लाल किताब के उपाय – Lal Kitab Ke Upay
लाल किताब के अद्भुत उपाय (Lal Kitab ke Achuk Upay) और चमत्कारी टोटके (Lal Kitab ke Totke) करने से शीघ्र लाभ प्राप्त होता है। ये अत्यन्त सरल और प्रभावशाली है। पर इन टोटकों औरउपायों को करतें समय निम्न बातें ध्यान रखनी आवश्यक हैं-
- लाल किताब का बताया गया कोई भी टोंटका या उपाय कम से कम 40 और अधिकतम 43 दिन तक निरंतर करें।
- टोटके एवं उपाय प्रत्येक आठ दिन 40 या 43 सप्ताह तक भी कर सकते है।
- उपाय करते समय बीच में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। यदि 39वें या 42 वें दिन भी भूल से उपाय करने से रह जाये तो पुनः शुरू से उपाय करना पडेंगा। जब उपाय बीच में छूट जाए तो चावल दूध से धोकर अपने पास रख लें, ऐसा करने से पूर्व में किए गए उपाय बेकार नहीं होंगे।
- टोटके या उपाय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच के समय में ही करे। रात्रि में उपाय न करें। उपाय जब चाहें तभी शुरू कर सकते हैं, परंतु 40 या 43 दिन तक अवश्य करने याहिए।
- उपाय किसी के लिए कोई भी कर सकता है। लेकिन वही व्यक्ति कर सकता हैं जिसका उस व्यक्ति से खून का संबंध है।
- मृत्यु से पहले आशीर्वाद पा लेने पर मृत्यु के बाद भी उस ग्रह से संबंधित व्यक्ति को लाभ पहुचेगा।
- हिन्दू मैरिज से पूर्व ही अशुभ ग्रहो का उपाय अवश्य कर लेना चाहिए, क्योंकि पुरूष की कुंडली कें अशुभ ग्रह स्त्री को विवाह के बाद प्रभावित करते है।
- अपनी जन्म कुंडली का सावधानी से विश्लेषण करने के बाद ही उपायों का चयन करें। सही उपाय लाभ देते है और गलत उपाय हानी पहुंचाते है।
- शनि अशुभ हो तो आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये कौए को रोटी डालें एवं संतान की अशुभता दूर करने के लिये कुते को रोटी डाले।
- उपायों अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो अपने भोजन में से गाय को हिस्सा दें।
- राहु अशुभ हो तो केतु का उपाय करें। केतु की नाडी दसवें भाव में होगी ।
- मंगल दोष हो तो मृगछाला पर सोंये। तंदूर में लगी मीठी रोटी कुत्तों को डालें या भिखारी को दें। जौ को दूध में धोकर बहते पानी में प्रवाहित करें। रेवडियां या गुड बहतं पानी में बहायें। केसर नाभि पर लगाये।
- केतु अशुभ हो तो राहु का उपाय करें। पापी ग्रहों की वस्तुएं पास रखने से भी उपाय हो जाएगा।
- पितृ ऋण, अशुभ ग्रह व संतान-प्राप्ति के लिए जो ग्रह अशुभ या निर्बल हों, उनका उपाय अवश्य करें। बिना उपाय किये शुभ ग्रहों का फल नहीं प्राप्त होगा।
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अशुभ ग्रहो के अनुसार उपाय – Ashubh Graho ke Upay
- सुर्य अशुभ हो तो हरि पूजन, लॉर्ड विष्णु पूजन या हरिवंश पुराण का पाठ करें।
- चन्द्रमा अशुभ हो तो लॉर्ड शिव की उपासना करें।
- मंगल दोष हो तो हनुमान चालीसा का पाठ करें और लॉर्ड हनुमान की उपासना करें।
- बुध अशुभ हो तो दुर्गा जी की पूजा उपासना और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- गुरू अशुभ हो तो हरि पूजन या हरि वंश पुराण का पाठ करें। ब्रहा्र जी की उपासना भी की जा सकती है।
