पीपल की पूजा के फायदे और पीपल पूजा के नियम

पीपल की पूजा के फायदे और पीपल पूजा के नियम

पीपल की पूजा के फायदे और पीपल पूजा के नियम में आज हम शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं के साथ पीपल की पूजा सुबह कितने बजे करनी चाहिए? एकादशी के दिन पीपल की पूजा का महत्व तथा शनिवार को पीपल की पूजा कब करनी चाहिए के बारे में जानेंगे।

शनिवार को पीपल की पूजा कब करनी चाहिए

एक पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी और उसकी छोटी बहन दरिद्रा विष्णु के पास गई और प्रार्थना करने लगी कि हे प्रभो! हम कहां रहें? इस पर विष्णु भगवान ने दरिद्रा और लक्ष्मी को पीपल के वृक्ष पर रहने की अनुमति प्रदान कर दी। इस तरह वे दोनों पीपल के वृक्ष में रहने लगीं। विष्णु भगवान की ओर से उन्हें यह वरदान मिला कि जो व्यक्ति शनिवार को पीपल की पूजा करेगा, उसे शनि ग्रह के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी। उस पर लक्ष्मी की अपार कृपा रहेगी।

ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो पीपल का संबंध शनि से माना जाता है। शनिदेव की पीड़ा को शांत करने लिए भी पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान बताया गया है। पीपल की जड़ में शनिवार को जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।  शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के चलते पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करने से शनि की पीड़ा झेलनी नहीं पड़ती। वहीं पीपल का वृक्ष लगाने से शनि की कृपा प्राप्त होती है।

शनि के कोप से ही घर का ऐश्वर्य नष्ट होता है, मगर शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करने वाले पर लक्ष्मी और शनि की कृपा हमेशा बनी रहेगी। इसी लोक विश्वास के आधार पर लोग पीपल के वृक्ष को काटने से आज भी डरते हैं, लेकिन यह भी बताया गया है कि यदि पीपल के वृक्ष को काटना बहुत जरूरी हो तो उसे रविवार को ही काटा जा सकता है।

पीपल पूजा के नियम

शास्त्रों के अनुसार, हमेशा सूर्योदय के बाद ही पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। पीपल के पेड़ की पूजा सूर्योदय से पहले बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में अलक्ष्मी वास करती हैं। अलक्ष्मी को दरिद्रता की देवी माना जाता है। ऐसे में अलक्ष्मी की पूजा करने से घर में दरिद्रता का वास हो जाएगा। इसलिए सूर्योदय से पहले न तो पीपल की पूजा करनी चाहिए और न ही इस पेड़ के पास जाना चाहिए।

शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं

शास्त्रों के अनुसार पीपल की पूजा के लिए कुछ दिन शुभ तो कुछ अशुभ माने गए हैं. पीपल की पूजा के लिए सप्ताह के छह दिन यानि सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को जहां शुभ और पुण्यदायी माना गया है, वहीं रविवार के दिन उसकी पूजा करने पर दोष मिलता है. रविवार के दिन पीपल पर मां लक्ष्मी की बहन दरिद्रा का वास होता है. जिसके कारण इस दिन पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन में गरीबी आती है और उसे हर समय पैसों का संकट बना रहता है.

पीपल पूजा के नियम
पीपल पूजा के नियम

पीपल की पूजा के फायदे

पदमपुराण के अनुसार पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप है इसलिए इस वृक्ष को धार्मिक क्षेत्र में श्रेष्ठदेव वृक्ष की पदवी मिली और इसका विधिवत पूजन आरंभ हुआ। पद्म पुराण के अनुसार पीपल के वृक्ष को प्रणाम कर उसकी परिक्रमा करने से मानव की आयु लंबी होती है और जो व्यक्ति इसके वृक्ष पर जल समर्पित करता है उसके सभी पापों का अंत होकर स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं-‘अश्वत्थः सर्ववृक्षाणाम’ अर्थात ‘में सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूँ’ इस कथन में उन्होंने अपने आपको पीपल के वृक्ष के समान ही घोषित किया है। पीपल ऐसा वृक्ष है जिसमें त्रिदेव निवास करते हैं। जिसकी जड़ में श्री विष्णु, तने में भगवान शंकर तथा अग्रभाग में साक्षात ब्रह्माजी निवास करते हैं। अश्वत्थ वृक्ष के रूप में साक्षात श्रीहरि ही इस भूतल पर निवास करते हैं। जैसे संसार में ब्राह्मण,गौ तथा देवता पूजनीय होते हैं,उसी प्रकार पीपल का वृक्ष भी अत्यंत पूजनीय माना गया है।

पीपल को रोपने, रक्षा करने, छूने तथा पूजने से क्रमशः धन,उत्तम संतान,स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करता है। इसके आलावा पीपल में पितरों का वास माना गया है,सब तीर्थों का इसमें निवास होता है इसलिए मुंडन संस्कार पीपल के नीचे करवाने का विधान है। पीपल की छाया यज्ञ, हवन, पूजापाठ, पुराण कथा आदि के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। इसके पत्तों की वंदनवार को शुभ कार्यों में द्वार पर लगाया जाता है।

पीपल की पूजा सुबह कितने बजे करनी चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार, पीपल की पूजा हमेशा सूर्योदय के बाद ही करनी चाहिए। कहा जाता है जो व्यक्ति पीपल की पूजा करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही शत्रुओं का नाश भी होता है। इसकी पूजा करने से ग्रह दोष बाधा, काल सर्प दोष, पितृदोष भी शांत रहते हैं।

एकादशी के दिन पीपल की पूजा

एकादशी के दिन पीपल की पूजा का भी खास महत्व है। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान किया जाता है। फिर व्रत, पूजा और श्रद्धानुसार दान का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करते हैं। फिर पीपल पर जल चढ़ाकर पूजा की जाती है और घी का दीपक लगाकर उस पवित्र पेड़ की परिक्रमा करते हैं।

ज्येष्ठ महीने की एकादशी पर पीपल पूजा की परंपरा है। इस दिन पीपल की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पितर भी संतुष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि सुबह-सुबह पीपल पर देवी लक्ष्मी का आगमन होता है। इस कारण इसकी पूजा करनी बहुत लाभदायक होता है। पीपल की पूजा करने से कुंडली में शनि, गुरु समेत अन्य ग्रह भी शुभ फल देते हैं।

पीपल पूजा मंत्र

मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।

इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। आरती करें। प्रसाद अन्य लोगों को बांटें और खुद भी ग्रहण करें। पीपल को चढ़ाए हुए जल में से थोड़ा सा जल घर लेकर आएं और घर में छिड़कें। इस प्रकार पीपल की पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। धन लाभ के योग बन सकते हैं।

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