रावण का इतिहास – Ravana history
रावण का असली नाम क्या था – रावण (ravana) जितना दुष्ट था, उसमें उतनी खुबियां भी थीं, शायद इसीलिए कई बुराइयों के बाद भी रावण को महाविद्वान और प्रकांड पंडित माना जाता था। रावण के जन्म के समय उसके दस सिर थे इस कारण उसका नाम दशानन या दशग्रीव रखा गया था। जिसमें ‘दश‘ का अर्थ दस और ‘आनन‘ का अर्थ मुख है। लंका का राजा होने के कारण उसे लंकापति या लंकेश भी कहा जाता है। परन्तु सबसे प्रसिद्द नाम रावण का अर्थ है दूसरों को रुलाने वाला या गर्जन। यह नाम स्वयं भगवान् शंकर ने रावण की अनन्य भक्ति देखकर दिया था।
रावण के नाना का नाम
ऐसा माना जाता है की गौतम बुद्ध नगर जिले के अन्दर बिसरख नाम के गाँव में रावण का जन्म हुआ था। इस गाँव का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा है।
रावण के पिता का नाम
रावण के पिता विशर्वा महान ऋषि पुलस्त्य के पुत्र थे। विश्र्वा का अर्थ है वेद ध्वनि सुनने वाला। उनकी दो पत्नियां थीं। एक का नाम देववर्णिनी था और एक का नाम कैकसी था। रावण की माता का नाम कैकसी था। कैकसी एक राक्षसी थी। कैकसी, केशिनी और निकषा के नाम से भी जानी जाती है। वह विश्रवा मुनि की दूसरी पत्नी थीं। कैकसी ने रावण जैसा पुत्र प्राप्त करने के लिए ही विश्रवा मुनि से विवाह किया था ताकि वो देवताओं को हरा कर राक्षस वंश को बढ़ा सके।
वही रावण के दादा ब्रह्मा के पुत्र महर्षि पुलस्त्य थे और दादी का नाम हविर्भुवा था। जबकि रावण के नाना का नाम सुमाली और नानी का नाम केतुमती था।
रावण के कितने भाई थे – ravana brothers name
अगर रावन के भाई बहनो की बात करे तो रावण के भाई कुम्भकर्ण, विभीषण, अहिरावण, खर और दूषण थे। रावण का एक सौतेला भाई कुबेर भी था, जो रावण की सौतेली माँ देववर्णिनी के पुत्र थे। उसकी दो बहनें भी थी जिनका नाम शूर्पणखा और कुम्भिनी था।
रावण की दो पत्नियों में मंदोदरी असुरों के राजा मायासुर और उसकी पत्नी अप्सरा हेमा की पुत्री थी। मंदोदरी के अलावा उसकी पत्नी धन्यमालिनी भी थी |
रावण जब भी युद्ध करने निकलता तो खुद बहुत आगे चलता था और बाकी सेना पीछे होती थी। उसने कई युद्ध तो अकेले ही जीते थे। रावण ने यमपुरी जाकर यमराज को भी युद्ध में हरा दिया था और नर्क की सजा भुगत रही जीवात्माओं को मुक्त कराकर अपनी सेना में शामिल किया था।
रावण को अपनी शक्ति पर इतना अत्यधिक भरोसा था कि वो बिना सोचे-समझे, किसी को भी युद्ध के लिए ललकार देता था। जिससे कई बार उसे हार का मुंह भी देखना पड़ा। रावण युद्ध में भगवान शिव, सहस्त्रबाहु अर्जुन, वानर राज बालि और राजा बलि से युद्ध हारा था, जिनसे रावण बिना सोचे समझे युद्ध करने पहुंच गया।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार सभी योद्धाओं के रथ में अच्छी नस्ल के घोड़े होते थे लेकिन रावण के रथ में गधे हुआ करते थे,और वे बहुत तेजी से चलते थे।
रावण चाहता था कि मानव रक्त का रंग लाल से सफेद हो जाए ताकि उसके द्वारा किये गए नरसंहार का किसीको पता नहीं चले
भगवान की सत्ता को चुनौती देने के लिए रावण स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाना चाहता था ताकि जो लोग मोक्ष या स्वर्ग पाने के लिए भगवान को पूजते हैं वे पूजा बंद कर रावण को ही भगवान माने।
रावण खुद काला था इसलिए वो चाहता था कि मानव प्रजाति में जितने भी लोगों का रंग काला है वे गौरे हो जाएं, जिससे कोई भी महिला उनका अपमान ना कर सके।
रावण संगीत का बहुत बड़ा जानकार था, सरस्वती के हाथ में जो वीणा है उसका अविष्कार भी रावण ने किया था। रावण ज्योतिषी तो था ही तंत्र, मंत्र और आयुर्वेद का भी विशेषज्ञ था।
रावण चाहता था कि सोने (स्वर्ण) में खुश्बु होनी चाहिए। रावण दुनियाभर के स्वर्ण पर खुद कब्जा जमाना चाहता था। सोना खोजने में कोई परेशानी नहीं हो इसलिए वो उसमें सुगंध डालना चाहता था।
राम और रावण युद्ध में रावण की मृत्यु के बाद लंका का राज सिहासन खाली हो चुका था और वहां नये राजा की आवश्यकता थी, उधर मंदोदरी ने श्री राम से सती होने हेतु आग्रह भी किया किन्तु श्री राम ने इसको ना मानते हुए मंदोदरी को विभीषण से विवाह हेतु तैयार किया ताकि विभीषण को लंका का राजपद सोपा जा सके |
चूँकि रावण की माता कैकसी राक्षस नाग कुल से थी और नाग कुल की प्रथा के अनुसार मृत शरीर का दाह संस्कार नहीं होता था । इस लिए श्री राम जी के द्वारा रावण के वध करने के बाद अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी विभीषण को थी लेकिन नागकुल के लोग रावण का शव अपने साथ ले गए।
उन का विश्वास था रावण अभी पूरी तरह से नहीं मरा है क्यों कि रावण ने अपने आप को अमर कर लिया था और उस के पास अमृत है । लेकिन उनके हर प्रयास असफल रहे और हारकर उन्होंने कई प्रकार के रसायनों का प्रयोग कर रावण के शव को ममी के रूप में रख दिया।