Author: Team Bhaktisatsang

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पुत्र प्राप्ति के लिए गोपाल चालीसा pdf – Gopal Chalisa अगर आप बाल गोपाल जैसे नटखट पुत्र की कामना करती हैं या अपनी संतान को उन जैसा पराक्रमी और सभी कलाओ में सम्पन बनाना चाहती हैं तो संतान गोपाल पाठ, गोपाल चालीसा का पाठ करवाएं। ये पाठ आपके लिए वरदान सिद्ध होगा। इसकी महिमा का वर्णन धर्मशास्त्रों में भी मिलता है। गोपाल चालीसा के लाभ – santan gopal chalisa जो व्यक्ति श्री लड्डू गोपाल की विधिवत पूजा करता है और लड्डू गोपाल चालीसा (laddu gopal chalisa) का पाठ करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इसके साथ व्यक्ति…

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बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं – Banke Bihari Teri Aarti Gaun Lyrics मुरली मनोहर, बाल गोपाल, कान्हा, रास बिहारी और न जाने कितने नाम और उनकी लीलाएं है। जन्माष्टमी पर बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं (Banke Bihari Teri Aarti Gaun) का भी बड़ा महत्व है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान की आरती लेने से सारे विघ्न दूर किए जा सकते हैं. भगवान कृष्ण की आरती के बिना उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं lyrics – Shri Banke Bihari Teri Aarti Gaun Lyrics श्री बांकेबिहारी तेरी आरती गाऊं। कुंजबिहारी तेरी आरती गाऊ। श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊं।…

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आज दुनिया भर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा, श्री कृष्ण के जन्म को लेकर पर्व होगा और लोग व्रत रखेंगे। तरह-तरह के पकवान बनेंगे और भगवान को भोग लगाने के लिए मिठाइयां और प्रसाद बनाए जाएंगे। ऐसे में आपने भी पकवान और मिष्ठान की लंबी लिस्ट तैयार की होगी। अगर आपको अब तक समझ नहीं आ रहा है कि भगवान को क्या भोग लगाएं तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें। श्री कृष्ण को मक्खन मिश्री बहुत पसंद होती है इसलिए आप प्रसाद में इसे जरूर बनाएं। इसके अलावा आप प्रसाद में दो और चीजें बना सकती हैं। आइए…

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Krishna Janmashtami : जन्माष्टमी Janmashtami in Hindi – हिन्दू धर्म में उपासकों के लिए सबसे अहम पर्वों में से एक है कृष्ण जन्माष्टमी। यह तिथि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मतिथि के रूप में मनाई जाती है (Janmasthami Puja Vidhi) यह त्यौहार भाद्रपद में अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, ऐसा कहा जाता है की विष्णु के

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जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भादो की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विधि विधान से श्री कृष्ण का पूजन करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस दिन लोग लड्डू गोपाल का विधि विधान से पूजन करते हैं और उनका श्रृंगार करते हैं। इस दिन कान्हा को अलग -अलग भोग लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धा पूर्वक पूजन करता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन यदि इस दिन राशि के अनुसार पूजन किया जाता है तो लोगों को अवश्य लाभ होता है। आइए जानें जन्माष्टमी के दिन आप कैसे राशि के…

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तुलसी विवाह 2023 – तुलसी विवाह 2023 date and time आज आपको तुलसी विवाह की कहानी, तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त कब है और तुलसी विवाह कैसे करें, के साथ माँ वृंदा यानि तुलसी माता व श्रीहरी की कथा के बारे में बताएँगे। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन या देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधनी के दिन तुलसी विवाह का पर्व आयोजित किया जाता है। इस दिन तुलसी माता का विवाह शालिग्राम के साथ किया जाता है जिसके साथ माता वृंदा की कथा जुड़ी हुई है। तुलसी विवाह कथा | Tulsi Vivah Katha तुलसी (पौध)…

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शांति पाठ – Shanti Path in Hindi शांति पाठ श्लोक : शांती पाठ या शांति मंत्र (Shanti Path Lyrics) देवता से की जाने वाली प्रार्थना है। यह वैदिक शांति पाठ मंत्र प्रार्थना है जो यजुर्वेद से ली गई है। हिन्दू धर्म अनुसार जब भी कोई कार्य आरंभ करते हैं, तो उस कार्य की शुभता के लिए हम ईश्वर से प्रार्थना करतें है कि वह कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो, इसके लिए गणेशजी जिन्हें विघ्न विनाशक कहा गया है, की पूजा करके मंगल कामना करते है। उसी तरह प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान के विधिवत और शांतिपूर्वक सम्पूर्ण होने हेतु और वातावरण की सात्विकता…

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मूलाधार चक्र जागरण के लक्षण – Muladhara chakra activation symptoms मूलाधार चक्र (muladhara chakra activation) हिन्दू धर्म और योग शास्त्र में एक प्रमुख चक्र है जिसे जगह निकाय या कुंडलिनी शक्ति के संबंध में जाना जाता है। इस चक्र को शक्ति के ब्रह्मांडीकरण का मूल स्थान माना जाता है और यह सिरे के नीचे मूल स्थान पर स्थित होता है। मूलाधार चक्र के जागरण के कुछ लक्षण निम्नलिखित होते हैं: भयहीनता और संतुलन: मूलाधार चक्र के जागरण के समय, व्यक्ति में भय कम होता है और उसके भावनात्मक जीवन का संतुलन बढ़ता है। शारीरिक और मानसिक ऊर्जा: जब मूलाधार चक्र…

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हरियाली अमावस्या – Hariyali Amavasya हिन्दू धर्म में अमावस्या का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। अमावस्या के दिन हर व्यक्ति अपने पितरों को याद करते हैं और श्रद्धा भाव से उनका श्राद्ध भी करते हैं। अपने पितरों की शांति के लिए हवन आदि कराते हैं। ब्राह्मण को भोजन कराते हैं और साथ ही दान-दक्षिणा भी देते

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