लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024 – लक्ष्मी पूजन का समय, विधि मंत्र सहित

लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन 2024 में 31 अक्टूबर यानि दिवाली के दिन किया जाएगा। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024 के अनुसार, प्रदोष काल और निशीथ काल में पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दौरान लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र सहित करने से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अगर आप सही सामग्री की तलाश कर रहे हैं, तो लक्ष्मी पूजन सामग्री लिस्ट PDF में डाउनलोड कर सकते हैं ताकि पूजा में कोई कमी न रहे। लक्ष्मी पूजन का सही मुहूर्त चुनकर धन और समृद्धि का आह्वान किया जा सकता है।
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024

लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 31 अक्टूबर 2024

लक्ष्मी पूजन के दौरान, शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है, खासकर प्रदोष काल और निशीथ काल में। यहां लक्ष्मी पूजन 2024 के सभी प्रमुख मुहूर्त दिए गए हैं:

  1. लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024 प्रदोष काल:
    समय: शाम 5:55 PM से रात 8:30 PM
    यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि सूर्यास्त के बाद से रात्रि के प्रथम चरण तक का यह काल धन और समृद्धि के लिए अत्यधिक अनुकूल है।
  2. लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024 वृषभ काल:
    समय: शाम 6:10 PM से रात 8:10 PM
    वृषभ लग्न को लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि यह काल स्थिरता और धन वृद्धि का प्रतीक है।
  3. लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024 निशीथ काल:
    समय: रात 11:40 PM से 12:30 AM
    रात्रि के मध्य का यह समय भी लक्ष्मी पूजन के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए इस काल में पूजन करना शुभ होता है।

ये मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के दौरान संपन्न होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं, और सही समय पर पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

दिवाली पर कब करें लक्ष्मी पूजन ?

मुहूर्त का नाम समय विशेषता महत्व
प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय स्थिर लग्न होने से पूजा का विशेष महत्व
महानिशीथ काल मध्य रात्रि के समय आने वाला मुहूर्त माता काली के पूजन का विधान तांत्रिक पूजा के लिए शुभ समय

1.  देवी लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) में किया जाना चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब माता लक्ष्मी का पूजन किया जाना चाहिए। क्योंकि ये चारों राशि स्थिर स्वभाव की होती हैं। मान्यता है कि अगर स्थिर लग्न के समय पूजा की जाये तो माता लक्ष्मी अंश रूप में घर में ठहर जाती है।
2.  महानिशीथ काल के दौरान भी पूजन का महत्व है लेकिन यह समय तांत्रिक, पंडित और साधकों के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है। इस काल में मां काली की पूजा का विधान है। इसके अलावा वे लोग भी इस समय में पूजन कर सकते हैं, जो महानिशिथ काल के बारे में समझ रखते हों।

लक्ष्मी पूजन विधि – Lakshmi Pujan Vidhi 2024

माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। घर में सुख-समृद्धि बने रहे और मां लक्ष्मी स्थिर रहें इसके लिये दिनभर मां लक्ष्मी का उपवास रखने के उपरांत सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न (वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है) में मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिये। लग्न व मुहूर्त का समय स्थान के अनुसार ही देखना चाहिये।

स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस दिन संभव हो तो दिन में भोजन नहीं करना चाहिए। घर में शाम के समय पूजा घर में लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर तथा चावल रखकर स्थापित करना चाहिए। मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए।

इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना चाहिए। माता लक्ष्मीजी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार होना चाहिए। इसमें लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएँ विशेष प्रिय हैं। उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इनका उपयोग अवश्य करना चाहिए। वस्त्र  में इनका प्रिय वस्त्र लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है।

निचे दी गयी सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि- विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इनके साथ- साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, काली मां और कुबेर देव की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 11 छोटे दीप तथा एक बड़ा दीप जलाना चाहिए।

लक्ष्मी पूजन सामग्री लिस्ट pdf – Lakshmi Puja Samagri List Pdf

मां लक्ष्मी की पूजा में कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश के लिए आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन पूजन सामग्री का इस्तेमाल करें |

लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र सहित – Lakshmi Pujan Mantra

