अध्यात्म

बृहदारण्यकोपनिषद – प्रलय के बाद ‘सृष्टि की उत्पत्ति’ का वर्णन करता उपनिषद

बृहदारण्यकोपनिषद – Brihadaranyaka Upanishad बृहदारण्यक उपनिषद (Brihadaranyaka Upanishad Pdf) शुक्ल यजुर्वेद की काण्व-शाखा के अन्तर्गत आता है। ‘बृहत’ (बड़ा) और ‘आरण्यक’ (वन) दो शब्दों के मेल से इसका यह ‘बृहदारण्यक’ […]

श्वेताश्वतरोपनिषद – जगत का मूल कारण और उत्पत्ति को दर्शाता उपनिषद

कृष्ण यजुर्वेद शाखा के इस उपनिषद में छह अध्याय हैं। इनमें जगत का मूल कारण, ॐकार-साधना, परमात्मतत्त्व से साक्षात्कार, ध्यानयोग, योग-साधना, जगत की उत्पत्ति, संचालन और विलय का कारण, विद्या-अविद्या,

सामवेदोपनिषद – साम के भेदों और ॐ की उत्पत्ति का वर्णन करता उपनिषद

सामवेद के उपनिषद छान्दोग्योपनिषद  यह अत्यंत प्राचीन उपनिषद है। तलवकार शाखा के छान्दोग्य ब्रह्मण के अंतिम ८ अध्याय इस उपनिषद के रूप में प्रसिद्द है। यह विशालकाय प्राचीन गद्यात्मक उपनिषद

भगवान शंकर के अवतार आदि शंकराचार्य

भगवान शंकर के अवतार आदि शंकराचार्य पूरा नाम – आदि शंकराचार्य जन्म– 788 ई. जन्म भूमि– कालडी़ ग्राम, केरल मृत्यु– 820 ई. मृत्यु स्थान– केदारनाथ, उत्तराखण्ड गुरु– गोविन्द योगी कर्म भूमि- भारत कर्म-क्षेत्र- दार्शनिक, संत, संस्कृत साहित्यकार मुख्य

सदगुरु ओशो – एक वैचारिक क्रांति

ओशो का परिचय देना आकाश को मुट्ठी में बांधने जैसा असंभव काम है… और किस ओशो का परिचय दिया जाए- मृण्मय दीपक का अथवा चिन्मय ज्योति का? चैतन्य की वह

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माता अमृतानंदमयी

माता अमृतानंदमयी दक्षिण भारत के केरल राज्य में मछुआरों की बस्ती में एक दरिद्र परिवार में जन्मीं माता अमृतानंदमयी मां ने वित्त मंत्री अरूण जेटली को ‘नमामी गंगे अभियान’ के

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सत्य साई बाबा जी

राजू से सत्यसाईं तक का सफर सत्य साईं बाबा के  बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुत्तपार्थी गांव में 23 नवंबर 1926 को

महर्षि भृगु

महात्मा महर्षि भृगु भार्गववंश के मूलपुरुष महर्षि भृगु जिनको जनसामान्य ॠचाओं के रचिता, भृगुसंहिता के रचनाकार, यज्ञों मे ब्रह्मा बनने वाले ब्राह्मण और त्रिदेवों की परीक्षा में भगवान विष्णु की

मोक्ष संन्यास योग – Moksha Sanyas Yoga – गीता अध्याय -18

गीता अध्याय मोक्ष संन्यास योग – Moksha Sanyas Yoga त्याग का विषय: अर्जुन उवाच सन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्‌ । त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन ॥  भावार्थ : अर्जुन बोले- हे महाबाहो!

श्रद्धात्रय विभाग योग – Shradhatray Vibhag Yoga- गीता अध्याय -17

गीता अध्याय -17 श्रद्धात्रय विभाग योग – Shradhatray Vibhag Yoga श्रद्धा का और शास्त्रविपरीत घोर तप करने वालों का विषय : अर्जुन उवाच ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः। तेषां निष्ठा तु

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