जनेऊ धारण करने के वैज्ञानिक लाभ
hindu religion जनेऊ (यज्ञोपवीत) धारण करना पवित्र मन जाता है । इसके धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार मिलता है। hindu dharm में यज्ञोपवीत धारण करने का एक वैज्ञानिक कारण भी है। शरीर के पिछले भाग में पीठ पर से जाने वाली एक कुदरती रेखा है जो विद्युत प्रवाह की तरह कार्य करती है। यह रेखा दाएं कंधे से लेकर कटि प्रदेश तक स्थित होती है| यह रेखा अति सुक्ष्मएक नस है। यदि यह नस संकोचित अवस्था में हो तो मनुष्य काम-क्रोधादि विकारों की सीमा नहीं लांघ पाता।
मेरे कंधे पर जनेऊ है, इसका मात्र एहसास होने से ही मनुष्य पापाचार से दूर होने लगता है। इसीलिए सभी धर्मो किसी न किसी रूप में जनेऊ धारण किया जाता है। सारनाथ की अति प्राचीन बुद्ध प्रतिमा का सूक्ष्म निरीक्षण करने से उसकी छाती पर जलेऊ की सूक्ष्म रेखा दिखाई देती है। जनेऊ केवल धर्माज्ञा ही नहीं बल्कि आरोग्य का द्योतक भी है, अतएव सदैव जनेऊ धारण करना चाहिए।
Hinduism में दाएं कान के महात्म्य का वर्णन किया गया है। वसु आदित्य, वायु, रूद्र, धर्म, अग्नि, वेद, आपः, सोम एवं सूर्य आदि देवताओं का निवास दाएं कान में हैं। यदि ऐसे पवित्र दाएं कान पर यज्ञोपवीत रखा जाए तो अशुद्धि नहीं रहती ।
यथा- निवीनी दक्षिण कर्णे यज्ञोपवीतं कृत्वा मूत्रपुरीषे विसृजेत।
अर्थात मल-मूत्र विसर्जित करते समय दाएं कान पर जनेऊ रखना आवश्यक हैं। हाथ -पैर धोकर और कुल्ला करके जनेऊ कान पर से उतारें। इस नियम के मूल में शास्त्रसम्मत कारण यह है कि शरीर के नाभि प्रदेश से ऊपर का भाग धार्मिक क्रिया के लिए पवित्र और उसके नीचे का भाग अपवित्र माना गया है। दाएं कान को इतना महत्व देने का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस कान की नस, गुप्तेंद्रिय और अंडकोष का आपस में अभिन्न संबंध हैं।
मूत्र त्याग के समय सूक्ष्म रूप से वीर्य स्त्राव होने की संभावना रहती है। लेकिन दाएं कान को ब्रह्मासूत्र में लपेटने पर वीर्य नष्ट होने से बचाव होता हैं।
आयुर्वेद की दृष्टि से भी यह बात सिद्ध हुई है कि यदि बार-बार स्वप्नदोष होता है तो दायां कान ब्रह्मसूत्र से बांधकर सोने से रोग दूर हो जाता है। बिस्तर में पेशाब करने वाले लडकों के दाएं कान में धागा बांधने से यह प्रवृति रूक जाती है। इन सब लाभों के चलते भी जनऊ धारण कर महत्त्व है।
जनेऊ केवल hindu spirituality नजरिए से ही नहीं, बल्कि सेहत के लिहाज से भी बेहद फायदेमंद है. जनेऊ पहनने के फायदे :
1. जीवाणुओं और कीटाणुओं से बचाव
जो लोग जनेऊ पहनते हैं और hindu religion beliefs से जुड़े नियमों का पालन करते हैं, वे मल-मूत्र त्याग करते वक्त अपना मुंह बंद रखते हैं. इसकी आदत पड़ जाने के बाद लोग बड़ी आसानी से गंदे स्थानों पर पाए जाने वाले जीवाणुओं और कीटाणुओं के प्रकोप से बच जाते हैं.
2. तन निर्मल, मन निर्मल
जनेऊ को कान के ऊपर कसकर लपेटने का नियम है. ऐसा करने से कान के पास से गुजरने वाली उन नसों पर भी दबाव पड़ता है, जिनका संबंध सीधे आंतों से है. इन नसों पर दबाव पड़ने से कब्ज की शिकायत नहीं होती है. पेट साफ होने पर शरीर और मन, दोनों ही सेहतमंद रहते हैं.
3. बल व तेज में बढ़ोतरी
दाएं कान के पास से वे नसें भी गुजरती हैं, जिसका संबंध अंडकोष और गुप्तेंद्रियों से होता है. मूत्र त्याग के वक्त दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से वे नसें दब जाती हैं, जिनसे वीर्य निकलता है. ऐसे में जाने-अनजाने शुक्राणुओं की रक्षा होती है. इससे इंसान के बल और तेज में वृद्धि होती है.
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4. हृदय रोग व ब्लडप्रेशर से बचाव
रिसर्च में मेडिकल साइंस ने भी पाया है कि जनेऊ पहनने वालों को हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की आशंका अन्य लोगों के मुकाबले कम होती है. जनेऊ शरीर में खून के प्रवाह को भी कंट्रोल करने में मददगार होता है.
5. स्मरण शक्ति में इजाफा
कान पर हर रोज जनेऊ रखने और कसने से स्मरण शक्ति में भी इजाफा होता है. कान पर दबाव पड़ने से दिमाग की वे नसें एक्टिव हो जाती हैं, जिनका संबंध स्मरण शक्ति से होता है. दरअसल, गलतियां करने पर बच्चों के कान ऐंठने के पीछे भी मूल मकसद यही होता था.
6. मानसिक बल में बढ़ोतरी
अलग अलगhinduism beliefs में से यज्ञोपवीत की वजह से मानसिक बल भी मिलता है. यह लोगों को हमेशा बुरे कामों से बचने की याद दिलाता रहता है. साथ ही ऐसी मान्यता है कि जनेऊ पहनने वालों के पास बुरी आत्माएं नहीं फटकती हैं. इसमें सच्चाई चाहे जो भी हो, पर केवल मन में इसका गहरा विश्वास होने भर से फायदा तो होता ही है.
7. आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति
जनेऊ धारण करने से आध्यात्मिक ऊर्जा भी मिलती है. ऐसी मान्यता है कि यज्ञोपवीत में प्रभु का वास होता है. यह हमें कर्तव्य की भी याद दिलाता है.