रुद्राक्ष – Rudraksha
भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का महत्व (rudraksh Power) और रुद्राक्ष के फायदे (rudraksha benefits) अत्यधिक माने गए है। माना जाता है कि असली रुद्राक्ष (original rudraksha) इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। रुद्राक्ष एक बीज (rudraksha beads) होता है जिसका उपयोग रुद्राक्ष माला (rudraksha chain) बनाने में किया जाता है, रुद्राक्ष के पेड़ (Rudraksha Tree) आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में एक खास ऊंचाई पर, खासकर हिमालय और पश्चिमी घाट सहित कुछ और जगहों पर भी पाए जाते हैं। शिवपुराण, लिंगपुराण, एवं स्कंदपुराण आदि में इस का विशेष रूप से वर्णन हुआ है | भोग और मोक्ष की इच्छा रखने वाले चारो वर्णों के लोगों को विशेष कर शिव भक्तो को शिव-पार्वती की प्रार्थना और प्रसन्नता के लिए रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए ।
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार ब्राह्मण को श्वेतवर्ण के रुद्राक्ष, क्षत्रिय को रक्तवर्ण के रुद्राक्ष, वैश्य को मिश्रित रुद्राक्ष तथा शूद्र को कृष्णवर्ण के रुद्राक्ष धारण करने चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से बड़ा ही पुण्य प्राप्त होता है तथा पौराणिक मतों के अनुसार जो मनुष्य अपने कण्ठ में बत्तीस, मस्तक पर चालीस, दोनों कानों मे छः-छः, दोनों हाथों में बारह-बारह, दोनों भुजाओं में सोलह-सोलह, शिखा में एक और वक्ष पर एक सौ आठ रुद्राक्षों को धारण करता है वह साक्षात भगवान नीलकण्ठ के रूप में जाना जाता है।
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रुद्राक्ष का महत्त्व
रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। जो आपके लिए आप की ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं। इसीलिए रुद्राक्ष ऐसे लोगों के लिए बेहद अच्छा है, जिन्हें लगातार यात्रा में होने की वजह से अलग-अलग जगहों पर रहना पड़ता है। आपने गौर किया होगा कि जब आप कहीं बाहर जाते हैं, तो कुछ जगहों पर तो आपको फौरन नींद आ जाती है, लेकिन कुछ जगहों पर बेहद थके होने के बावजूद आप सो नहीं पाते।
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इसकी वजह यह है कि अगर आपके आसपास का माहौल आपकी ऊर्जा के अनुकूल नहीं हुआ तो आपका उस जगह ठहरना मुश्किल हो जाएगा। चूंकि साधु-संन्यासी लगातार अपनी जगह बदलते रहते हैं, इसलिए बदली हुई जगह और स्थितियों में उनको तकलीफ हो सकती है। उनका मानना था कि एक ही स्थान पर कभी दोबारा नहीं ठहरना चाहिए। इसीलिए वे हमेशा रुद्राक्ष पहने रहते थे। आज के दौर में भी लोग अपने काम के सिलसिले में यात्रा करते और कई अलग-अलग जगहों पर खाते और सोते हैं। जब कोई इंसान लगातार यात्रा में रहता है या अपनी जगह बदलता रहता है, तो उसके लिए रुद्राक्ष बहुत सहायक होता है।
रुद्राक्ष के फायदे – Rudraksha Benefits
रुद्राक्ष के संबंध में एक और बात महत्वपूर्ण है। खुले में या जंगलों में रहने वाले साधु-संन्यासी अनजाने सोत्र का पानी नहीं पीते, क्योंकि अक्सर किसी जहरीली गैस या और किसी वजह से वह पानी जहरीला भी हो सकता है। रुद्राक्ष की मदद से यह जाना जा सकता है कि वह पानी पीने लायक है या नहीं। रुद्राक्ष को पानी के ऊपर पकड़ कर रखने से अगर वह खुद-ब-खुद घड़ी की दिशा में घूमने लगे, तो इसका मतलब है कि वह पानी पीने लायक है। अगर पानी जहरीला या हानि पहुंचाने वाला होगा तो रुद्राक्ष घड़ी की दिशा से उलटा घूमेगा।
