शंख देता है अष्टसिद्धि नवनिधि
अगर प्रातः सायं प्रतिदिन शंख बजाते हैं। इससे कितने लाभ होते हैं, क्या आप जानते हैं शंख बजाने के फायदे – क्यों देता है अष्टसिद्धि और नवनिधि ?विश्व में विशेषतः भारत के मंदिरों में, धर्मनिष्ठ असंख्य परिवारों में प्रातः, सांय पूजा तथा आरती के समय शंखनाद का प्रचलन है, क्योंकि इसका विशेष महत्व है। तांत्रिक तथा अन्य कई पूजाओं में शंख द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। विवाह के समय भी शंख की ध्वनि मंगल समता के लिए की जाती है। इसकी ध्वनि के प्रभाव से आस-पास का वातावरण निर्मल, शुद्ध हो जाता है।
समुद्र मंथन में प्राप्त 14 रत्नों में – श्री, रम्भा, विष, वारूणी, अमी, शंख, गजराज। धेनु, धनु, धन्वन्तरि, कल्पतरू, शशि, मणि, वाजा में शंख भी एक अमूल्य रत्न है। समुद्र से उत्पन्न शंख दुष्ट दलन, राक्षस-हनन, पिशाचनाश, रोगनाश, अज्ञाननाश, लक्ष्मी प्राप्ति में सहायक, ऐश्वर्य वृद्धि कारक, स्वास्थ्यवर्द्धक, दीर्घायु कारक है।
शंख बजाने के फायदे
शंख की उत्पत्ति चंद्रमा के अमृत मण्डल से मानी गई है। ‘युद्धारंभ में शंख ध्वनि का मुख्य विधान है। शास्त्रमतों में शंख को देवरूप माना गया है। शंख के मध्य स्थल में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा, अग्रभाग में गंगा का निवास है। सचराचर जगत के समस्त उपचार शंख में निवासते है। अतः शंख पूजा उत्तम फलदायक, अष्टसिद्धि नवनिद्धि, महालक्ष्मी प्रदायक है। जीवन में फिर पापों में मुक्ति हो या पूजक मोक्ष पद की प्राप्ति, शंख सभी कुछ प्रदान करता है। शंख से समस्त अमंगल – मंगल में, रोग – स्वास्थ्य में अलक्ष्मी-लक्ष्मी में और कुरूपता – सौंदर्य में बदल जाती है। ऐसे घर में श्री लक्ष्मी स्थायी वास करती हैं, जहा शंख का नित्य पूजन और श्रवण होता है।’
शास्त्रों के अनुसार शंख ध्वनि के प्रभाव से कोई रोग, कोई भी भूत-प्रेतादिक आदि की बाधा -करीब नहीं आ सकती। शरीर स्वस्थ, निरोग, कान्तिपूर्ण रहेगा। हाल ही में वाराणसी स्थित सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अनुसंधान में शंख से प्राप्त लाभ-प्रभाव आदि के बारे में जो भी जाना-माना गया उनमें स्वास्थ्य, रोग से मुक्ति संबंधी जानकारी निम्न हैं –
1। रोजाना शंख बजाने से आपके गुदाशय की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। शंख बजाना मूत्रमार्ग, मूत्राशय, निचले पेट, डायाफ्राम, छाती तथा गर्दन की मांसपेशियों के लिए काफी बेहतर साबित होता है। शंख बजाने से इन अंगों का व्यायाम हो जाता है।
2। शंख बजाने से श्वांस लेने की क्षमता में सुधार होता है। इससे आपकी थायराइड ग्रंथियों, स्वरयंत्र का व्यायाम होता है तथा बोलने से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है।
3। शंख बजाने से आपको झुर्रियों की परेशानी भी कम हो सकती जि जब आप शंख बजाते हैं, तो आपके चेहरे की मांसपेशियां में खिचाव आता है, जिससे झुर्रियां घटती हैं।
4। शंख में सौ प्रतिशत कैल्शियम होता है। रात को शंख में पानी भरकर रखें, सुबह उसे अपनी त्वचा पर मालिश करें। इससे त्वचा संबंधी रोग दूर हो जाएंगे।
5। शंख बजने से तनाव भी दूर हो जाते है, जो लोग ज्यादा तनाव में रहते हैं, उनको शंख जरूर बजाना चाहिए। क्योंकि शेख बजाते समय दिमाग से सारे विकार चले जाते है। शंख बजाने से घर के अंदर आने वाली नकारात्मक शक्तियां भी दूर रहती है। जिन घरों में शंख बजाया जाता है, वहां कभी नकारात्मकता नहीं आती है।
6। शंख बजाने से आप दिल के दौरे से भी बच सकते है। नियमित रूप से ख बजाने वाले को कभी हार्ट अटैक नहीं आती है। शंख बजाने से सारे ब्लॉकेज खुल जाते हैं। इसी तरह बार-बार सांस भरकर छोडने से फेंफड़े भी स्वस्थ्य रहते हैं। शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएं एक साथ होती है कुंभक, रेचक, प्राणायाम ।
7। शंख की आकृति तथा पृथ्वी की संरचना समान है नासा के अनुसार शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जो जीवाणु का नाश कर लोगों को ऊर्जा तथा शक्ति का संचार करता है।
8। फेफड़ों के रोग करें खत्म : शंख बजाने से चेहरे, श्वसन प्रणाली, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों की बहुत बढ़िया एक्सरसाइज होती है। जिन लोगों को सांस संबंधी समस्याएं है, उन्हें शंख बजाने से छुटकारा मिल सकता है। हर रोज शंख बजाने वाले लोगों को गले तथा फेफड़ों के रोग नहीं होते। इससे स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
