मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग / श्रीशैलम – Mallikarjuna Jyotirlinga / Srisailam
आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। अनेक धर्मग्रन्थों में इस स्थान की महिमा बतायी गई है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से दूसरे स्थान पर है और देवी पार्वती के 51 शक्ति पीठो में से एक है। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। कुछ ग्रन्थों में तो यहाँ तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से दर्शको के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते हैं, उसे अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है और आवागमन के चक्कर से मुक्त हो जाता है।
मल्लिकार्जुन मंदिर – Mallikarjuna Temple
यहाँ भगवान शिव की पूजा मल्लिकार्जुन के रूप में की जाती है और लिंग उनका प्रतिनिधित्व करता है। देवी पार्वती को भ्रमराम्बा की उपाधि दी गयी है। भारत का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसे ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों की उपमा दी गयी है। दक्षिण भारत के दूसरे मंदिरों के समान यहाँ भी मूर्ति तक जाने का टिकट कार्यालय से लेना पड़ता है। पूजा का शुल्क टिकट भी पृथक् होता है। यहाँ लिंग मूर्ति का स्पर्श प्राप्त होता है। मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे पार्वती मंदिर है। इन्हें मल्लिका देवी कहते हैं। सभा मंडप में नन्दी की विशाल मूर्ति है।
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मंदिर के पूर्वद्वार से लगभग दो मील पर पातालगंगा है। इसका मार्ग कठिन है। एक मील उतार और फिर 852 सीढ़ियाँ हैं। पर्वत के नीचे कृष्णा नदी है। उसके समीप पूर्व की ओर एक गुफा में भैरवादि मूर्तियाँ हैं। यह गुफा कई मील गहरी कही जाती है। अब यात्री मोटर बस से 4 मील आकर कृष्णा में स्नान करते हैं। मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे पार्वती मंदिर है। इन्हें मल्लिका देवी कहते हैं। सभा मंडप में नन्दी की विशाल मूर्ति है।
श्रीशैलम मंदिर का पता – Srisailam Temple Address
मल्लिका देवी मंदिर – Mallika Devi
मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे माँ पार्वती जी का मंदिर है। जिसे मल्लिका देवी कहते हैं। वहीँ स्थित कृष्णा नदी में भक्तगण स्नान करते है और उसी जल को भगवन को चढ़ाते हैं। कहते हैं कि नदी में दो नाले मिलते हैं। जिसे त्रिवेणी कहा जाता है। वहीँ समीप में ही गुफा है जहाँ भैरवादि और शिवलिंग हैं।
मल्लिकार्जुन मंदिर से लगभग 6 मील की दूरी पर शिखरेश्वर और हाटकेश्वर मंदिर भी है। वहीँ से 6 मील की दूरी पर एकम्मा देवी का मंदिर भी है। ये सारे मंदिर घोर वन के बीच में स्थित हैं। इस स्थान के दर्शन करने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है और माँ पार्वती और शिव जी की कृपा बनी रहती है।
शक्तिपीठ – Shakti Peeth
श्रीसैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर 51 शक्ति पीठो में से एक है। दक्षयागा पौराणिक कथाओ और सति की स्वयं बंदी के परिणामस्वरूप सति देवी की जगह पर श्री पार्वती का उगम हुआ और उन्होंने ही शिव को अपना घरदार बनाया। यही पौराणिक कथाये शक्ति पीठ के उगम के पीछे की कहानी है। सति देवी की लाश जब भगवान शिव लेकर घूम रहे थे तभी आदिपराशक्ति की स्थापना की गयी। कहा जाता है की देवी सति के उपरी होंठ यहाँ गिरे थे।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास कहानी – Srisailam Mallikarjuna Jyotirlinga History Story in Hindi
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास – Mallikarjuna Jyotirlinga History
