Upanishads

कठोपनिषद – नचिकेता और यमराज का संवाद

कठोपनिषद – Katha Upanishad कठोपनिषद (Kathopanishad PDF) कृष्ण यजुर्वेद शाखा का एक उपनिषद है जिनमें वाजश्रवा-पुत्र नचिकेता और यमराज के बीच संवाद हैं। कठोपनिषद (Katha Upanishad Hindi) के रचयिता कठ […]

ishavasya-upanishad

ईशावास्योपनिषद – आत्मा के स्वरूप का प्रतिपादन करता उपनिषद

ईशावास्योपनिषद – Ishavasya Upanishad ईशोपनिषद (Ishavasya Upanishad Pdf) शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। ईशावास्य उपनिषद् अपने नन्हें कलेवर के कारण अन्य उपनिषदों के बीच बेहद महत्त्वपूर्ण स्थान

शुक्ल यजुर्वेद के उपनिषद के अंतर्गत आने वाले उपनिषद

शुक्ल यजुर्वेद के उपनिषद इशावास्योपनिषद यजुर्वेद सहिंता के चालीसवें अध्याय को ईशावास्योपनिषद कहा जाता है। यह अत्यंत प्राचीन पद्यात्मक उपनिषद है। इस उपनिषद में त्यागपूर्ण भोग, कर्म की महत्ता, विद्या-अविद्या

kenopnishad

केनोपनिषद – ब्रह्म-चेतना जिज्ञासा को शांत करने वाला उपनिषद

केनोपनिषद – Kena Upanishad Kena Upnaishad PDF- केनोपनिषद में चार खण्ड हैं। प्रथम और द्वितीय खण्ड में गुरु-शिष्य की संवाद-परम्परा द्वारा उस (केन) प्रेरक सत्ता की विशेषताओं, उसकी गूढ़ अनुभूतियों

उपनिषद – वैदिक दर्शन के प्रतिपादक ग्रन्थ

उपनिषद – Upanishad Pdf Upanishad Meaning : उपनिषद वैदिक दर्शन के प्रतिपादक ग्रन्थ हैं। वैदिक साहित्य में सबसे अंत में परिगणित होने के कारण तथा उच्च दार्शनिक चिंतन के कारण

बृहदारण्यकोपनिषद – प्रलय के बाद ‘सृष्टि की उत्पत्ति’ का वर्णन करता उपनिषद

बृहदारण्यकोपनिषद – Brihadaranyaka Upanishad बृहदारण्यक उपनिषद (Brihadaranyaka Upanishad Pdf) शुक्ल यजुर्वेद की काण्व-शाखा के अन्तर्गत आता है। ‘बृहत’ (बड़ा) और ‘आरण्यक’ (वन) दो शब्दों के मेल से इसका यह ‘बृहदारण्यक’

श्वेताश्वतरोपनिषद – जगत का मूल कारण और उत्पत्ति को दर्शाता उपनिषद

कृष्ण यजुर्वेद शाखा के इस उपनिषद में छह अध्याय हैं। इनमें जगत का मूल कारण, ॐकार-साधना, परमात्मतत्त्व से साक्षात्कार, ध्यानयोग, योग-साधना, जगत की उत्पत्ति, संचालन और विलय का कारण, विद्या-अविद्या,

सामवेदोपनिषद – साम के भेदों और ॐ की उत्पत्ति का वर्णन करता उपनिषद

सामवेद के उपनिषद छान्दोग्योपनिषद  यह अत्यंत प्राचीन उपनिषद है। तलवकार शाखा के छान्दोग्य ब्रह्मण के अंतिम ८ अध्याय इस उपनिषद के रूप में प्रसिद्द है। यह विशालकाय प्राचीन गद्यात्मक उपनिषद

तैत्तिरीय उपनिषद

कृष्ण यजुर्वेद शाखा का यह उपनिषद तैत्तिरीय आरण्यक का एक भाग है। इस आरण्यक के सातवें, आठवें और नौवें अध्यायों को ही उपनिषद की मान्यता प्राप्त हैं इस उपनिषद के

Chandogya Upanishad

छान्दोग्य उपनिषद – ॐ कार को सर्वोत्तम रस मानने वाला

छान्दोग्य उपनिषद – Chandogya Upanishads Chandogya Upanishad Hindi : सामवेद की तलवकार शाखा में इस उपनिषद को मान्यता प्राप्त है। छान्दोग्य उपनिषद (Chandogya Upanishad Pdf) मे दस अध्याय हैं। इसके

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