नवरात्री का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है | नवरात्रो का समय बेहद पावन और लाभकारी माना जाता है | यदि आप अपने जीवन में समस्यायों से ग्रसित है और उनका निवारण चाहते है तो यह समय समस्यायों के उपचारो के लिए अत्यंत उत्तम है | नवरात्री के सभी दिनों को स्वयं सिद्ध कहा जाता है अतः इस दौरान शुभ प्रयोग शुभ भाव से किया जाये तो उसका परिणाम बढ़ जाता है |
नवरात्री के दौरान किये जाने वाले लाभकारी अनुष्ठान
- यदि आपका विवाह नहीं हो रहा है या आप वैवाहिक जीवन में सुखी नहीं है . वैवाहिक जीवन में समस्या के कई कारण हो सकते है जैसे कुंडली का ना मिलना, ग्रह गोचर की ख़राब दशा में विवाह होना , शनि साढ़े साती या नाडी दोष होना क्लेश का कारण हो सकते हैं . यदि आप स्तिथि को नियंत्रित नहीं कर पा रहे है तो “माँ कात्यायनी का अनुष्ठान” बहुत लाभकारी है |
- यदि संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही है या फिर बार बार प्रयास के बाद भी असफलता प्राप्त हो रही है तो कुंडली की जाँच कराएं और “बाधक ग्रह की शांति” कराये | “स्कंद माता का अनुष्ठान” बहुत लाभकारी अनुष्ठान है ऐसा देखा गया है की कई बार कुंडली में संतान योग ना होने पर भी संतान सुख मिल जाता है |
- जो व्यक्ति राजनैतिक महत्वकांशा रखते है और गृह गोचर उनका साथ नहीं दे रहे है तो “माँ भगवती विश्वेश्वरी ” का अनुष्ठान कराएं | यदि चुनाव लड़ रहे है तो “माँ अपराजिता का अनुष्ठान ” का अनुष्ठान कराएं |
- यदि आप शत्रु बाधा से परेशान है और आपके शत्रु अधिक हो गए है और आपका जीवन कठिन हो गया हो तो “माँ बंगलामुखी “ का अनुष्ठान कराएं |
- यदि आप निरपराध है या कारावास का भय है तो “बंदीदेवी का अनुष्ठान “कराएं |
- जीवन में धन धान्य, उनत्ति , ऐश्वर्य , समृद्धि के लिए “माँ लक्ष्मी अनुष्ठान ” या “कुबेर लक्ष्मी का अनुष्ठान” कराएं |
यदि आप जीवन में समस्या का समाधान या जीवन में परिवर्तन चाहते है तो इसका कोई छोटा मार्ग नहीं है इसके के लिए विशेष योग , विशेष प्रयास और समय की आवश्यकता होती है इससे बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है | यह सभी अनुष्ठान अत्यंत सुख परिणाम देने वाले है |
विधान में मंत्रोपचार सर्वोपरि है इससे ऊपर कोई भी उपचार नहीं माना जाता है | कोई भी टोना टोटका, दान या विधान उतना प्रभावशाली नहीं है जितना मंत्रोपचार | हमारे सनातन शास्त्रो में जीवन की समस्यायों को नियंत्रित करने के लिए योगो को विशेष महत्व दिया गया है अर्थार्त तिथि, करण पर आधारित पंचांग का विशेष महत्व है | किसी विशेष योग, मुहूर्त , नक्षत्र के समय किये गए अनुष्ठान विशेष लाभ देने वाले और प्रभाव को कई गुना बढ़ने वाले होते है | जैसे तीर्थ स्थलों में अनुष्ठान , ग्रहण , पूर्णिमा या अमावस्या पर किये जाने वाले अनुष्ठानों का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है |