चंद्र ग्रहण के दिन होगी माघ पूर्णिमा , गंगा जल स्नान से मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद और लाभ

चंद्र ग्रहण के दिन होगी माघ पूर्णिमा , गंगा जल स्नान से मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद और लाभ

Magh Purnima Snan : इस बार माघी पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण होने से इस दिन स्नान और दान देने से कई गुना फल प्राप्त होगा. आध्यात्म के सबसे बड़े मेले का अंतिम प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया पड़ रहा है. पूर्णिमा स्नान के दिन लगने वाला चंद्रग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा. पर्व की महत्ता का असर श्रद्धालुओं पर अनंत लाभदायक साबित होगा. ऐसे संयोग में घाटों पर ज्यादा लोग पहुंचेंगे और सूर्योदय से लेकर सूतक काल और ग्रहण के मोक्ष काल के एक घंटे बाद तक स्नान, दान और दक्षिणा दे के आशीर्वाद प्राप्त करेंगे.

ग्रहण काल में किया गया जप-तप और अनुष्ठान बहुत अधिक सिद्धकारी माना जाता है. इस दिन सूर्योदय साथ स्नान करके जप करने से मंत्र को बहुत जल्द सिद्ध किया जा सकता है. यह संयोग साधक लोगों लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है.

पूर्णिमा का व्रत हर महीने रखा जाता है. इस दिन आकाश में चांद अपने पूर्ण रूप में दिखाई देता हैं. हर पूर्णिमा व्रत की महिमा और विधियां भिन्न होती हैं. माघ पूर्णिमा व्रत कई श्रेष्ठ यज्ञों का फल देने वाला माना जाता है. ‘मत्स्य पुराण’ अनुसार

ब्रह्म वैवर्तं यो दद्यान्माघर्मासि च, पौर्णमास्यां शुभदिने ब्रह्मलोके महीयते.

अर्थात माघ मास की पूर्णिमा में जो व्यक्ति दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. यह त्योहार बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता हैं. स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

पुराणों के अनुसार, माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इसलिए इस पावन दिन गंगाजल का स्पर्श करने से भी स्वर्ग का सुख मिलता है. कहते हैं कि भगवान विष्णु माघ पूर्णिमा के व्रत, उपवास, दान और ध्यान से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना माघ पूर्णिमा के स्नान से प्रसन्न होते हैं.

श्री हरि स्वरुप भगवान् श्री कृष्ण जिन्होंने पृथ्वी पर अवतार लेकर अधर्म लोगों का संहार कर के उनको मोक्ष प्रदान किया. पुण्य धर्म करने वालों को ज्ञान देकर अपनी शरण में ले लिया.

कलियुग में मनुष्यों को स्नान कर्म में शिथिलता रहती है, फिर भी माघी पूर्णिमा पर स्नान करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है, भगवान् श्री कृष्ण जी ने राजन् युधिष्ठिर के पूछने पर कि माघ मास में स्नान और पूर्णिमा में स्नान करने पर किस फल की प्राप्ति होती है?

यस्य हस्तौ पादौ वांङ् मनस्तु सुसंयतम् . विद्या तपश्च कीर्तिश्च तीर्थफलमश्रुते…

अश्रद्दधान: पापात्मा नास्तिकोsच्छिन्नसंशय: . हेतुनिष्ठाश्च पञ्चैते तीर्थ फलभागिन:…

जिसके हाथ पांव वाणी मन अच्छी तरह संयत हैं और जो विद्या, तप और कीर्ति से समन्वित हैं, उन्हें ही तीर्थ स्नान-दान आदि पुण्य कर्मों का फल प्राप्त होता है. किंतु जो व्यक्ति श्रद्धाहीन, पापी, नास्तिक, संशयात्मा और हेतुवादी है तो इस तरह के व्यक्तियों को तीर्थ, स्नान दान आदि का फल प्राप्त नहीं होता है.

भगवान् श्री कृष्ण जी राजन् युधिष्ठर जी से कहते है कि माघ मास में गंगा जी में स्नान करना फलदायी होता है, किंतु पूर्णिमा तिथि पर स्नान करना अत्यधिक पुण्य फलदायी होता है. माघी पूर्णिमा पर देव और पितरों का तर्पण करना चाहिए. इस दिन स्वर्ण, कम्बल, रुई से युक्त वस्त्र रत्न आदि ब्राह्मणों को दान करना चाहिए. माघ मास में शीत संबंधी वस्तुएं दान करनी चाहिए. दान करते समय माधव: प्रीयताम बोल के दान करे. ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस पुण्य तिथि में जो स्नान, दान आदि नहीं करते हैं, वे जन्म-जन्मांतर तक रोगी और दरिद्र रहते हैं.

माघ मास में जल का कहना है कि जो सूर्योदय होते ही मुझमें स्नान करता है, उसके ब्रह्महत्या, सुरापान आदि बड़े से बड़े पाप भी हम धोकर उसे शुद्ध और पवित्र कर देते हैं.

माघी पूर्णिमा को एक मास का कल्पवास पूर्ण हो जाता है. इस दिन सत्यनारायण कथा और दान-पुण्य को अति फलदायी माना गया है. इस अवसर पर गंगा में स्नान करने से पाप और संताप का नाश होता है तथा मन और आत्मा को शुद्वता प्राप्त होती है. किसी भी व्यक्ति द्वारा इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों को शांत करने वाला है.

वर्ष माघी पूर्णिमा को पड़ रही है , साथ ही उस दिन चंद्रग्रहण भी है जो कि एक बहुत अच्छा संयोग बना रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग साथ पुष्यामृत योग भी बन रहा है. इस दिन प्रातः काल सूर्योदय के साथ स्नान करके के दान करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है इस दिन प्रातः 8:00 बजे से पूर्व स्नान ध्यान और दान कर दें, क्योंकि उसके उपरांत सूतक प्रारंभ हो जाएगा.

माघ स्नान करके ग्रहण काल समाप्ति के बाद अगले दिन प्रातः काल स्नान कर करके भगवान् सत्यनारायण जी की कथा पूजा अर्चना करनी चाहिए. जिससे की ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है.

मासपर्यन्त स्नानासम्भवे तु त्रयहमेकाहं वा स्नायात्त्र।।

अर्थात् जो लोग लंबे समय तक स्वर्गलोक का आनंद लेना चाहते हैं, उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर तीर्थ स्नान अवश्य करना चाहिए.

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