मंत्र जप में माला का प्रयोग क्यों किया जाता है ?

मंत्र जप में माला का प्रयोग

जप करते समय दाएं हाथ की मध्यता उंगली के बीच पोर पर माला रखकर अंगूठे से माला के एक-एक मनके अपनी ओर खींचनी होती है। खीचते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि माला के मनके एक-दूसरे से न टकराएं। इसलिए माला के मनके गुथे हुए होने चाहिए। जप करते समय मनके टकराकर आवाज होने पर वह जप व्यर्थ हो जाता हैं-ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।

यह भी जरूर पढ़े – कृष्ण मंत्र श्लोक – Krishna Mantra & Krishna Sloka

 जप करते समय मेरू मनके के आते ही माला को उलटे। किसी भी हालत में मेरू मनके को लांघकर जप न करें। यदि गलती से मेरू मनके का उल्लंघन हो जाए तो छः बार प्राणायाम करके इस दोष का निवारण करना चाहिए। इसी तरह यदि जप करते समय माला हाथ से छूट जाए तो वह भी अशुभ सूचक है। इस अशुभत्व के निवारण हेतू भी छः बार प्राणायाम करना चाहिए।

यदि जप करते समय जपमाला गिरकर टूट जाए तो अरिष्ट सूचक समझकर महामृत्युंजय मंत्र का जप करे। यह जप कितनी संख्या में करे, इस विषय में कोई शास्त्र संकेत नहीं हैं। फिर भी सामान्य रूप से चालीस हजार जप करें। किंतु यदि माला का धागा यो सूत कच्चा हो तो तारतम्य से जप करें। जप करते समय यथासंभव ‘गोमुखी’ (माला जपने के लिए विशेषरूप से बनाई गई एक थैली जो पूजा-पाठ का सामान बेचने वालो कें यहां मिलती है।) का उपयोग करें। यदि गोमुखी न हो तों किसी साफ कपडे से माला वालाा हाथ ढक लें

यह भी जरूर पढ़े – श्री ब्रह्मा मंत्र तथा श्लोक

एक व्यक्ति को एक ही माला का उपयोग करना चाहिए। दूसरे की माला का उपयोग न तो स्वयं करे और न ही अपनी माला का उपयोग दूसरो को करने दे। जपमाला हाथ मे लेते ही सबसे पहले उसको नमस्कार करे । जप करने के बाद माला को किसी डिब्बे में रख दे। किसी के द्वारा उपयोग करने पर वह माला किसी दूसरे को भेंट में न दें।

गुरू  अपने शिष्य को वह माला दे सकता है। लेकिन गुरू से प्राप्त या किसी मृत व्यक्ति की स्मृति में माला का उपयोग जप के लिए बिलकुल न करें । जप में माला का उपयोग करने से साधक की एकाग्रता बनी रहती है, साथ ही संख्या का भी बोध होता रहता है।

यह भी जरूर पढ़े – राशि अनुसार अपने इष्टदेव का मंत्र जप करने से होंगे धन धान्य से परिपूर्ण

कई लोग लाखों मंत्र जप कर लेते हैं लेकिन उन्हें उनकी मनचाही वस्तु का पूरा भाग नहीं मिल पाता और फिर वे मंत्रों की प्रामाणिकता को दोष देते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उचित माला से मंत्र जप का अभाव। मुंडमाला तंत्र में प्रत्येक प्रकार की पूजा के साथ उसके लिए एक माला निश्चित की गई है। यह माला रूद्राक्ष, शंख, कमल गट्टे, जियापोता, मोती, स्फटिक, मूंगा, मणि, रत्न, स्वर्ण, चांदी, कुशमूल, गुंजा आदि अनेकों प्रकार की होती है।

Scroll to Top