- शुक्र अशुभ हो तो दुसरो का पालन पोषण करें । लक्ष्मी जी की उपासना करें ।
- शनि अशुभ हो तो बडें बुज़ुर्गो की सेवा करें। भैरव उपासना करें।
- राहु अशुभ हो तो कन्यादान करें। सरस्वती जी की उपासना करें।
- केतु अशुभ हो तो कन्यादान करें। लॉर्ड गणेशा की उपासना करें।
- केतु अशुभ हो तो कन्यादान करे।लॉर्ड गणेशा की उपासना करें।
नीच फल देने वाले ग्रहो के अनुसार दान पुण्य
- सूर्य के लिए गेहुं और तांबा का दान करें।
- चंद्र के लिए दूध-दही व चावल का दान करें।
- मंगल दोष के लिए मसूर की दाल का दान करें।
- बुध के लिए साबुत हरे मूंग का दान करें।
- गुरु के लिए चने की दाल एवं सोने का दान करें।
- शुक्र के लिए घी, दही, कपूर व मोती का दान करें।
- शनि के लिए काले साबुत उड़द या लोहे का दान करें।
- राहु के लिए सरसों व नीलम का दान करें।
- केतु के लिए तिल का दान करे।
अशुभ ग्रहों के लिए ये उपाय भी किये जा सकते हैं
सूर्य अशुभ होने की दशा में दो समान भार के तांबे के टुकडें ले और उन्हें उसी प्रकार दान करे, जिस प्रकार लकडी का दान करत है। बाद में एक टुकडा बहते पानी में बहा दें और दूसरा टुकडा आजीवन अपने पास रखे। इससे सूर्य का अशुभ प्रभाव कम होगा। यदि यह टुकडा चोरी हो जाए या खो जाए तो पुनः तांबें का टुकडा बना लें, दूसरी बार पानी में बहाने की जरूरत नही है।
शेष ग्रहों के लिये उपाय इस प्रकार से करें
- चन्द्रमा अशुभ होने पर, सूर्ये की तरह सच्चा मोती, चांदी या चावल स्थापित करें।
- मंगल दोष होने पर, सूर्ये की तरह लाल पत्थर स्थापित करना चाहिए।
- बुध अशुभ होने पर, सूर्ये की तरह हीरा या सीप स्थापित करें।
- गुरु अशुभ होने पर, सूर्ये की तरह स्वर्ण या केसर स्थापित करें।
- शुक्र अशुभ होने पर, सूर्ये की तरह सफेद मोती स्थापित करें।
- शनि देव अशुभ होने पर, सूर्ये की तरह लोहा, काला नमक स्थापित करें।
- राहु अशुभ होने पर, चन्द्र ग्रह की तरह करें। नीलम कभी स्थापित न करें।
- केतु अशुभ होने पर, सूर्ये की तरह दोरंगा पत्थर स्थापित करें।
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ग्रहों की सहायता किस तरह से करें
राशि शरीर है और ग्रह आत्मा। ग्रह व राशि की असहज स्थिति का उपाय और ग्रहों के विश्वासघात से रक्षा करना यह मनुष्य के वश में है। जिसको व्यवहार में लाकर ग्रहों की सहायता कर सकते हैं अथवा दुसरों को ग्रहो के उपाय बताने में उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं-
- पापी ग्रह(शनि, राहु , केतु ) सभी को चोट देते हैं, पर उनकों चोट देने के लिए उनका अपना पाप राहु -केतु ) भारी पडता हैं।
- राहु के अशुभ प्रभाव को केतु के उपाय द्वारा दूर किया जा सकता है। इसी प्रकार केतु के अशुभ प्रभाव को राहु के उपाय द्वारा दूर कर सकते है।
- पापी ग्रहों को उनसें संबंधित वस्तुओ को स्थापित करने, पालने, उनसे आशीर्वाद लेने या क्षमा मांगने से ही होगा।
- शुक्र ग्रह की सहायता के लिये अपने भोजन में से गाय को कुछ हिस्सा दें। ऐसा करने से धन-धान्य, सुख बढेगा।
- शनि की सहायता करने के लिये कौए का रोटी का टुकडा डालें। इससे धन हानि रूकेगी।
- केतु की सहायता के लिए कुत्ते को रोटी डालें। इससे संतान प्राप्ति होगी।
- मंगल दोष दूर करने के लिए मृगछाला का प्रयोग करें। तंदूर में लगी मीठी रोटी बनाकर बांटने से अशुभ मंगल का दुष्प्रभाव दूर होता है।
- बुध , शुक्र व शनि के अशुभ प्रभाव को गाय को ग्रास(अपने भोजन से हिस्सा) डालकर दूर कर सकते है। इसका अर्थ यह है कि रोजाना अपन भोजन में से तीन टुकडे निकालकर एक टुकडा गाय को, एक टुकडा कुत्ते को और एक टुकडा कौए को खाने के लिए डालें।
- राहु का अशुभ प्रभाव दूर करने के लिए जौ या अनाज को किसी बडी जगह पर बोझ के नीचे दबायें या दूध से धोकर बहने पानी में बहावे ।
- यदि क्षय रोग के बुखार से परेशानी हो तो जौ को गौमुत्र में धोकर लाल कपडें मं बांधकर रखें और गौमूत्र से ही दांत साफ करें।
- अन्य ग्रह से संबंधित वस्तुओं को बढाने से अशुभ ग्रह का दुष्प्रभाव नष्ट होता हैं ।
- यदि पुत्र-पुत्री दोनों पिता के लिये अशुभ हों तो लडकी के गले में तांबे का टुकडा धारण कराना शुभ होगा ।
- मंगल यदि 1,3,8वे भाव में हो तो उसका उपाय न करें। ऐसे में बुध का उपाय करना लाभदायक होगा।
जब सामान्य उपायों से लाभ न हो, तो अतिशीघ्र प्रभाव देने वाले उपाय करें
सूर्य- बहते पानी में गुड़ बहावें।चन्द्रमा-दूध या पानी का भरा बर्तन सिरहाने रखकर सोंये और सुबह उठकर उसे कीकर की जड़ में डाल दें।
मंगल– शुभ हो तो मिठाई या मीठा भोजन दान करें या बताशें बहतें पानी में डालें। यदि मंगल अशुभ हो तो रेवडिंयां बहते पानी मे बहायें।
बुध – तांबे के पत्तर में छेद करके बहतेपानी में बहा दें।
गुरु – केसर खाएं या नाभि और जीभ पर लगाए।
शुक्र – गो दान करें या ज्वार व चरी का दान करें।
शनि – तेल में अपनी छाया देखकर दान करें।
राहु – मूली दान करें या कोयला बहते पानी में बहावें
केतु – कुत्ते को रोटी डालें।
उपाय द्वारा ग्रहों को अपने अनुकूल भाव में पहुंचाने का चमत्कारिक उपाय
ग्रहों से अनुकूल फल प्राप्त करने के लिये उसे अभीष्ट भाव में पहुचाना होता है। ग्रह विशेष को वस्तुओं की निन्न रीति से स्थापित करने पर वह अभीष्ट भाव में पहुंच जाता हैं।
- ग्रह को पहले भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुओं को गले में धारण करें या उन वस्तुओं का मस्तक पर तिलक लगायें।
- ग्रह को दुसरे भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुओं को मंदिर या धर्मस्थल में दान दें या स्थापित करे।
- ग्रह को तीसरे भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित धातु को रत्न में जड़वाकर संबंधित अँगुलियों में धारण करें।
- ग्रह को चैथे भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुएं बहते पानी में बहाएं।
- ग्रह को पांचवे भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुओं को स्कूल, विद्यालय, काॅलेज या शिक्षा-संस्थान में दे या स्थापित करें।
- ग्रह को छठे भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुआ को कुएं में डालें।