हड्डियों को मजबूत करे
शंख में कैल्शियम, गांक, फास्फोरस काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यह तत्व हड्डियों को मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए शंख में रखें पानी के सेवन करें। इससे दांतों को भी फायदा मिलता है।
शंख के औषधि-प्रयोग
प्रत्येक रोग में 50 से 250 मिलीग्राम शंखभस्म ले सकते हैं।
गूँगापन
गूँगे व्यक्ति के द्वारा प्रतिदिन 2-3 घंटे तक शंख बजवायें। एक बड़े शंख में 24 घंटे तक रखा हुआ पानी उसे प्रतिदिन पिलायें, छोटे शंखों की माला बनाकर उसके गले में पहनायें तथा 50 से 250 मिलीग्राम शंखभस्म सुबह-शाम शहद साथ चटायें। इससे गूँगापन दूर होता है। एक से 2 ग्राम आँवले के चूर्ण में 50 से 250 मिलीग्राम शंखभस्म मिलाकर सुबह-शाम गाय के घी के साथ देने से तुतलेपन में लाभ होता है।
बल-पुष्टि-वीर्यवर्धक
शंखभस्म को मलाई अथवा गाय के दूध के साथ लेने से बल- वीर्य में वृद्धि होती है।
पाचन, भूख बढ़ाने हेतु
छोटी पीपर का 1 ग्राम चूर्ण एवं शंखभस्म सुबह-शाम शहद के साथ भोजन के पूर्व लेने से पाचनशक्ति बढ़ती है, भूख खुलकर लगती है।
श्वास-कास-जीर्णज्वर
10 मिलीग्राम अदरक के रस के साथ शंखभस्म सुबह-शाम लेने से उक्त रोगों में लाभ होता है। नागरबेल के पत्तों (पान) के साथ शंखभस्म लेने से खाँसी ठीक होती है।
पेटदर्द
5 ग्राम गाय के घी में 1।5 ग्राम भुनी हुई हींग एवं शंखभस्म लेने से उदरशूल मिटता है। नींबू के रस में मिश्री एवं शंखभस्म डालकर लेने से अजीर्ण दूर होता है। गरम पानी के साथ शंखभस्म देने से भोजन के बाद का पेट दर्द दूर होता है।
आमातिसार
1।5 ग्राम जायफल का चूर्ण, 1 ग्राम घी एवं शंखभस्म एक एक घण्टे के अंतर पर देने से मरीज को आराम होता है।
प्लीहा में वृद्धि
अच्छे पके हुए नींबू के 10 मिली। रस में शंखभस्म डालकर पीने से कछुए जैसी बढ़ी हुई प्लीहा भी पूर्ववत् होने लगती है।
इसके अलावा भी कई वैज्ञानिक मानते हैं कि शंख फूंकने से उसकी ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक के अनेक बीमारियों के कीटाणु ध्वनि-स्पंदन से मूर्छित हो जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं। यदि रोज शंख बजाया जाए, तो वातावरण कीटाणुओं से मुक्त हो सकता है। बर्लिन विश्वविद्यालय ने शंखवनि पर अनुसंधान कर यह पाया कि इसकी तरंगें बैक्टीरिया तथा अन्य रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए उत्तम व सस्ती औषधि हैं। रोजाना सुबह-शाम शंख बजाने से वायुमंडल कीटाणुओं से मुक्त हो जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य की किरणें ध्वनि की तरंगों में बाधक होती हैं। इसीलिए सुबह-शाम शंख बजाने की परंपरा है।
दक्षिणावर्ती शंख होता है चमत्कारिक
पुराणों के अनुसार आपके पास यदि दक्षिणावर्ती शंख है तो स्वर्ण-मेखला बनाकर स्वर्ण-मेखला के अभाव में यज्ञोपवीत पर शंख को स्थापित करें। प्रातः नित्य क्रिया से निवत्त होकर धूप-दीप-नैवेद्य-पुष्प-फलादि से पूजन करें। हिना के इत्र का रूई से स्पर्श कर अपनी नाभि में रखें, पूर्व मनोयोग से इच्छित फल प्राप्ति की कामना करें। ऐसा करने पर निश्चय ही इच्छा पूर्ति होती है।
यह शंख स्वयं में चमत्कारिक शक्तिपूर्ण हैं, फिर भी इसे मांत्रिक विद्या से चैतन्य युक्त, अन्य पूजा-साधना से वांछित प्रभाव युक्त किया जाता है। सर्वप्रथम आप एक लकड़ी का पाटा या बाजोट लें तथा उस पर लाल कपड़ा बिछायें। उसके पश्चात् उस पर एक कटोरी चावल से भरकर रख दें तथा उस कटोरी पर दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें एवं उस दक्षिणावर्ती शंख में चांदी के सिक्के तथा थोड़े से चावल डाल दें तथा धूप-अगरबत्ती करें एवं- ऊँ मम् वांछित धनम् देहि में स्वाहा उक्त मंत्र का जाप करें। फिर उस दक्षिणावर्ती शंख को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या गुल्लक में रख दें, तत्पश्चात् 21 दिन बाद में उस दक्षिणावर्ती शंख को तिजोरी में से या गुल्लक में से बाहर निकाल दें, चावल को पकाकर किसी ब्राह्मण को खिला दें।’ शिवप्रिय श्रावण माह या महाशिवरात्रि में शिव की पूजा में शंख ध्वनि अवश्यक करें। शिव को डमरू का सुर संगीत, शंख ध्वनि प्रिय है। होते हैं महामारी जैसे रांगो के शयन में शंख की ध्वनि उपयोगी होना माना गया है।