माँ चन्द्रघण्टा मंत्र, ध्यान मंत्र, स्तोत्र और कवच

माँ चन्द्रघण्टा मंत्र – Maa Chandraghanta Mantra

माँ चंद्रघंटा माँ पार्वती का सुहागिन स्वरुप है. इस स्वरुप में माँ के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित है इसीलिए इनका नाम चन्द्र घंटा पड़ा. माँ चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है एवं उनको असीम शांति और वैभवता की प्राप्ति होती है. माँ चंद्रघंटा के ध्यान मंत्र, स्तोत्र एवं कवच पाठ से साधक का मणिपुर चक्र जागृत होता है जिससे साधक को सांसारिक कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है.

तीसरे नवरात्र के वस्त्रों का रंग एवं प्रसाद

नवरात्र के तीसरे दिन आप पूजा में हरे रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन “बृहस्पति सम्बंधित शांति पूजा” के लिए सर्वोत्तम दिन है. तीसरे नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई अथवा खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें। इससे जीवन में सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है

माँ चन्द्रघण्टा उपासना मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||

माँ चन्द्रघण्टा ध्यान

वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम्।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्॥
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्॥

माँ चन्द्रघण्टा स्तोत्र

आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

माँ चन्द्रघण्टा कवच

रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धारं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥

माँ चंद्रघंटा बीज मंत्र

माँ चंद्रघंटा का बीज मंत्र ऐं श्रीं शक्तयै नम: है।

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