Bhaktisatsang.com
  • अध्यात्म
  • धर्म ज्ञान
  • मंत्र-स्त्रोतं
  • ज्योतिष
  • व्रत त्यौहार
  • धार्मिक यात्रा
  • योग – मैडिटेशन
  • पौराणिक कथाएं
Facebook Twitter Instagram Pinterest YouTube
  • आरती
  • चालीसा
  • 12 ज्योतिर्लिंग
  • शिव कथा
  • शिव मंदिर
  • वास्तु टिप्स
  • हस्त रेखा ज्ञान
  • लाल किताब उपाय
  • श्रीमद भागवत गीता
  • आध्यात्मिक गुरु
Facebook Twitter Instagram Pinterest YouTube
Bhaktisatsang.com
  • अध्यात्म
  • धर्म ज्ञान
  • मंत्र-स्त्रोतं
  • ज्योतिष
  • व्रत त्यौहार
  • धार्मिक यात्रा
  • योग – मैडिटेशन
  • पौराणिक कथाएं
Bhaktisatsang.com
Home»धार्मिक यात्रा»चमत्कारीक काल भैरव प्रतिमा करती हैं मदिरापान
धार्मिक यात्रा

चमत्कारीक काल भैरव प्रतिमा करती हैं मदिरापान

May 12, 2016Updated:April 20, 2020
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

काल भैरव – Kaal Bhairav

भैरवगढ़ नदी के छोर पर शहर से तीन मील दूरी पर है। प्राचीन अवन्तिका इधर बसी हुई है। अब भी एक उपनगर के समान यहां की भी बस्ती है। छपाई के काम करने वाले लोग अधिकांश यहां रहते हैं। इस स्थान के प्रमुख देव भैरव हैं। यह बस्ती टीले पर बसी हुई है।

इस कारण भैरवगढ़ के नाम से इस स्थान की ख्‍याति है। पश्चिमोत्तर दिशा की ओर अधिकांश भाग में शहर पनाह (पत्थर की ऊंची दीवार) बनी हुई है। इसमें अंदर ही शिप्रा के उत्तर तट पर ‘कालभैरव’ का सुविशाल मंदिर है।

मंदिर के पास नीचे शिप्रा नदी का घाट बहुत बड़ा और सुंदर पुख्ता बना हुआ है। प्रवेश द्वार बहुत भव्य ऊंचा बना हुआ है। द्वार के अंदर प्रवेश करने पर दीप स्तंभ खड़ा दिखाई देता है। बाद में मंदिर हैं। कालभैरव की मूर्ति भव्य एवं प्रभावोत्पादक है। मूर्ति को मद्यपान कराया जाता है। मुख में कोई छेद नहीं है। यह यहां का आश्चर्यपूर्ण चमत्कार है।

कई बार मूर्ति की वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने पड़ताल की है लेकिन वे भी इस रहस्य को जान नहीं सके हैं कि प्रतिमा कैसे मदिरापान कर लेती है जबकि कोई छिद्र नहीं है। कहते हैं कि यह मंदिर ‘राजा भद्रसेन’ का बनाया हुआ है। मंदिर पर खुदाई का काम किया हुआ है। नदी में जल खूब भरा रहता है। यहां भैरव अष्टमी को यात्रा लगती है और भैरवजी की सवारी निकलती है।

काल भैरव मंदिर – Kaal Bhairav Mandir

यह मंदिर अतिप्राचीन है। पुराणों में अष्ट भैरवों की प्रसिद्धि है। उनमें ये प्रमुख हैं। प्रसिद्ध तांत्रिक गोपीनाथ, रामअवधेश, सुधाकर, मौनीबाबा और केलकर सा. अक्सर यहीं साधना करने आते हैं। बाईं तरफ के द्वार से बाहर हैं किले की ओर जाने का मार्ग।

यह किला लगभग 300 हाथ लंबा और 30 हाथ ऊंचा है। इसी जगह पहले सम्राट अशोक ने उज्जैन का जेलखाना बनवाया था। सम्राद अशोक के काल में इसे ‘नरक या नरकागार’ कहा जाता था। आज इसमें उज्जयिनी का बड़ा जेल है। इस जेल के कैदी द्वारा निर्मित भेरूगढ़ प्रिंट की चादरें विख्यात हैं। जेल में हाथ की कती-बुनी दरी वगैरह बनाई जाती है।

काल भैरव मंदिर का समय, उज्जैन – Kaal Bhairav Temple Ujjain Timings

समय: सोमवार से रविवार – सुबह 5.00 बजे से शाम 7.00 बजे तक।

काल भैरव कथा – Kaal Bhairav Story

कालभैरव के जन्म को लेकर पुराणों में एक बड़ी ही रोचक कथा है। शिव पुराण के अनुसार एक बार सभी देवताओं ने ब्रह्मा और विष्णु जी से बारी-बारी से पूछा कि जगत में सबसे श्रेष्ठ कौन है तब दोनो ने अपने को श्रेष्ठ बताया और आपस में इसके लिए एक दूसरे युद्ध करने लगे। इसके बाद सभी देवताओं ने वेदशास्त्रों से पूछा तो उत्तर आया कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है अनादि अंनत और अविनाशी तो भगवान रूद्र ही हैं।

