Author: Team Bhaktisatsang

भक्ति सत्संग वेबसाइट ईश्वरीय भक्ति में ओतप्रोत रहने वाले उन सभी मनुष्यो के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिन्हे अपने निज जीवन में सदैव ईश्वर और ईश्वरत्व का एहसास रहा है और महाज्ञानियो द्वारा बतलाये गए सत के पथ पर चलने हेतु तत्पर है | यहाँ पधारने के लिए आप सभी महानुभावो को कोटि कोटि प्रणाम

मोती रत्न – चन्द्रमा को बल और मानसिक शांति का सर्वोत्तम उपाय वैदिक ज्योतिष के अनुसार चन्द्रमा का प्रत्येक कुंडली में विशेष महत्व है तथा किसी कुंडली में चन्द्रमा का बल, स्वभाव और स्थिति कुंडली से मिलने वाले शुभ या अशुभ परिणामों पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। चन्द्रमा के बल के बारे में चर्चा

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माणिक्य रत्न – सूर्य को बल और उसका प्रतिनिधित्व करने वाला अनमोल रत्न आज के परिवेश में आमतौर पर हर व्यक्ति रत्नों (Gems) के चमत्कारी प्रभावों का लाभ उठा कर अपने जीवन को समृ्द्धिशाली व खुशहाल बनाना चाहता है. रत्न भाग्योन्नति में शीघ्रातिशीघ्र अपना असर दिखाते हैं. रत्न समृ्द्धि व ऎश्वर्य के भी प्रतीक होते

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हाथ मे बने चिन्ह – स्टार, आइलैंड, क्रॉस का रहस्य इस दुनियां में जो व्यक्ति जन्म लेता है उनका भाग्य ईश्वर जन्म के साथ ही निर्धारित कर देता है। ईश्वर हर व्यक्ति के साथ उसकी जन्म कुण्डली स्वयं तैयार करके हाथों में थमा देता है। आपके हाथों में खींची आडी तीरछी रेखाएं और विभिन्न चिन्ह

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चिंतपूर्णी माता – Chintpurni Mata नौ देवियों में से पांच देवियो के मंदिर हिमाचल प्रदेश में ही स्थित हैं। इनमें माता चिंतपूर्णी के बारे में कहा जाता है कि वे मन की हर तरह की चिंता को दूर कर सुख प्रदान करती हैं। वे पहाड़ों की नौ देवियों और देश के 51 शक्तिपीठ में से

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कर्मयोग | karma yoga “अनासक्त भाव से कर्म करना”। कर्म के सही स्वरूप का ज्ञान। कर्मयोग दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘कर्म’ तथा ‘योग’ । कर्मयोग के सन्दर्भ ग्रन्थ – गीता, योगवाशिष्ठ एवं अन्य। 1. कर्मों का मनोदैहिक वर्गीकरण  कर्म से तात्पर्य है कि वे समस्त मानसिक एवं शारीरिक क्रियाएँ । ये क्रियाएँ

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मुण्डकोपनिषद – Mundakopnishad Pdf मदकू द्वीप मुण्डकोपनिषद के रचयिता ऋषि माण्डूक्य की तप स्थली रही है। यही पर उन्होंने इसकी रचना करी थी, मुण्डकोपनिषद अथर्ववेद की शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर-ब्रह्म ‘ॐ: का विशद विवेचन किया गया है। इसे ‘मन्त्रोपनिषद’ नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक

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लाल किताब अनुसार शकुन – अपशकुन टोटके  शकुन-अपशकुन की अवधारणा हमारे भारतवर्ष में प्राचीन समय से ही रही है। आज के वैज्ञानिक युग में आदमी चांद, मंगल और शुक्र ग्रह पर नई दुनिया बसाने की सोच रहा है, ऐसे में शकुनों तथा अपशकुनों पर विश्वास करना कुछ उचित नहीं लगता, फिर भी समाज का शायद ही

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Kundalini Shakti – कुण्डलिनी शक्ति  कुण्डलिनी योग (Kundalin Yoga) के अंतर्गत कुण्डलिनी शक्ति (Kundalini Shakti) का शक्तिपात विधान से कुण्डलिनी चक्र (Kundalini Chakra) जागरण का वर्णन अनेक ग्रंथों में मिलता है । कुण्डलिनी जागरण साधना (Kundalini Awakening) को अनेक स्थानों पर षट्चक्र वेधन की साधना (Kundalini Jagran) भी कहते हैं । पंचकोशी साधना या पंचाग्नि

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यात्रा रेखा – Yatra Rekha in Hindi अगर आप विदेश यात्रा पर जाने की सोच रहे हैं तो आपकी चाहत पूरी हो सकती है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपकी कुण्डली में विदेश यात्रा के योग (Foreign Travel Through Palmistry) मौजूद हों। वैसे आप चाहें तो अपनी हथेली देखकर भी यह जान सकते हैं

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