लक्ष्मी पूजा – लक्ष्मी पूजा की विधि
जानिए लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र सहित, लक्ष्मी पूजन का समय, लक्ष्मी पूजन कसे करावे, लक्ष्मी पूजन मंत्र और लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त इस पोस्ट में – दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजा (Lakshmi Puja) करने का विशेष विधान है। लक्ष्मी पूजा और लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय करने से साधक पर वर्ष भर धन, वैभव की देवी मां लक्ष्मी की कृपा रहती है। दीपावली के पर्व पर सदैव माता लक्ष्मी के साथ गणेश भगवान् की पूजा की जाती है, इसका कारण यह है कि दीपावली धन, समृद्धि तथा ऐश्वर्य का पर्व है तथा लक्ष्मी धन की देवी है।
इसके साथ ही यह भी सर्वविदित है कि, बिना बुद्धि के धन व्यर्थ है। धन-दौलत की प्राप्ति के लिये देवी लक्ष्मी तथा बुद्धि की प्राप्ति के लिये श्री गणेश की पूजा की जाती है तथा धनपति कुबेर धन संग्रह में सहायक होते हैं। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही दीपावली की रात गणेश लक्ष्मी के साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है। आइये जानते है की लक्ष्मी पूजा कैसे करते हैं क्या है लक्ष्मी पूजा की विधि और महालक्ष्मी पूजा में किन किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए
लक्ष्मी पूजा की विधि – लक्ष्मी पूजा कैसे करें
दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में घर में या दुकान में, पूजा घर में, उत्तर दिशा की तरफ मुख कर बैठ जाये।
एक विशेष बात जानें कि पूजन के लिए दिन के समय पूर्व की तरफ तथा रात के समय उत्तर दिशा की और मुख कर बैठना चाहिए।
उत्तर दिशा की तरफ मुंह कर गर्म कपड़े से बने आसन पर बैठ जाये फिर आचमन तथा प्राणायाम कर अपने सम्मुख एक चौकी या बाजोट रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाकर केसर से स्वस्तिक बना दें।
हल्दी पाउडर से रंगे पीले चावलों से अष्टदल बनाकर उस पर भगवान गणेश की सोने या चांदी की प्रतिमा या मनमोहक तस्वीर की स्थापना कर दे।
भगवान् गणेश के दाहिने तरफ देवी लक्ष्मी की सोने की या चांदी की मूर्ति या मनमोहक चित्र स्थापित कर दें, चित्र को पुष्पमाला पहनाएं।
श्री लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के पास ही किसी पवित्र पात्र में केसर युक्त चन्दन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर द्रव्य लक्ष्मी यानी रुपयों को भी स्थापित कर दें। ध्यान रखे कि मां लक्ष्मी की पूजा के साथ द्रव्य लक्ष्मी की पूजा भी एक साथ करनी चाहिए।
एक पात्र में हल्दी की गाठें, साबुत धनियां, कमलगट्टा, अक्षत, दूर्वा तथा कुछ द्रव्य रखकर उसकी चौकी पर रख दें।
इसके पश्चात् धूप, अगरबत्ती तथा 5 दीप शुद्ध घी के तथा अन्य दीप तिल के तेल से प्रज्जवलित करें।
जल से भरा कलश भी चौकी पर रखें। कलश में मोली बांधकर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें।
फिर श्री गणेश, देवी लक्ष्मी को तिलक करें तथा पुष्प अर्पित करें।
फिर हाथ में पुष्प, अक्षत, सुपारी, सिक्का तथा जल लेकर भगवान गणेश, महालक्ष्मी तथा कुबेर देव सहित सभी देवों देवताओं की पूजा का संकल्प करें। उनका आव्हान करें।
भगवान् श्री गणेश तथा मां लक्ष्मी की प्रतिमा की प्रतिष्ठाकर उनका षोडशोपचार पूजन करें।
उसके पश्चात् नवग्रह पूजन, षोडश मातृका तथा कलश पूजन कर प्रधान पूजा में मां लक्ष्मी का पूजन करें। धूप, दीप, नैवेद्य अर्पण करें। पान, सुपारी, दक्षिणा आदि अर्पण करें।
इसके बाद आप तिल्ली के तेल में या शुद्ध घी में सिंदूर मिलाकर अपने घर के मुख्य द्वार पर तथा अपने व्यापार स्थल के बाहर ‘ऊँ श्री गणेशाय नमः, स्वस्तिक का चिन्ह, शुभ-लाभ आदि लिखें तथा उनकी ऊँ देहली विनायकाय नमः मंत्र से गंध, पुष्पादि से पूजन करें।
इसी प्रकार अब आप स्याही युक्त दवात की पूजा करें। उस पर केसर से स्वस्तिक बना दे तथा उस पर मोली लपेट दे। ॐ श्री महाकाल्ये नमः‘ से गंध, पुष्पादि से पूजन करें।
अब आप लेखनी पूजन करें। अर्थात् आप लिखने के पेन इत्यादि पर मोली बांधकर ऊँ लेखनी स्थाये देव्ये नमः” मंत्र से गंध, पुष्पादि से पूजन करें।
