ज्येष्ठ अधिक अमावस्या – जानें अधिक अमावस्या का महत्व व व्रत पूजा विधि

ज्येष्ठ अधिक अमावस्या – Jyeshtha Adhik Amavasya  

अमावस्या तिथि को दान पुण्य के लिये, पितरों की शांति के लिये किये जाने वाले पिंड दान, तर्पण आदि के लिये बहुत ही सौभाग्यशाली दिन माना जाता है। साथ अमावस्या एक मास के एक पक्ष के अंत का भी सूचक है। हिंदू पंचांग जो पूर्णिमांत होते हैं उनके लिये यह मास का पंद्रहवां दिन तो जो अमांत होते हैं यानि अमावस्या को जिनका अंत होता है उनके लिये यह मास का आखिरी दिन होता है।

इस तरह हिंदू कैलेंडर में मास का निर्धारण करने के लिये भी यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। अमावस्या के पश्चात चंद्र दर्शन से शुक्ल पक्ष का आरंभ होता है तो पूर्णिमा के पश्चात कृष्ण पक्ष की शुरूआत होती है। कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन जब चंद्रमा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता तो वह दिन अमावस्या का होता है। वैसे तो सभी अमावस्या धर्म कर्म के कार्यों के लिये शुभ होती हैं लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व है।

क्यों खास है ज्येष्ठ अमावस्या – Jyeshtha Amavasya

दरअसल ज्येष्ठ अमावस्या को न्याय प्रिय ग्रह शनि देव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनि दोष से बचने के लिये इस दिन शनिदोष निवारण के उपाय विद्वान ज्योतिषाचार्यों के करवा सकते हैं। इस कारण ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। इतना ही नहीं शनि जयंती के साथ-साथ महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। इसलिये उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी मानी जाती है।

ज्येष्ठ अमावस्या व्रत व पूजा विधि – Jyeshtha Amavasya Vrat Pooja Vidhi

ज्येष्ठ अमावस्या को वैसे तो स्त्रियां वट सावित्री का व्रत रखती हैं लेकिन इस दिन स्त्री पुरुष दोनों ही उपवास रख सकते हैं। इसके लिये प्रात:काल उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत होकर धार्मिक तीर्थ स्थलों, पवित्र नदियों, सरोवर में स्नान करने की मान्यता है। यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के पश्चात सूर्यदेव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करने चाहिये।

इसके पश्चात पीपल वृक्ष में जल का अर्घ्य दिया जाता है। साथ ही शनि देव की पूजा भी की जाती है। जिसमें शनि चालीसा सहित शनि मंत्र का जाप भी आप कर सकते हैं। वट सावित्री व्रत रखने वाली स्त्रियां इस दिन यम देवता की पूजा करती हैं। पूजा के पश्चात सामर्थ्यनुसार दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिये।

ज्येष्ठ अमावस्या मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की आज यानी 10 जून 2021, गुरुवार की शाम 4 बजकर 22 मिनट तक अमावस्या तिथि है. इस दौरान सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से आरंभ हो जाएगा जो शाम 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. वहीं, शनि जयंती शाम 4 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा. जबकि, वट सावित्री पूजा शाम 04 बजकर 58 तक है.

Scroll to Top