Author: Team Bhaktisatsang

भक्ति सत्संग वेबसाइट ईश्वरीय भक्ति में ओतप्रोत रहने वाले उन सभी मनुष्यो के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिन्हे अपने निज जीवन में सदैव ईश्वर और ईश्वरत्व का एहसास रहा है और महाज्ञानियो द्वारा बतलाये गए सत के पथ पर चलने हेतु तत्पर है | यहाँ पधारने के लिए आप सभी महानुभावो को कोटि कोटि प्रणाम

कृष्ण यजुर्वेद शाखा के इस उपनिषद में छह अध्याय हैं। इनमें जगत का मूल कारण, ॐकार-साधना, परमात्मतत्त्व से साक्षात्कार, ध्यानयोग, योग-साधना, जगत की उत्पत्ति, संचालन और विलय का कारण, विद्या-अविद्या, जीव की नाना योनियों से मुक्ति के उपाय, ज्ञानयोग और परमात्मा की सर्वव्यापकता का वर्णन किया गया है। प्रथम अध्याय इस अध्याय में जगत के

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मैडिटेशन- ध्यान योग – Meditation in Hindi  मेडिटेशन (dhyan yog) का लक्ष्य एकाग्रता और मन की शान्ति को प्राप्त करना है, और इस प्रकार अंततः ध्यान योग अर्थात मैडिटेशन (mindfulness) का उद्देश्य आत्म-चेतना (Self-consciousness) और आंतरिक शांति (Internal peace) के एक ऊँचे स्तर पर ले जाना है। आपको जानके आश्चर्य होगा कि इस अत्यंत सरल ध्यान

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Heart Line Palmistry – ह्रदय रेखा  Hriday Rekha – ह्रदय रेखा द्वारा विपरीत लिंगों के बीच आकर्षण, प्रेम, रोमांटिक जीवन की प्रकृति, जीवन साथी कैसा होगा, प्रेम का बने रहना इत्यादि को समझा जा सकता है. वैसे तो हथेली पर मौजूद हर रेखा अपने आपमें एक प्रकार के जीवन शक्ति प्रवाह की परिचायक होती है, तथा

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सामवेद के उपनिषद छान्दोग्योपनिषद  यह अत्यंत प्राचीन उपनिषद है। तलवकार शाखा के छान्दोग्य ब्रह्मण के अंतिम ८ अध्याय इस उपनिषद के रूप में प्रसिद्द है। यह विशालकाय प्राचीन गद्यात्मक उपनिषद है। इसमें सामविद्या का निरूपण है। साम और उद्नीथ की महत्ता का वर्णन करते हुए सामगान में कुशल आचार्यों की कथाएं दी गयी है। साम

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जानिए नक्षत्रो के अद्भुत संस्कार को नक्षत्र का सिद्धांत भारतीय वैदिक ज्योतिष में पाया जाता है। यह पद्धति संसार की अन्य प्रचलित ज्योतिष पद्धतियों से अधिक सटीक व अचूक मानी जाती है। आकाश में चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा पर चलता हुआ 27.3 दिन में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है। इस

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भगवान शंकर के अवतार आदि शंकराचार्य पूरा नाम – आदि शंकराचार्य जन्म– 788 ई. जन्म भूमि– कालडी़ ग्राम, केरल मृत्यु– 820 ई. मृत्यु स्थान– केदारनाथ, उत्तराखण्ड गुरु– गोविन्द योगी कर्म भूमि- भारत कर्म-क्षेत्र- दार्शनिक, संत, संस्कृत साहित्यकार मुख्य रचनाएँ– उपनिषदों, श्रीमद्भगवद गीता एवं ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखे हैं। विशेष योगदान– चार पीठों (मठ) की स्थापना करना इनका मुख्य रूप से उल्लेखनीय कार्य रहा, जो आज

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कैसे करे भोजन द्वारा ग्रहो को अपने पक्ष में हम अपने आहार द्वारा भी ग्रहों को बल दे सकते हैं जैसे :- सूर्य अगर मजबूत हो तो हमें मान सम्मान, सुख समृध्धि मिलती  है|  १ पिता का संग और सहयोग मिलता है|१ अगरसूर्य कमजोर हो तो मुंह में थूक ज्यादा बनेगा, पिता से नहीं बनेगी, सरकार से परेशानी रहेगी|  सूर्य को बल देने के लिए चौकर वालेआटे कि रोटी खाएं , फल अधिक खाएं निहार मुंहगुड़ खाकर ऊपर से पानी पियें|  १ ग्वारठाका  सेवन करें| चन्द्र: माँ से दूरी बन जाये, जातक वहमी हो जाये, हाथपैर शिथिल पड़ जाएँ| चेहरे पर दागधब्बे पड़  जाएँ, मन में उमंग ख़ुशी न रहे तो समझेंचंदरमा खराब है| चंद्रमा को ठीक करने के लिए दूध में हरी इलायची डालकर पियें१ खीर खाएं,केवडा डालकरचांदी के गिलास में पानी, दूध पियें लीची| मंगल: यह भी पढ़े : कैसे करे भोजन द्वारा ग्रहो को अपने पक्ष में बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष दूर करने के उपाय जल्दी थकना, भाईबहन से झगड़ा, चोट ज्यादा लगे तो समझ लें मंगल ख़राब हैं १ पपीता, चुकंदर खाने सेमंगल मजबूत होता है – मीठी लस्सीपियें गुड़ डालकर  मंगल मजबूत होगा १ लौकी, तौरी की  सब्जी खाएं – बुध:

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जानिए राशियों से जुड़े नौकरी और व्यवसाय 1.मेष पुलिस अथवा सेना की नौकरी, इंजीनियरिंग, फौजदारी का वकील, सर्जन, ड्राइविंग, घड़ी का कार्य, रेडियो व टी.वी. का निर्माण या मरम्मत, विद्युत का सामान, कम्प्यूटर, जौहरी, अग्नि सम्बन्धी कार्य, मेकेनिक, ईंटों का भट्टा, किसी फैक्ट्री में कार्य, भवन निर्माण सामग्री, धातु व खनिज सम्बन्धी कार्य, नाई, दर्जी,

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ओशो का परिचय देना आकाश को मुट्ठी में बांधने जैसा असंभव काम है… और किस ओशो का परिचय दिया जाए- मृण्मय दीपक का अथवा चिन्मय ज्योति का? चैतन्य की वह लौ तो कागजी शब्द-पेटियों में समाती नहीं, केवल परोक्ष सांकेतिक भाषा में इशारे संभव हैं; जैसे उनकी समाधि पर अंकित ये : ओशो  जिनका न

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ज्योतिष अनुसार उत्तम यौन सुख के लक्षण ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शुक्र ग्रह की अनुकूलता से व्यक्ति भौतिक सुख पाता है। जिनमें घर, वाहन सुख आदि समिल्लित है। इसके अलावा शुक्र यौन अंगों और वीर्य का कारक भी माना जाता है। शुक्र सुख, उपभोग, विलास और सुंदरता के प्रति आकर्षण पैदा करता है। विवाह के

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