साध्वी ऋतम्भरा जीवन परिचय – Sadhvi Ritambhara Ji Biography
पूज्या साध्वी ऋतम्भरा आध्यात्मिक हिन्दू नेत्री हैं, दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी केवल एक संत नहीं है,एक विचारक मात्र नहीं है वे तो स्वयं एक विचारधारा है देश के कोने-कोने में अध्यात्म और राष्ट्र भक्ति की अलख जगाने के पुनीत अभियान की साधना में तल्लीन है जो बहुत से मानवतावादी सामाजिक प्रकल्पों की प्रेरणा स्रोत हैं। वात्सल्य ग्राम की संकल्पना साध्वी जी की अनुपम देन है। वे अयोध्या के राममन्दिर आन्दोलन से जुड़ी रहीं हैं।
साध्वी ऋतंभरा जी आध्यात्मिक शख्सियत और मानवतावादी सामाजिक प्रकल्पों की प्रेरणा स्त्रोत और प्रखर वक्ता हैं।विभिन्न जन आंदोलन में सक्रीय भूमिका निभाने वाली साध्वी ऋतंभरा जी भगवान राम और कृष्ण की भक्ति में लीन हो गयीं। श्रीकृष्ण की लीला स्थली वृंदावन में उनके द्वारा स्थापित ‘वात्सल्य ग्राम’ में रिश्तों को एक नई जमीन मिली है।वात्सल्य ग्राम की पूरी परिकल्पना के माध्यम से वे, भारतीय पारिवारिक व्यवस्था की सकारात्मकता पर जन मानस का ध्यान आकर्षित कर उसका प्रसार करने का सम्पूर्ण प्रयास कर रही है ।
दीदी ने वृन्दावन में नया तीर्थ बनवाया है, यदि वृन्दावन जाकर उसका दर्शन न किया तो समझना चाहिये कि यात्रा अधूरी ही रही. यह आधुनिक तीर्थ दीदी माँ के नाम से विख्यात साध्वी ऋतम्भरा ने बसाया है। वृन्दावन शहर से कुछ बाहर वात्सल्य ग्राम के नाम से प्रसिद्ध यह स्थान अपने आप में अनेक पटकथाओं का केन्द्र बन सकता है किसी भी संवेदनशील साहित्यिक अभिरूचि के व्यक्ति के लिये. इस प्रकल्प के मुख्यद्वार के निकट यशोदा और बालकृष्ण की एक प्रतिमा वात्सल्य रस को साकार रूप प्रदान करती है।
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वास्तव में इस अनूठे प्रकल्प के पीछे की सोच अनाथालय की व्यावसायिकता और भावहीनता के स्थान पर समाज के समक्ष एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करने की अभिलाषा है जो भारत की परिवार की परम्परा को सहेज कर संस्कारित बालक-बालिकाओं का निर्माण करे न कि उनमें हीन भावना का भाव व्याप्त कर उन्हें अपनी परम्परा और संस्कृति छोड़ने पर विवश करे.