अब आप अपने बही खातों की पूजा करें। उसमें केसर से स्वस्तिक बनाये तथा ॐ श्री सरस्वत्ये नमः मंत्र से गंध, पुष्पादि से पूजा करें।
इसके बाद आप अपनी तिजोरी की पूजा करें। तिजोरी में केसर से स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर भगवान् कुबेर का आव्हान करें तथा ‘ॐ कुबेराय नमः‘ मंत्र का से गंध, पुष्पादि से पूजन करें। धूप, दीप तथा नैवेद्य अर्पण करें।
पूजा में रखी हुई हल्दी की गांठे, साबुत धनिया, कमलगट्टा इत्यादि अपनी तिजोरी में रख दें। इसी प्रकार गंध, पुष्पादि से तुला पूजन करें।
इसके बाद दीपमालिका पूजन करें। इसके लिए किसी पात्र में 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्जवलित कर महालक्ष्मी के समीप रखकर उस दीप ज्योति का ‘ ऊँ दीपावल्ये नमः‘ मंत्र से गंधादि उपचारों द्वारा पूजन करें।
दीपमालिकाओं का पूजन कर अपने आचार के अनुसार संतरा, ईख, पानीफल, धान का लावा इत्यादि पदार्थ चढ़ाये।
धानका लावा (खील) भगवान् श्री गणेश को, श्री महालक्ष्मी को, कुबेर देवता को तथा अन्य सभी देवी-देवताओं को भी अर्पित करें।
अन्त में अन्य सभी दीपकों को प्रज्जवलित कर सम्पूर्ण गृह को दीपकों अलन्कृत करें।
अब आप भगवान् श्री गणेश, माता महालक्ष्मी तथा भगवान् जगदीश्वर की आरती पूरे परिवार सहित करें।
उसके बाद अपनी मनोकामना का ध्यान करते हुए, अपनी दरिद्रता को दूर करने की प्रार्थना करते हुए पुष्पांजलि अर्पित करें, क्षमा प्रार्थना करें।
अपने लिए धन में वृद्धि, अन्न में वृद्धि, वंश में वृद्धि, सुख-ऐश्वर्य में वृद्धि की मंगल कामना करें।
पूजा के अन्त में हाथ में अक्षत लेकर नूतन गणेश तथा महालक्ष्मी की प्रतिमा को छोड़कर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित तथा पूजित देवताओं को अक्षत छोड़ते हुए विसर्जित करें।
ध्यान रखें कि दीपावली की रात को मंदिर, तुलसी माता, पीपल आदि के पास दीपक जलाना सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है तथा महालक्ष्मी पूजा में तिल का तेल का उपयोग ही श्रेष्ठ होता है। अभाव में सरसों का तेल का उपयोग ही श्रेष्ठ होता है।
दीपावली के दिन सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में सही विधि-विधान से लक्ष्मी का पूजन कर लिया जाएं तो अगली दीपावली तक लक्ष्मी कृपा से घर में धन तथा धान्य की कमी नहीं आती है। तो आइये जानते हैं कुछ चमत्कारी उपायों को जिनको करके आप कर सकते हैं मां लक्ष्मी को प्रसन्न ।
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लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय
- दीपावली पर लक्ष्मी पूजा में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजा पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है।
- दीपावली के दिन संभव हो सके तो किसी किन्नर से खुशी से एक रुपया लें तथा इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।
- दीपावली के दिन घर से निकलते ही यदि कोई सुहागन स्त्री लाल रंग की पारंपरिक ड्रेस में दिख जाएं समझ लें आप पर महालक्ष्मी की कृपा होने वाली है। यह एक शुभ शगुन है। ऐसा होने पर किसी जरूरतमंद सुहागन स्त्री को सुहाग की सामग्री दान करें।
- दीपावली की रात में लक्ष्मी तथा कुबेर देव का पूजन करें तथा यहां दिए मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें- मंत्र- ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा ।
- दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के बाद घर के सभी कमरों में शंख तथा घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर आती है।
- महालक्ष्मी के पूजन में गोमती चक्र भी रखना चाहिए। गोमती चक्र भी घर में धन संबंधी लाभ दिलाता है।
- तेल का दीपक जलाएं तथा दीपक में एक लौंग डालकर हनुमान की आरती करें। किसी हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी लगा सकते हैं।
- रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं तथा घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।
- दीपावली के दिन अशोक के पेड़ के पत्तों से वंदनद्वार बनाएं तथा इसे मुख्य दरवाजे पर लगाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी।