कैलाश मानसरोवर यात्रा – Kailash Mansarovar Yatra
कैलाश मानसरोवर (Kailash Mansarovar Yatra) को शिव-पार्वती का घर माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर (Mansarovar Lake) के पास स्थित कैलाश पर्वत ( Mount Kailash Yatra) पर शिव-शंभू का धाम है। कैलाश बर्फ़ से आच्छादित 22,028 फुट ऊँचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर को ‘कैलाश मानसरोवर तीर्थ’ (Kailash Mansarovar Tirth) कहते है | हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने, शिव-शंभू की आराधना करने, हज़ारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहाँ एकत्रित होते हैं, जिससे इस स्थान की पवित्रता और महत्ता काफ़ी बढ़ जाती है।
कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को ‘भारतीय दर्शन के हृदय’ की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है।
कैलास पर्वतमाला कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है। ल्हा चू और झोंग चू के बीच कैलाश पर्वत है जिसके उत्तरी शिखर का नाम कैलाश है। कैलाश पर्वत को ‘गणपर्वत और रजतगिरि’ भी कहते हैं। कदाचित प्राचीन साहित्य में उल्लिखित मेरु भी यही है। मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।
कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,028 फीट ऊँचा एक पत्थर का पिरामिड जैसा है, जिसके शिखर की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है। पर्वतों से बने षोडशदल कमल के मध्य यह स्थित है। यह हिमालय के उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत प्रदेश में स्थित एक तीर्थ है। चूँकि तिब्बत चीन के अधीन है, अतः कैलाश चीन में आता है।
जो चार धर्मों तिब्बती धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू का आध्यात्मिक केन्द्र है। कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से एशिया की चार नदियों का उद्गम हुआ है ब्रह्मपुत्र, सिंधु नदी, सतलज व करनाली। कैलाश के चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुख है, जिसमें से नदियों का उद्गम होता है, पूर्व में अश्वमुख है, पश्चिम में हाथी का मुख है, उत्तर में सिंह का मुख है, दक्षिण में मोर का मुख है।
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कैलाश मानसरोवर इतिहास – Kailash Mansarovar History
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी के पास कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के कर-कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं। कैलाश पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है। शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में कैलाश खंड नाम से अलग ही अध्याय है, जहां इसकी महिमा का गुणगान किया गया है।
कैलाश पर्वत पर साक्षात भगवान शंकर विराजे हैं जिसके ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है, इसकी बाहरी परिधि 52 किमी है। मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है जो पुराणों में ‘क्षीर सागर’ के नाम से वर्णित है। क्षीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है व इसी में शेष शैय्या पर विष्णु व लक्ष्मी विराजित हों पूरे संसार को संचालित कर रहे हैं। यह क्षीर सागर विष्णु का अस्थाई निवास है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।
इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। बौद्ध धर्मावलंबियों अनुसार, इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं।
तिब्बतियों की मान्यता है कि वहां के एक संत कवि ने वर्षों गुफा में रहकर तपस्या की थी। तिब्बती बोनपाओं के अनुसार, कैलाश में जो नौमंजिला स्वस्तिक देखते हैं व डेमचौक और दोरजे फांगमो का निवास है। इसे बौद्ध भगवान बुद्ध तथा मणिपद्मा का निवास मानते हैं। कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान का अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’ की संज्ञा भी देते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। यह भी कहा जाता है कि भगवान बुद्ध की माता ने यहां की यात्रा की थी।
जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल ‘अष्टपद’ है। कहते हैं ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश की यात्रा की थी। हिन्दू धर्म के अनुयायियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत मेरू पर्वत है जो ब्राह्मांड
की धूरी है और यह भगवान शंकर का प्रमुख निवास स्थान है। यहां देवी सती के शरीर का दायां हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। यहां शक्तिपीठ है। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरु नानक ने भी यहां कुछ दिन रुककर ध्यान किया था। इसलिए सिखों के लिए भी यह पवित्र स्थान है।
राक्षस ताल – Rakshastal Lake
राक्षस ताल लगभग 225 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, 84 किलोमीटर परिधि तथा 150 फुट गहरे में फैला है। प्रचलित है कि राक्षसों के राजा रावण ने यहां पर शिव की आराधना की थी। इसलिए इसे राक्षस ताल या रावणहृद भी कहते हैं। एक छोटी नदी गंगा-चू दोनों झीलों को जोडती है।
गौरी कुंड – Gauri Kund
इस कुंड की चर्चा शिव पुराण में की गई है, तथा इस कुंड से भगवान् गणेश की कहानी भी संलग्न है. ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने इसी जगह पर भगवान गणेश की मूर्ति में प्राण फूँका था. इन पौराणिक कहानियों से संलग्न होने की वजह से इस स्थान का अध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही गहरा महत्व है. यहाँ पर जाने वाले लोगों को इस कुंड के जल की सतह पर छोटा कैलाश के शिखर का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है. ये दृश्य अत्यंत मनोरम होता है.