इतिहास के एक खास दौर में, देश के उत्तरी क्षेत्र में, एक बेहद बचकानी होड़ चली। वैदिककाल में सिर्फ एक ही भगवान को पूजा जाता था – रुद्र यानी शिव को। समय के साथ-साथ वैष्णव भी आए। अब इन दोनों में द्वेष भाव इतना बढ़ा कि वैष्णव लोग शिव को पूजने वालों, खासकर संन्यासियों को अपने घर बुलाते और उन्हें जहरीला भोजन परोस देते थे। ऐसे में संन्यासियों ने खुद को बचाने का एक अनोखा तरीका अपनाया। काफी शिव भक्त आज भी इसी परंपरा का पालन करते हैं। अगर आप उन्हें भोजन देंगे, तो वे उस भोजन को आपके घर पर नहीं खाएंगे, बल्कि वे उसे किसी और जगह ले जाकर, पहले उसके ऊपर रुद्राक्ष रखकर यह जांचेंगे कि भोजन खाने लायक है या नहीं।
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रुद्राक्ष माला एक कवच का कार्य करती है
रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा के बचने के एक असरदार कवच की तरह काम करता है। कुछ लोग नकारात्मक शक्ति का इस्तेमाल करके दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह अपने आप में एक अलग विज्ञान है। अथर्व वेद में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है कि कैसे ऊर्जा को अपने फायदे और दूसरों के अहित के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। अगर कोई इंसान इस विद्या में महारत हासिल कर ले, तो वह अपनी शक्ति के प्रयोग से दूसरों को किसी भी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है, यहां तक कि दूसरे की मृत्यु भी हो सकती है। इन सभी स्थितियों में रुद्राक्ष कवच की तरह कारगर हो सकता है।
रोग मुक्ति में भी सहायक है रुद्राक्ष
रुद्राक्ष एक मुखी (ek mukhi rudraksh) से लेकर 21-मुखी तक होते हैं, जिन्हें अलग-अलग प्रयोजन के लिए पहना जाता है। इसलिए बस किसी भी दुकान से कोई भी रुद्राक्ष खरीदकर पहन लेना उचित नहीं होता। हालांकि पंचमुखी रुद्राक्ष (5 mukhi Rudraksha) सबसे सुरक्षित विकल्प है जो हर किसी – स्त्री, पुरुष, बच्चे, हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है। यह सेहत और सुख की दृष्टि से भी फायदेमंद हैं, जिससे रक्तचाप नीचे आता है और स्नायु तंत्र तनाव मुक्त और शांत होता है।
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रुद्राक्ष अभिमंत्रित करने के मंत्र – Rudraksha Mantra
रुद्राक्ष के 108 मोतियों से रुद्राक्ष माला को बनाया जाता है | चूँकि रुद्राक्ष भिन्न भिन्न मुखी होते है अतः इन सभी( एक मुखी से लेकर 21-मुखी तक) रुद्राक्ष के अलग अलग देवता होते है, जिनके मंत्रो के द्वारा इसे अभिमंत्रित या सिद्ध किया जाता है |
मुखी |
देवता |
मंत्र |
1 |
शिव |
ॐ ह्रीं नमः |
2 |
अर्धनारीश्वर |
ॐ नमः |
3 |
अग्नि |
ॐ क्लीं नमः |
4 |
ब्रह्मा – बृहस्पति |
ॐ ह्रीं नमः |
5 |
कालाग्निरुद्र |
ॐ ह्रीं नमः |
6 |
कार्तिकेय |
ॐ ह्रीं हूं नमः |
7 |
सप्त माताएँ – सप्त ऋषि – लक्ष्मी |
ॐ हूं नमः |
8 |
बटुक भैरव – गणेश |
ॐ हूं नमः |
9 |
दुर्गा | ॐ ह्रीं हूं नमः |
10 |
विष्णु – कृष्णा |
ॐ ह्रीं नमः |
11 |
रूद्र – इन्द्र |
ॐ ह्रीं हूं नमः |
12 | बारह आदित्य – सूर्य |
ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः |
13 |
कार्तिकेय – इन्द्र |
ॐ ह्रीं नमः |
14 |
हनुमान – शिव | ॐ नमः |
15 |
पशुपति शिव |
ॐ ह्रीं नमः |
16 | महामृत्युंजय शिव |
ॐ ह्रीं हूं नमः |
17 |
कात्यायनी देवी |
ॐ ह्रीं हूं हूं नमः |
18 |
भूमि देवी |
ॐ ह्रीं हूं एकत्व रूपे हूं ह्रीं ॐ |
19 |
नारायण |
ॐ ह्रीं हूं नमः |
20 |
ब्रह्मा |
ॐ ह्रीं ह्रीं हूं हूं ब्रह्माने नमः |
21 | कुबेर |
ॐ ह्रीं हूं शिवमित्राये नमः |
रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें – Rudraksha Test
रुद्राक्ष हमेशा उन्हीं लोगों से संबंधित रहा है, जिन्होंने इसे अपने पावन कर्तव्य के तौर पर अपनाया। परंपरागत तौर पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी वे सिर्फ रुद्राक्ष का ही काम करते रहे थे। हालांकि यह उनके रोजी रोटी का साधन भी रहा, लेकिन मूल रूप से यह उनके लिए परमार्थ का काम ही था। जैसे-जैसे रुद्राक्ष की मांग बढ़ने लगी, इसने व्यवसाय का रूप ले लिया। आज, भारत में एक और बीज मिलता है, जिसे भद्राक्ष कहते हैं और जो जहरीला होता है। भद्राक्ष का पेड़ उत्तर प्रदेश, बिहार और आसपास के क्षत्रों में बहुतायत में होता है। पहली नजर में यह बिलकुल रुद्राक्ष की तरह दिखता है।
देखकर आप दोनों में अंतर बता नहीं सकते। अगर आप संवेदनशील हैं, तो अपनी हथेलियों में लेने पर आपको दोनों में अंतर खुद पता चल जाएगा। चूंकि यह बीज जहरीला होता है, इसलिए इसे शरीर पर धारण नहीं करना चाहिए। इसके बावजूद बहुत सी जगहों पर इसे रुद्राक्ष बताकर बेचा जा रहा है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि जब भी आपको रुद्राक्ष लेना हो, आप इसे किसी भरोसेमंद जगह से ही लें।
जब आप रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो यह आपके प्रभामंडल (औरा) की शुद्धि करता है। इस प्रभामंडल का रंग बिलकुल सफेद से लेकर बिलकुल काले और इन दोनों के बीच पाए जाने वाले अनगिनत रंगों में से कुछ भी हो सकता है। इसका यह मतलब कतई नहीं हुआ कि आज आपने रुद्राक्ष की माला पहनी और कल ही आपका प्रभामंडल सफेद दिखने लगे!
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अगर आप अपने जीवन को शुद्ध करना चाहते हैं तो रुद्राक्ष उसमें मददगार हो सकता है। जब कोई इंसान अध्यात्म के मार्ग पर चलता है, तो अपने लक्ष्य को पाने के लिए वह हर संभव उपाय अपनाने को आतुर रहता है। ऐसे में रुद्राक्ष निश्चित तौर पर एक बेहद मददगार जरिया साबित हो सकता है।
तीन तरह के विशेष रुद्राक्ष :
गौरी शंकर रुद्राक्ष : gauri shankar rudraksha
यह रुद्राक्ष प्राकृतिक रुप से जुडा़ होता है शिव व शक्ति का स्वरूप माना गया है। इस रुद्राक्ष को सर्वसिद्धिदायक एवं मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। गौरी शंकर रुद्राक्ष दांपत्य जीवन में सुख एवं शांति लाता है।
गणेश रुद्राक्ष : Ganesha Rudraksha
इस रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरुप माना जाता है। इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष विद्या प्रदान करने मे लाभकारी है विद्यार्थियों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत लाभदायक है।
गौरीपाठ रुद्राक्ष : Gauripatha Rudraksha
यह रुद्राक्ष त्रिदेवों का स्वरूप है। इस रुद्राक्ष द्वारा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है।