  1. दीपावली पूजन आरंभ करें पवित्री मंत्र से

ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥

इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं।

2. आचमन करें ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं।

3. इस मंत्र से आसन शुद्ध करेंऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥

4. अब चंदन लगाएं – अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठ सर्वदा।

5. दीपावली पूजन के लिए संकल्प मंत्र

बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता इसलिए संकल्प करें। पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें-

ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2075, तमेऽब्दे विरोधकृत नाम संवत्सरे दक्षिणायने हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ बुधवासरे स्वाति नक्षत्रे आयुष्मान योगे चतुष्पाद करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।

6. कलश की पूजा करें

कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश में सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें।

ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)

7. दीपावली गणेश पूजा मंत्र विधि

नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें। मंत्र बोलें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

8. आवाहन मंत्र- हाथ में अक्षत लेकर बोलें –ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। अक्षत पात्र में अक्षत छोड़ें।

9. पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र –

एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। इस मंत्र से चंदन लगाएं: इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसके बाद- इदम् श्रीखंड चंदनम् बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। अब सिन्दूर लगाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं। इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

10. गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं

इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: – इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। इसके बाद पान सुपारी दें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:।

कलश पूजन के बाद सभी कुबेर और इंद्र सहित सभी देवी देवता की पूजा गणेश पूजन की तरह करें। बस गणेश जी के स्थान पर संबंधित देवी-देवताओं के नाम लें।

11. दीपावली लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र

सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करेंः – ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।

अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। अब लक्ष्मी देवी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं।

12. देवी लक्ष्मी की अंग पूजा

बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाएं— ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि।

13. अष्टसिद्धि पूजन मंत्र और विधि

अंग पूजन की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्र बोलें। ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:।

14. अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र और विधि

अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें। ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:

15. प्रसाद अर्पित करने का मंत्र

“इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें। मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं:- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि। अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम:।

लक्ष्मी देवी की पूजा के बाद भगवान विष्णु एवं शिव जी पूजा करने का विधान है। व्यापारी लोग गल्ले की पूजा करें। पूजन के बाद क्षमा प्रार्थना और आरती करें।

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यहाँ दीपावली पर लक्ष्मी पूजन से संबंधित 7 सामान्य प्रश्नों का FAQ दिया गया है, जो गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किए जाते हैं:

1. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन कब किया जाता है?

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन मुख्य रूप से अमावस्या की रात को किया जाता है, जो धनतेरस के तीसरे दिन पड़ती है। यह दिन धन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

2. लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है?

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त आमतौर पर प्रदोष काल और निशीथ काल में होता है, जो सूर्यास्त के बाद और मध्य रात्रि से पहले का समय है। सही समय हर साल पंचांग के अनुसार बदलता है।

3. लक्ष्मी पूजन के लिए कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए?

लक्ष्मी पूजन में मुख्य रूप से ‘ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः’ और ‘ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री महालक्ष्म्यै नमः’ जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है।

4. लक्ष्मी पूजन की विधि क्या है?

लक्ष्मी पूजन की विधि में देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की मूर्तियों की स्थापना करके दीप, धूप, नैवेद्य, और पुष्पों से पूजन किया जाता है। इसके साथ ही मंत्रोच्चारण और आरती की जाती है।

5. लक्ष्मी पूजन सामग्री में क्या-क्या चाहिए?

लक्ष्मी पूजन सामग्री में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, कलश, नारियल, रोली, चावल, घी, दीपक, धूप, फूल, मिठाई, सिक्के और पान आदि आवश्यक होते हैं। सामग्री की पूरी सूची PDF के रूप में भी मिल सकती है।

6. क्या लक्ष्मी पूजन केवल व्यापारी करते हैं?

नहीं, लक्ष्मी पूजन न केवल व्यापारी बल्कि हर कोई करता है, जो अपने घर या व्यवसाय में धन और समृद्धि का आह्वान करना चाहता है। यह पूजा सभी के लिए शुभ मानी जाती है।

7. लक्ष्मी पूजन क्यों किया जाता है?

लक्ष्मी पूजन का उद्देश्य देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना है, जो धन, वैभव, और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। दीपावली के दिन यह पूजा विशेष रूप से की जाती है ताकि घर-परिवार में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहे।

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