मानसरोवर झील – Mansarovar Lake
मानसरोवर झील तिब्बत में स्थित एक झील है। यह झील लगभग 320 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इसके उत्तर में कैलाश पर्वत तथा पश्चिम में रक्षातल झील है। पुराणों के अनुसार विश्व में सर्वाधिक समुद्रतल से 17 हज़ार फुट की उंचाई पर स्थित 120 किलोमीटर की परिधि तथा 300 फुट गहरे मीठे पानी की मानसरोवर झील की उत्पत्ति भगीरथ की तपस्या से भगवान शिव के प्रसन्न होने पर हुई थी। पुराणों के अनुसार शंकर भगवान द्वारा प्रकट किये गये जल के वेग से जो झील बनी, कालांतर में उसी का नाम ‘मानसरोवर’ हुआ। हमारे शास्त्रों के अनुसार परमपिता परमेश्वर के आनन्द अश्रुओं को भगवान ब्रह्मा ने अपने कमण्डल में रख लिया था तथा इस भूलोक पर “त्रियष्टकं” (तिब्बत) स्वर्ग समान स्थल पर “मानसरोवर” की स्थापना की |
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गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर की बर्फ़ पिघलती है, तो एक प्रकार की आवाज़ भी सुनाई देती है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह मृदंग की आवाज़ है। मान्यता यह भी है कि कोई व्यक्ति मानसरोवर में एक बार डुबकी लगा ले, तो वह ‘रुद्रलोक‘ पहुंच सकता है। कैलाश पर्वत, जो स्वर्ग है जिस पर कैलाशपति सदाशिव विराजे हैं, नीचे मृत्यलोक है, इसकी बाहरी परिधि 52 किमी है। मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है, जो पुराणों में ‘क्षीर सागर’ के नाम से वर्णित है। क्षीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है व इसी में शेष शैय्या पर विष्णु व लक्ष्मी विराजित हो पूरे संसार को संचालित कर रहे है। ऐसा माना जाता है कि महाराज मांधाता ने मानसरोवर झील की खोज की और कई वर्षों तक इसके किनारे तपस्या की थी, जो कि इन पर्वतों की तलहटी में स्थित है।
कैलाश मानसरोवर में चमत्कार – Kailash Mansarovar Miracles
रहस्यमय रोशनी – Mysterious Lights
जो लोग कैलाश या लेक मानसरोवर में एक रात रुकते हैं, उन्होंने अंधेरे आकाश में एक दूसरे के पीछे रोशनी की तरह दो दीपक दीखते हैं। ये सफेद रोशनी हैं जो डॉट्स की तरह हैं लेकिन मानव आंखों से स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं और आगेपीछे होती हुई नज़र आती हैं। कभी-कभी झील के ऊपर की फर्म भी रहस्यमय रोशनी से रोशन होती है – लोगों का मानना है कि ये रोशनी कैलाश में रहने वाले स्व-सिद्ध संतों की हैं।
अदृश्य पानी के छीटें – Splashing of Water by the Invisible Beings
टेंट में रहने वाले लोगों ने सुना है की सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त के दौरान, मानसरोवर के पानी के छींटे गिरते है । उन्होंने आभूषणों की आवाज़ भी सुनी है। हिन्दू कहानियों के अनुसार, सात ऋषि हर सुबह मानसरोवर झील में स्नान करते हैं।
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कैलाश मानसरोवर यात्रा का खर्च – Kailash Mansarovar Yatra Cost
कोई रिफंड नहीं: चिकित्सा शुल्क वापस नहीं दिया जाता, भले ही आवेदक चिकित्सा आधार पर या अन्य किसी आधार पर अयोग्य हो और यात्रा शुरू करने में सक्षम न हो।
चिकित्सकीय रूप से अनफिट पाए गए आवेदकों को यात्रा पर आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती, और केएमवीएन को किए गए नॉन रिफंडेबल डिपाजिट और अन्य भुगतानों को रोक दिया जाता है।