वेद शास्त्रों से शिव के बारे में यह सब सुनकर ब्रह्मा ने अपने पांचवें मुख से शिव के बारे में भला-बुरा कहा। इससे वेद दुखी हुए। इसी समय एक दिव्यज्योति के रूप में भगवान रूद्र प्रकट हुए। ब्रह्मा ने कहा कि हे रूद्र तुम मेरे ही सिर से पैदा हुए हो। अधिक रुदन करने के कारण मैंने ही तुम्हारा नाम ‘रूद्र’ रखा है अतः तुम मेरी सेवा में आ जाओ।
ब्रह्मा के इस आचरण पर शिव को भयानक क्रोध आया और उन्होंने भैरव को उत्पन्न करके कहा कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो। उस दिव्य शक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से शिव के प्रति अपमान जनक शब्द कहने वाले ब्रह्मा के पांचवे सर को ही काट दिया।
शिव के कहने पर भैरव काशी प्रस्थान किये जहां ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली। रूद्र ने इन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया। आज भी ये काशी के कोतवाल के रूप में पूजे जाते हैं। इनका दर्शन किये बगैर विश्वनाथ का दर्शन अधूरा रहता है।

काल भैरव अष्टमी – Kala Bhairava Ashtami

भैरव अष्टमी, जिसे भैरवाष्टमी, भैरव जयंती, काल-भैरव अष्टमी और काल-भैरव जयंती के रूप में भी जाना जाता है, एक हिंदू पवित्र दिन है, जो भगवान शिव के भैरव रूप का जन्मदिन है। यह कार्तिक के हिंदू महीने के पंद्रहवें दिन (अष्टमी) को घटते चंद्रमा (कृष्ण पक्ष) के पखवाड़े में पड़ता है।

काल भैरव पूजा से लाभ – Kala Bhairava Pooja Benefits

काल भैरव अष्टमी के लाभ: यह विशिष्ट धार्मिक दिन काल भैरव के उत्साही भक्तों द्वारा उनके जीवन से बाधाओं को दूर करने के लिए मनाया जाता है। व्यवसायी सफलता, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करने के लिए इस उल्लेखनीय त्योहार का स्वागत करते हैं।

Hindu Dharma Shiv Mandir
Share. Facebook Twitter Pinterest Email WhatsApp
Team Bhaktisatsang

भक्ति सत्संग वेबसाइट ईश्वरीय भक्ति में ओतप्रोत रहने वाले उन सभी मनुष्यो के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिन्हे अपने निज जीवन में सदैव ईश्वर और ईश्वरत्व का एहसास रहा है और महाज्ञानियो द्वारा बतलाये गए सत के पथ पर चलने हेतु तत्पर है | यहाँ पधारने के लिए आप सभी महानुभावो को कोटि कोटि प्रणाम

Related Posts

हिंदू परम्पराओं से जुड़े वैज्ञानिक तर्क

शास्त्रानुसार पूजन एवं साधना के तरीके

क्यों रविवार को नहीं करें पीपल की पूजा

Comments are closed.

धार्मिक यात्रा
  • श्री हनुमान जी की 9 परम सिद्ध शक्ति पीठ भक्तिमय यात्रा

  • वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – Baidyanath Jyotirling

  • सच्चियाय माता मंदिर, ओसियां जिसके गर्भगृह में है स्वयं माँ महिषमर्दिनी

  • नाथद्वारा श्री नाथ जी

  • साल में 5 घंटे खुलने वाला अद्भुत निराई माता का मंदिर

ज्योतिष
  • ग्रहों की चाल के अनुसार करे रत्नों को धारण

  • जानें साल 2021 में कितने लगेंगे सूर्य और चंद्र ग्रहण, समय और तारीख.

  • जाने हाथ मे बने चिन्ह – स्टार, आइलैंड, क्रॉस का रहस्य

  • राशिनुसार मन्त्र जपने और लक्की चार्म रखने से बदलेगा आपका भाग्य

  • जाने सिमीयन रेखा का रहस्य

मंत्र श्लोक स्तोत्र
  •  माँ कालरात्रि के ध्यान और उपासना मंत्र, स्त्रोत और कवच पाठ

  • काल भैरव स्तुति – Kaal Bhairav Stuti

  • शिव मंत्र पुष्पांजली तथा सम्पूर्ण पूजन विधि और मंत्र श्लोक

  • श्री ब्रह्मवैवर्ते महालक्ष्मी कवचं

  • राधा अष्टकम – Radha Aashtkam

योग – मैडिटेशन
  • सोऽहं मैडिटेशन : हृदय स्थित सूर्य-चक्र में विशुद्ध ब्रह्मतेज के दर्शन करने की विधि

  • भक्तियोग – जाने भक्ति योग क्या है, कितने प्रकार की होती है और संक्षिप्त सार

  • प्राण – जानिए पांच प्राण और इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाडिय़ों का महत्व

  • Kundalini Shakti – कुण्डलिनी शक्ति का भेद और जाग्रत करने के बीज मन्त्र

  • छठी इंद्री (सिक्स्थ सेन्स) को जाग्रत करने के लिए इतने तरीको में से कोई एक ही करले

Bhaktisatsang.com
  • About us
  • Disclamer
  • Privacy Policy
  • Contact us
© 2021 Hindu Media Devotional Group. Designed by Shikshawse.

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.