- ग्रह को सातवें भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुओ को भूमि में दबाएं।
- ग्रह को आठवें भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुओं को शमशान में दबाएं।
- ग्रह को नौवें भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुओं को मंदिर के पास या मंदिर में दान दें या शरीर पर धारण करें।
- ग्रह को दसवें भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुओं को पिता को खिलाएं या पहनने के लिए दें या सरकारी कार्यालय के पास या उसकी जमीन में उस स्थान पर दबाएं जहां सरकारी भवन की छाया पडती हों।
- ग्रह को ग्यारहवें भाव मे पहुचाने के लिये इस भाव में कोई भी ग्रह उच्च या नीच नही होता है। अतः किसी उपाय को करने की आवश्यकता नही हैं।
- ग्रह को बारहवें भाव मे पहुचाने के लिये उस ग्रह सें संबंधित वस्तुओ को अपने घर की छत पर स्थापित करे या रखे।
- जब कोई ग्रह अशुभ फल दे रहा हो तो उसके सामने वाले भाव में उसका शत्रु ग्रह स्थापित करने से उसका अशुभ प्रभाव दूर हो जाता है। ग्रह विशेष को अनुकूल भाव में पहुचाने की विधि का प्रयोग करें।
ग्रहानुसार इन स्थितियों में इन्हें करना मना है, बिल्कुल न करें-
- शनि पहले भाव में हो और गुरु पांचवे भाव मे हो तो भिखारी को तांबे का सिक्का या बर्तन न दें। देंगे तो संतान नष्ट हो जायेगी या कष्ट में रहेगी।
- चन्द्रमा चैथे भाव में हो और गुरू दसवें भाव में हो तो मंदिर या पूजास्थल न बनवायें। यदि बनाएंगे तो झूठे आरोपों मे सजा या फांसी तक हो सकती है।
- शुक्र नोंवे भाग मे हो, तो अनाथ बच्चों को गोद न ले, न ही अपने पास रखे। यदि अनाथ बच्चों को गोद लेंगें या अपने पास रखेंगे तो सब प्रकार से अपना ही नुकसान होगा।
- गुरू सातवें भाव में हो, तो किसी को वस्त्र दान में न दें अन्यथा अपने वस्त्र गंवा बैठेगे यानी वस्त्रहीन होन की स्थिति पैदा हो जाएगी।
- शनि आठवें भाव में हो, तो धर्मशाला, सराय, यात्री निवाय न बनवायें। यदि बनवायेंगें तो गृहहीन जायेंगे तथा निर्धनता मे जीवन गुजारना पडेगा।
- चन्द्रमा छठे भाव में हो, तो दूध या पानी का दान न करें, कुंआ या तालाब न खुदवाएं या नल न लगवाएं और मरम्मत भी न करायें। यदि कराएँगे तो दिन-प्रतिदिन परिवार घटता जायेगा और मृत्यु का साया मंडराता रहेगा। माता को कष्ट होगा। संतान न हो तो खरगोश पालें, एक खरगोश मर जाए तो दूसरा पाले।
- चन्द्रमां बारहवें भाव मे हो, तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न करायें, न उसे दूध पिलाएं, बच्चों को निःशुल्क शिक्षा न दें। स्कूल या पाठशाला न खोलें। यदि ऐसा करेंगे तो आजीवन कष्ट उठायेंगें और आखिर मे कोई पानी पिलाने वाला भी न होगा।
- अशुभ ग्रह तभी प्रभाव देता है जब वह वर्ष कुण्डली में भी अशुभ प्रभाव देने वाले भावों में जाता है। इसी प्रकार शुभ फल तभी देता है जब वह वर्ष कुंडली में भी शुभ प्रभाव देने वाले भावों में जाता है।
- ग्रह यदि कारक भावों के है तो उनका शुभाशुभ प्रभाव अवश्य पडता है, जिसे उपाय द्वारा नही रोका जा सकता है।