पार्टिसिपेशन कन्फर्म करने के लिए भुक्तान: प्रत्येक चयनित आवेदक को “कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड” के पक्ष में बैंक डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से रु। 5000 / – की नॉन रिफंडेबल डिपाजिट जमा करने की आवश्यकता होती है, जो दिल्ली में यात्रा की पुष्टि के लिए जमा करना होता है। इसके लिए डेडलाइन भी दी जाती है।
यात्रा की लागत: प्रति यात्री यात्रा की कुल लागत में निम्नलिखित खर्चे शामिल होंगे:
Amount | Details of Expenditure |
Rs.32,000 | KMVN Fees:
1. Out of this, a non-refundable sum of Rs.5,000/- by bank demand draft payable in Delhi in favour of ‘Kumaon Mandal Vikas Nigam Limited’ is to be submitted to confirm participation in the Yatra. 2. Balance of Rs.27,000/- is payable on arrival in Delhi to begin the Yatra.
|
Rs.2,400 | Chinese visa fee. |
Rs.3,100 | Payable in cash or by bank demand draft to ‘Delhi Heart and Lung Institute’ for medical tests. |
Rs.2,500 | Payable for Stress Echo Test, if required by the medical authority. |
US $801 (Equivalent to approximately Rs.48,861 @ Rs. 61) |
Payable to Chinese authorities in Tibet for lodging; meals at Taklakot; transportation, including charges for transporting baggage and hiring of horse/pony at Lipulekh Pass; entry tickets for Kailash, Manasarovar and Kejia Temple. It includes US $1 towards Immigration Fee. |
Rs.8,904 | Porter charges for both ways on India side (subject to revision by Uttarakhand Government). |
Rs.10,666 | Pony with Pony Handler for both ways on Indian side (subject to revision by Uttarakhand Government). For the stretch from Narayan Ashram to Lipulekh Pass and back, Yatris need to decide on hiring ponies and porters at Dharchula itself. |
RMB 360 (Rs.3,600 approx.) |
Porter for both ways on Chinese side (subject to revision by Tibetan authorities). |
RMB 1,050 (Rs.10,500 approximately) |
Pony with Pony Handler for both ways on Chinese side (subject to revision by Tibetan authorities). For the Kailash Parikrama in Tibet, hiring of porters and ponies will need to be decided at Taklakot itself. |
Rs.2,000 | Contribution to Pool Money for group activities. |
Other expenses (Roughly estimated at Rs.20,000) |
Expenditure on cooks in Tibet, clothing, food stores and other items required for the Yatra. For details, confirmed Yatris may refer to the Information Guide for Yatris. Yatris should carry adequate funds for the Yatra and for unforeseen conditions. |
गलत जानकारी: आवेदन में गलत जानकारी अयोग्य होने के लिए आधार होगी, भले ही चयन की पुष्टि हो गई हो और / या यात्रा शुरू हो गई हो। KMVN और अन्य को सभी भुगतान जब्त कर लिए जाएंगे।
दिल्ली में अनफिट: यदि दिल्ली में चिकित्सा के आधार पर एक यत्री को अयोग्य घोषित किया जाता है, तो उस यात्री को KMVN को पेनल्टी देनी होगी।
गंजी में अनफिट: यदि गंजी में चिकित्सा आधार पर एक यत्री को अयोग्य घोषित किया जाता है, तो वह यात्रा शुल्क के रूप में भुगतान की गई कुल राशि को KMVN को पेनल्टी क रूप में देनी होगी