानुष्ठान के उपयोग को दृष्टिगत उस एक वेद के चार विभाग कर दिये और इन चारों विभागों की शिक्षा चार शिष्यों को दी |
प्रश्न – चार वेदों के नाम | Name of 4 Vedas
ये ही चार विभाग ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के नाम से प्रसिद्ध है | पैल, वैशम्पायन, जैमिनि और सुमन्तु नामक – चार शिष्यों को क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की शिक्षा दी | वेद का पद्य भाग – ऋग्वेद, अथर्ववेद, वेद का गद्य भाग – यजुर्वेद , वेद का गायन भाग – सामवेद है |
अथर्ववेद
वेद मंत्रो का संकलन और वेदों की संख्या
ऐसी मान्यता है की वेद प्रारंभ में एक ही था और उसे पढने के लिए सुविधानुसार चार भागो में विभग्त कर दिया गया। ऐसा श्रीमदभागवत में उल्लेखित एक श्लोक द्वारा ही स्पष्ट होता है। इन वेदों में हजारों मन्त्र (Mantra) और रचनाएँ हैं जो एक ही समय में संभवत: नहीं रची गयी होंगी और न ही एक ऋषि द्वारा। इनकी रचना समय-समय पर ऋषियों द्वारा होती रही और वे एकत्रित होते गए। शतपथ ब्राह्मण के श्लोक (Shlok) के अनुसार अग्नि, वायु और सूर्य ने तपस्या की और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को प्राप्त किया।
प्रथम तीन वेदों को अग्नि, वायु और सूर्य से जोड़ा गया है। इन तीनो नामों के ऋषियों से इनका सम्बन्ध बताया गया है, क्योंकि इसका कारण यह है की अग्नि उस अंधकार को समाप्त करती है जो अज्ञान का अँधेरा है। इस कारण यह ज्ञान का प्रतीक बन गया है। वायु प्राय: चलायमान है, उसका काम चलना (बहना) है। इसका तात्पर्य है की कर्म अथवा कार्य करते रहना। इसलिए यह कर्म से सम्बंधित है। सूर्य सबसे तेजयुक्त है जिसे सभी प्रणाम करते हैं, नतमस्तक होकर उसे पूजते हैं। इसलिए कहा गया है की वह पूजनीय अर्थात उपासना के योग्य है। एक ग्रन्थ के अनुसार ब्रम्हाजी के चार मुखो से चारो वेदों की उत्पत्ति हुई।
वेदांग –
वेदों के अर्थ को अच्छी तरह समझने में वेदांग काफ़ी सहायक होते हैं | वेदांग शब्द से अभिप्राय है- ‘जिसके द्वारा किसी वस्तु के स्वरूप को समझने में सहायता मिले’ | वेदांगो की कुल संख्या 6 है, जो इस प्रकार है –
1) शिक्षा | Education , 2) कल्प | Eon, 3) व्याकरण | Grammar, 4) ज्योतिष | Astrology, 5) छन्द | Metre और 6) निरूक्त – ये छ: वेदांग है |
शिक्षा – इसमें वेद मन्त्रों के उच्चारण करने की विधि बताई गई है|
कल्प – वेदों के किस मन्त्र का प्रयोग किस कर्म में करना चाहिये, इसका कथन किया गया है|
व्याकरण – इससे प्रकृति और प्रत्यय आदि के योग से शब्दों की सिद्धि और उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित स्वरों की स्थिति का बोध होता है|
निरुक्त – वेदों में जिन शब्दों का प्रयोग जिन-जिन अर्थों में किया गया है, उनके उन-उन अर्थों का निश्चयात्मक रूप से उल्लेख निरूक्त में किया गया है|
ज्योतिष – इससे वैदिक यज्ञों और अनुष्ठानों का समय ज्ञात होता है| यहाँ ज्योतिष से मतलब `वेदांग ज्योतिष´ से है|
छंद – वेदों में प्रयुक्त गायत्री, उष्णिक आदि छन्दों की रचना का ज्ञान छंद शास्त्र से होता है|
छन्द को वेदों का पाद, कल्प को हाथ, ज्योतिष को नेत्र, निरुक्त को कान, शिक्षा को नाक, और व्याकरण को मुख कहा गया है|
उपवेद – हिंदू धर्म | Hindu Religion के चार मुख्य उपवेद माने गए | वेदों (अथर्ववेद, सामवेद, ऋग्वेद तथा यजुर्वेद) से निकली हुयी शाखाओं रूपी वेद ज्ञान को कहते हैं |
उपवेद भी चार हैं- 1) आयुर्वेद 2) धनुर्वेद 3) गन्धर्ववेद 4) स्थापत्यवेद |
1. ऋग्वेद~Rig Ved in hindi pdf
ऋग्वेद सबसे पहला वेद है। इसमें धरती की भौगोलिक स्थिति, देवताओं के आवाहन के मंत्र हैं। इस वेद में 1028 ऋचाएँ (मंत्र) और 10 मंडल (अध्याय) हैं। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना (Prayer), स्तुतियाँ (Stuti) और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है।
ऋग्वेद डाउनलोड करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करे : ऋग्वेद(पूर्ण) | Rig-Veda In Hindi
2. यजुर्वेद~Yajur Veda pdf
यजुर्वेद में यज्ञ की विधियाँ और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। इस वेद की दो शाखाएँ हैं शुक्ल और कृष्ण। 40 अध्यायों में 1975 मंत्र हैं।
यजुर्वेद डाउनलोड करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करे : यजुर्वेद(पूर्ण) | Yajur Veda in Hindi
3. सामवेद~Sam ved in hindi
साम अर्थात रूपांतरण और संगीत। सौम्यता और उपासना। इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं (मंत्रों) का संगीतमय रूप है। इसमें मूलत: संगीत की उपासना है। इसमें 1875 मंत्र हैं।
सामवेद डाउनलोड करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करे :- सामवेद(पूर्ण) | Sama Veda in HIndi
4. अथर्ववेद~Atharva Ved in hindi
इस वेद में रहस्यमय विद्याओं के मंत्र हैं, जैसे जादू, चमत्कार, आयुर्वेद (Ayurveda) आदि। यह वेद सबसे बड़ा है, इसमें 20 अध्यायों में 5687 मंत्र हैं।
अथर्ववेद डाउनलोड करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करे :- अथर्ववेद भाग 1 | अथर्ववेद भाग 2 | Artha Veda in HIndi
15 Comments
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thanks a lot ananad ji .. keep sharing and reading
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बहुत अच्छा लगा पढ़कर।
thanks avinash ji, plz share this site with your friends
बहुत ही अच्छा लगा है
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bahut sundar