आदि शक्ति के उपासना मंत्र – Adishakti Mantra
आदिशक्ति के रूप में प्रसिद्ध मां पार्वती का ह्रदय भक्तों के प्रति अति निर्मल होता है। पार्वती अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। खासकर जो अविवाहित कन्याएं और महिलाएं माता पार्वती की पूजा और व्रत करती हैं, वे उनकी मुरादें भी पूरी कर देती हैं।
देवी मंत्र इन हिंदी – Devi Mantra
भागवत पुराण में माता पार्वती के बारे में बताया गया है। उन्हें दुर्गा, काली का रूप माना जाता है। इन्हें गौरी और अम्बे मां भी कहा जाता है। देवी पार्वती भगवान भोलेनाथ की पत्नी हैं। मान्यता है कि पार्वती जी का व्यवहार दया, कृपा और करुणा से भरा हुआ है। इस पोस्ट मे हम माँ आदिशक्ति के सिद्ध उपासना मंत्र का उल्लेख कर रहे है जिनके निंरतर जप से आप सभी पर अवश्य ही माँ आदिशक्ति की कृपा होगी और आपके समस्तो दुखो का सर्वनाश होगा |
चामुंडा देवी मन्त्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु शक्ती रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रुपेण संस्थिता |
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
तथा
ॐ श्री दुर्गायै नमः
श्री दुर्गा गायत्री मन्त्र
ॐ महादेव्यै विह्महे दुर्गायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
श्री चामुण्डा मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।
श्री शीतला स्तुति
शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत् पिता ।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः ।।
श्री काली स्तुति
काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी देवी नारायणि नमोऽस्तुते ।।
माँ कात्यायनी के मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
माँ कूष्मांडा के मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तुमे।।
माँ चन्द्रघण्टा के मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||
माँ शैलपुत्री के मंत्र
वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।
माँ कालरात्रि के मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपुरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यशरीरिणी॥
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिभर्यङ्करी ॥
माँ महागौरी के मंत्र
श्वेते वृषे समारुढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा
माँ सिद्धिदात्री के मंत्र
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।