योग निद्रा – Yoga Nidra
Yog Nidra in Hindi : योगासन अभ्यास शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाते हैं। योग निद्रा के कई लाभ (Yoga Nidra Benefits) है ये ऊर्जा को संरक्षित एवं समेकित करती हैं जिससे शरीर व मन को विश्राम मिलता है। योग निद्रा आपको प्राणायाम और ध्यान के लिए तैयार करती है। अतः यह आवश्यक हैं कि योगासन के पश्चात् आप उचित समय योग निद्रा (yoga nidra) के लिए रखे।
निद्रा का मतलब आध्यात्मिक नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है, सोने व जागने के बीच की स्थिति है। प्रारंभ में यह किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर करें तो अधिक लाभ होगा। योगनिद्रा द्वारा शरीर व मस्तिष्क स्वस्थ रहते हैं। यह नींद की कमी को भी पूरा कर देती है। इससे थकान, तनाव व अवसाद भी दूर हो जाता है। राजयोग में भी इसे प्रत्याहार कहा जाता है। जब मन इन्द्रियों से विमुख हो जाता है।
प्रत्याहार की सफलता एकाग्रता लाती है। योगनिद्रा में सोना नहीं है। योगनिद्रा द्वारा मनुष्य से अच्छे काम भी कराए जा सकते हैं। बुरी आदतें भी इससे छूट जाती हैं। योगनिद्रा का संकल्प प्रयोग पशुओं पर भी किया जा सकता है। खिलाड़ी भी मैदान में खेलों में विजय प्राप्त करने के लिए योगनिद्रा लेते हैं। योगनिद्रा 10 से 45 मिनट तक की जा सकती है।
योग निद्रा की विधि – How to do yoga nidra
अभ्यास के पूर्व पेट हल्का रखें। योगासन एवं योग निद्रा के पूर्व भर पेट भोजन नही करना चाहिए। योगनिद्रा प्रारंभ कर रहे हैं तो ध्यान रखें खुली जगह का चयन किया जाए। यदि किसी बंद कमरे में करते हैं तो उसके दरवाजे, खिड़की खुले रहना चाहिए।
Learn “Yoga Nidra Meditation” in 10 Simple Steps
- पीठ के बल शवासन में लेट जाएँ। नेत्र बंद कर विश्रामवस्था में आये। कुछ गहरी श्वाश लें और छोड़े। ध्यान रहे साधारण श्वाश लेना हैं, उज्जई नहीं।
- अब कल्पना करें कि आप समुद्र के किनारे लेटकर योगनिद्रा कर रहे हैं। आप के हाथ, पाँव, पेट, गर्दन, आँखें सब शिथिल हो गए हैं। अपने आप से कहें कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूँ। योगनिद्रा में अच्छे कार्यों के लिए संकल्प लिया जाता है। बुरी आदतें छुड़ाने के लिए भी संकल्प ले सकते हैं। योगनिद्रा में किया गया संकल्प बहुत ही शक्तिशाली होता है। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी साँस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा। अब अपने इष्टदेव का ध्यान करें और मन में संकल्प 3 बार बोलें।
- अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों (76 अंगों) पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। अपना ध्यान अपने दाहिने पंजे पर ले जाये।कुछ सेकंड तक यहाँ अपना ध्यान बनाये रखें। पंजों को विश्रामावस्था में लाये। इसके पश्चात अपना ध्यान क्रमशः दाहिने गुटने, दाहिने जंघा तथा दाहिने कूल्हे पर ले जाए। इसके पश्चात अपने पूरे दाहिने पैर के प्रति सचेत हो जाये।
- यही प्रक्रिया बाएं पैर में दोहराए। साथ ही सहज साँस लें व छोड़ें और ऐसा महसूस करे की समुद्र की शुद्ध वायु आपके शरीर में आ रही है व गंदी वायु बाहर जा रही है।
- अब अपना ध्यान शरीर के सभी भागों जननांग, पेट, नाभि और वक्ष में ले जाये।
- अपना ध्यान दाहिने कंधे, भुजा, हथेली, उंगलियो मेँ ले जाएं। अब हृदय के यहाँ देखिए हृदय की धड़कन सामान्य हो गई है। ठुड्डी, गर्दन, होठ, गाल, नाक, आँख, कान, कपाल सभी शिथिल हो गए हैं। अंदर ही अंदर देखिए आप तनाव रहित हो रहे हैं। सिर से पाँव तक आप शिथिल हो गए हैं। ऑक्सीजन अंदर आ रही है। कार्बन डाई-ऑक्साइड बाहर जा रही है। आपके शरीर की बीमारी बाहर जा रही है। अपने विचारों को तटस्थ होकर देखते जाइए। यही प्रक्रिया बाये कंधे, भुजा,हथेली, गर्दन एवं चेहरे और सिर के शीर्ष तक ले जाये।
- एक गहरी श्वास लें। अपने शरीर में तरंगो का अनुभव करें। कल्पना करें कि धरती माता ने आपके शरीर को गोद में उठाया हुआ है। कुछ मिनट इसी स्थिति में आराम करे।
- अपने मन को दोनों भौहों के बीच में लाएँ व योगनिद्रा समाप्त करने के पहले अपने आराध्य का ध्यान कर व अपने संकल्प को 3 बार अंदर ही अंदर दोहराए। लेटे ही लेटे बंद आँखों में तीन बार ओऽम् का उच्चारण करिए। फिर दोनों हथेलियों को गरम करके आँखों पर लगाएँ व पाँच बार सहज साँस लीजिए। अब अंदर ही अंदर देखिए आपका शरीर, मन व मस्तिष्क तनाव रहित हो गया है।
- अपने शरीर एवं आस-पास के वातावरण के प्रति सचेत हो जाये। दाहिने करवट ले के कुछ समय लेटे रहे। बाएं नासिका से श्वास बाहर छोड़े जिससे शरीर में ठंडेपन का अहसास होगा।
- अपना समय लेते हुए धीरे धीरे उठकर बैठे। जब आप आराम महसूस करे तो धीरे धीरे नेत्र खोलें।
Yoga Nidra Benefits – योग निद्रा के लाभ
- योगासन के पश्चात् शरीर को आराम देता हैं।
- शरीर का सामान्य तापमान बनाने में मदद करता है| योगासन के प्रभाव को अवशोषित करके तंत्रिका तंत्र को सक्रिय बनाता हैं।
- योगनिद्रा का प्रयोग रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, तनाव, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, अनिद्रा, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक बीमारियों, स्त्री रोग में प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभदायक है।