शिव प्रिय रूद्री पाठ के रहस्य – Shiv Rudri Path Secrets
शिवो गुरूः शिवो देवः शिवो बन्धुः शरीरिणाम्।
शिव आत्मा शिवो जीवः शिवादन्यन्न किंचन।।
यानी भगवान शिव गुरू हैं, शिव देवता हैं, शिव ही प्राणियों के बन्धु हैं, शिव ही आत्मा और शिव ही जीव है। शिव से भिन्न दूसरा कुछ भी नहीं है। और शिव को सर्वाधिक प्रिय मास है सावन तो सर्वाधिक प्रिय पाठ है रूद्री पाठ और रूद्राभिषेक।
सावन माह में विशेष रूप से भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्तों द्वारा रूद्राभिषेक और रूद्री पाठ संपन्न किए जाते है। भक्तजन सावन माह में रूद्री पाठ और अभिषेक करते तो हैं लेकिन कितने पाठ करने से कामनाएं पूरी होती है? सिद्धि मिलती है? शत्रुओं का नाश होता है?
एक बार रूद्री पाठ करने से बाल ग्रहों की शांति होती है। तीन पाठ करने से उपद्रव की शांति होती है। पांच पाठ करने से सभी ग्रहों की शांति होती है तो सात पाठ से भय से मुक्ति मिलती है। 11 पाठ करने पर एक रूद्र का पाठ सम्पन्न होता है। तीन रूद्र का पाठ यानी 33 रूद्री करने से कामना की सिद्धि होती है तथा शत्रु का नाश हो जाता है। पांच रूद्र यानी 55 रूद्री करने से वशीकरण, सात रूद्र यानी 77 पाठ से सुख की प्राप्ति, नौ रूद्र यानी 99 से पुत्र-पौत्र, धन-धान्य तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसी तरह नौ रूद्रों यानी 99 के पाठ से एक महारूद्र का फल प्राप्त होता है।
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इससे शत्रुओं का उच्चाटन, राजभय का नाश, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की सिद्धि, अकाल मृत्यु से रक्षा, आरोग्य, यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है। तीन महा रूद्रों यानी 297 रूद्री से असाध्य कार्य की सिद्धि, पांच महा रूद्रो 495 रूद्री से राज्य कामना की सिद्धि, सात महा रूद्रो यानी 693 रूद्री से सतलोक की सिद्धि , नौ महा रूद्रों यानी 891 रूद्री के पाठ से पुनर्जन्म से मुक्ति, ग्रह दोष की शांति, ज्वर आदि रोगों से रक्षा तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है।