Author: Team Bhaktisatsang

भक्ति सत्संग वेबसाइट ईश्वरीय भक्ति में ओतप्रोत रहने वाले उन सभी मनुष्यो के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिन्हे अपने निज जीवन में सदैव ईश्वर और ईश्वरत्व का एहसास रहा है और महाज्ञानियो द्वारा बतलाये गए सत के पथ पर चलने हेतु तत्पर है | यहाँ पधारने के लिए आप सभी महानुभावो को कोटि कोटि प्रणाम

जानिए किस माह में जन्मे जातक कैसे होते है क्या आपका बर्थ डे जनवरी में है ?  जनवरी में जन्में युवा प्रखर होते हैं, आपका जन्म किसी भी साल के जनवरी माह में हुआ है तो एस्ट्रोलॉजी कहती है आप बेहद आकर्षक और प्रोफेशनल हैं। भाग्य का चमकीला सितारा हमेशा आपके साथ चलता है। आप अपने गम कभी किसी को नहीं बताते

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छान्दोग्योपनिषद – Chandogya Upanishad pdf सामवेद की तलवकार शाखा में इस उपनिषद को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही इस उपनिषद में लिये गये हैं। यह उपनिषद पर्याप्त बड़ा है। नाम के अनुसार इस उपनिषद का आधार ‘छन्द’ है, इसका यहाँ व्यापक अर्थ के रूप में प्रयोग किया गया

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Ashtanga Yoga By Patanjali – अष्टांग योग Ashtanga Yoga in Hindi- महर्षि पंतजलि ने आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की क्रिया को आठ भागों में बांटा। यही क्रिया अष्टांग योग (patanjali ashtanga yoga) के नाम से प्रसिद्ध है। आत्मा में बेहद बिखराव (विक्षेप) है जिसके कारण वह परमात्मा, जो आत्मा में भी व्याप्त है, की

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अनियमित जीवन शैली से उपजने वाले रोगों से जीवन प्रभावित तो होता ही है, मनुष्य के काम करने, पढ़ने लिखने और सोचने विचारने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। इन रोगों के अलावा कैंसर, हृदयाघात, गठिया, एड्स जैसी अन्य बीमारियां भी  को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि

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चेहरा देख कर पहचाने इंसान का चरित्र – Face Reading Tips  व्यक्ति का चेहरा एक खुली किताब होता है हम जब भी किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो सबसे पहले उसके चेहरे पर हमारी नजर जाती है। यदि उस समय चेहरे के खास अंगों की बनावट पर ध्यान दिया जाए तो तुरंत ही उस व्यक्ति

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कठोपनिषद – Katha Upanishad कठोपनिषद (Kathopanishad PDF) कृष्ण यजुर्वेद शाखा का एक उपनिषद है जिनमें वाजश्रवा-पुत्र नचिकेता और यमराज के बीच संवाद हैं। कठोपनिषद (Katha Upanishad Hindi) के रचयिता कठ नाम के तपस्वी आचार्य थे। वे मुनि वैशम्पायन के शिष्य तथा यजुर्वेद की कठशाखा के प्रवृर्त्तक थे। इसमें दो अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में

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ईशावास्योपनिषद – Ishavasya Upanishad ईशोपनिषद (Ishavasya Upanishad Pdf) शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। ईशावास्य उपनिषद् अपने नन्हें कलेवर के कारण अन्य उपनिषदों के बीच बेहद महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसमें कोई कथा-कहानी नहीं है केवल आत्म वर्णन है। इस उपनिषद् के पहले श्लोक ‘‘ईशावास्यमिदंसर्वंयत्किंच जगत्यां-जगत…’’ से लेकर अठारहवें श्लोक ‘‘अग्ने नय सुपथा

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शुक्ल यजुर्वेद के उपनिषद इशावास्योपनिषद यजुर्वेद सहिंता के चालीसवें अध्याय को ईशावास्योपनिषद कहा जाता है। यह अत्यंत प्राचीन पद्यात्मक उपनिषद है। इस उपनिषद में त्यागपूर्ण भोग, कर्म की महत्ता, विद्या-अविद्या का संबंध एवं परमात्मा का स्वरूप वर्णित है। इस पर सायन, अव्वट, महीधर एवं शंकराचार्य के भाष्य उपलब्ध है। वृह्दारन्याकोप्निषद शतपथ ब्रह्मण के अंतिम ६

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