कुछ लोगो के अनुसार यहाँ सत्वहना साम्राज्य के रहने के भी कुछ पुख्ता सबुत मिले है और उनके अनुसार इस मंदिर की खोज दूसरी शताब्दी में की गयी थी।
मंदिर का ज्यादातर नवनिर्माण विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर ने करवाया था। मल्लिकार्जुन को दक्षिण का कैलाश कहते हैं। अनेक धर्मग्रन्थों में इस स्थान की महिमा बतायी गई है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कहानी – Mallikarjuna Jyotirlinga Story in Hindi
शिव महापुराण के अनुसार एकबार ब्रह्मा (सृष्टि के निर्माता) और विष्णु (सृष्टि के संरक्षक) के बीच सृजन की सर्वोच्चता को लेकर बहस छिड़ गयी। उनकी परीक्षा लेने के लिए शिवजी ने ब्रह्माण्ड को प्रकाश के अनंत पिल्लर से छेद कर दिया, जिसे ज्योतिर्लिंग का नाम दिया गया।
विष्णु और ब्रह्मा दोनों ही प्रकाश के अंत की खोज में निकल पड़े। ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने के बाद ब्रह्मा ने आकार झूट बोल दिया की उन्हें प्रकाश का अंत मिल गया है, जबकि विष्णु ने अपनी हार स्वीकार कर ली। जिसके बाद शिवजी ने ब्रह्मा को श्राप दिया की किसी भी उत्सव और धार्मिक कार्य में उन्हें स्थान नही दिया जाएंगा जबकि भगवान विष्णु को अनंत काल तक पूजा जाएंगा।
एक और कथा भी प्रचलित है। ऐसा भी कहा जाता है कि क्रौंच पर्वत के निकट ही किसी चन्द्रगुप्त नामक राजा की राजधानी थी। राजा की बेटी किसी संकट में फस गयी थी। समस्या के निवारण हेतु वह कन्या राजमहल छोड़कर पर्वत पर चली गयी थी।
वह पर्वत पर रहकर अपना जीवन – यापन करने लगी। उसके पास एक अत्यंत सुन्दर काले रंग की गाय थी। वह कन्या अपनी गाय को अत्यधिक प्रेम करती थी और सेवा भी करती थी। लेकिन प्रतिदिन कोई न कोई व्यक्ति उस गाय का दूध निकाल लेता था। उस कन्या को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा कौन कर रहा है।
एक दिन कन्या ने स्वयं अपनी आँखों से उस श्यामा गाय का दूध दुहते हुए किसी चोर को देखा। उस कन्या को अत्यधिक क्रोध आया और गुस्से से वे चोर के समीप पहुंची। लेकिन वहां कोई चोर नहीं था।
वे आश्चर्यचकित हो उठी क्योंकि वहां उनको एक शिवलिंग के दर्शन हुए। शिवलिंग के दर्शन करने से वे बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने उसी स्थान पर एक मंदिर बनवाया। वही शिवलिंग मंदिर आगे चलकर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग नाम से प्रसिद्ध हुआ।
श्रीशैलम मंदिर का समय – Srisailam Temple Timings
4.30 AM to 3.30 PM and 4.30 PM to 10.00 PM.
श्रीशैलम अभिषेकम समय – Srisailam Abhishekam Timings
- अभिषेक – गर्भगृह रु 5000.00 – 6:30 A.M to 8:00 P.M.
- अभिषेक – अकेले ( एक व्यक्ति ) रु 750.00 – सुबह 5:30 बजे, दोपहर 12:30 बजे, शाम 6:30 बजे।
- अभिषेक (वृद्धमालिकार्जुनस्वामी) रु 500.00 – 7:00 A.M से 1:00 P.M तक, शाम 6:30 PM से 8:30 PM ।
- अभिषेकम – कल्याणमंडपम रु 1500.00 – सुबह 5:30 बजे, दोपहर 12:30 बजे, शाम 6:30 बजे
श्रीशैलम मंदिर दर्शन – Srisailam Temple Darshan
Darshan Type | Ticket Cost | Persons Allowed |
Quick Darshan | Rs. 100 | One person or Couples |
Special Darshan Queue Line | Rs.50 | One Person |
Free Darshan (No ticket required, general queue) |
श्रीशैलम मंदिर दर्शन का समय – Srisailam Temple Darshan Timings
- 6:30 am – 1:00 pm 6:30 pm – 9:00 pm Rs. 100 One person or Couples
- 1.00 PM to 3.30 PM Alankara Darshanam
- 6:30 am – 1:00 pm 6:30 pm – 9:00 pm Rs.50 One Person
- Free Darshan (No ticket required, general queue) 6:00 am – 3:30 pm 6:00 pm – 10:00 pm
श्रीशैलम मंदिर पूजा – Srisailam Temple Pooja Details
- Abhishekam ( Garbhalayam)
- Abhishekm ( In Kalyana Mandapam)
- Single Abhisekam (In Kalyanamandapam)
- Abhisekam( To Sri Vrudhamallikarjunaswamy)
- Rudra Homam with Ganapathi Homam
- Ganapathi Abhisekam
- Mahanyasapurvaka Rudrabhisekam
- Gopuja
- Bhilwarchana
- Bilwarchana ( To Sri Vrudha Mallikarjunaswamy)
- Mruthyunjaya Homam
- Navagraha Homam
- Chandralingabhisekam
- Balarishtagraha Puja
- Sarpadosha Nivarana Puja
- Mahamruthyunjaya Abhishekam
- Sahasralingeswara swamy Abhisekam
- Surya Lingabhisekam
- Annaprasana
- Namakaranam
- BalaristaDosa Nivarana puja
- Siva Sahasranamam ( To Sri Vruddhamallikarjuna swamy)
- Kalyanam
- Ekantha Seva
- Pallaki Seva
- Vahana Seva
- Sarvaseva Pathakam ( Harathi, Abhisekam, Kunkumarchana,Chandi Homam, Rudra Homam and Kalyanam)
श्रीशैलम मंदिर पूजा का समय – Srisailam Temple Pooja Timings
4:30 am | 5:00 am | Mangalavadyams |
5:00 am | 5:15 am | Suprabhatam |
5:15 am | 6:30 am | Early Hours Pooja
Govu pooja Maha Mangala Harathi |
6:30 am | 1:00 pm | Sarva Darshan
Abhishekam Archana |
1:00 pm | 3:30 pm | Alankara Darshan |
4:30 pm | 4:50 pm | Mangalavadyams |
4:50 pm | 5:20 pm | Pradoshakaala Pooja |
5:20 pm | 6:00 pm | Susandhyam
Maha Mangala Harathi |
5:50 pm | 6:20 pm | Rajopachara pooja (Parakulu) to Bhramaramba Devi |
6:20 PM | 9:00 PM | Darshan
Abhishekam Archana |
9:00 PM | 10:00 PM | Sarva Darshan |
9:30 PM | 10:00 PM | Ekantha Seva |
10:00 PM | Temple closing Time |
श्रीशैलम मंदिर का ड्रेस कोड – Srisailam Temple Dress Code
पुरुष भक्त को धोवती और कंडुवा पहनना चाहिए और महिला भक्तों को चुन्नी के साथ साड़ी और ब्लाउज या सलवार कमीज पहनना चाहिए। पतलून / शर्ट / टी – शर्ट / हाफ पैंट / शॉर्ट स्कर्ट और तंग फिटिंग के कपड़े पहनने वाले तीर्थयात्रियों को राजगोपुरम में मंदिर के अनुसार मंदिर में प्रवेश करने के लिए ड्रेस बदलने के लिए कहा जाता है।
श्रीशैलम के पास घूमने के स्थान – Places To Visit Near Srisailam
- Patala Ganga
- Srisailam Tiger Reserve
- Mallikarjuna Swamy Temple
- Akkamahadevi Caves
- Srisailam Dam
- Shikaresvara Temple, Srisailam
- Hemareddy Mallamma Temple
- Lingala Gattu
- Bhramaramba Devi Temple
- Sakshi Ganapati Temple, Kurnool
- Chenchu Lakshmi Tribal Museum
- Hathakesvara Temple
श्रीशैलम कैसे पहुँचे – How To Reach Srisailam
श्रीशैलम रोड से – Srisailam by Road
आप देश के अन्य प्रमुख शहरों से श्रीशैलम के लिए आसानी से नियमित बसें प्राप्त कर सकते हैं, उसके बाद आप नेल्लोर, विशाखापत्तनम आदि स्थानों से टैक्सी ले सकते हैं।
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श्रीशैलम ट्रेन से – Srisailam by Train
श्रीशैलम में ट्रेन स्टेशन नहीं है। निकटतम विकल्प Cumbum है। वहाँ से श्रीशैलम 60 किमी दूर है।
श्रीशैलम फ्लाइट से – Srisailam by Air
देश के अन्य प्रमुख शहरों से श्रीशैलम के लिए नियमित उड़ानें नहीं हैं। निकटतम हवाई अड्डा राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (HYD), हैदराबाद, आंध्र प्रदेश है, जो की श्रीशैलम से 156 किमी दूर है।
श्रीशैलम जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Srisailam
श्रीशैलम जाने के लिए सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का मौसम है। तापमान सहज रहता है और दर्शनीय स्थलों के लिए उपयुक्त है। घूमने के लिए सबसे अच्छे महीने नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च हैं।