केतु अष्टोत्तर शतनामावलि – श्री केतु के 108 नाम और बीज मंत्र

 

केतु बीज मन्त्र  – Ketu Beej Mantra Mp3 Free Download

Ketu Beej Mantra – केतु ग्रह की शुभता के लिए प्रस्तुत है मंत्र, ग्रहों के बीज मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी मंत्र की शक्ति उसके बीज मंत्र में समाहित होती है। केतु महादशा के निवारण के लिए और केतु ग्रह की शांति हेतु मंत्र के साथ केतु से संबंधित वस्तुओं का दान बुधवार या मंगलवार के दिन से शुरू करना चाहिए.

केतु बीज मन्त्र  Ketu Beej Mantra

ॐ स्राँ स्रीं स्रौं सः केतवे नमः ||

ॐ केतवे नमः ||

ॐ स्थूलशिरसे नमः ||

ॐ शिरोमात्राय नमः ||

ॐ ध्वजाकृतये नमः ||

ॐ नवग्रहयुताय नमः ||

ॐ सिंहिकासुरीगर्भसंभवाय नमः ||

ॐ महाभीतिकराय नमः ||

ॐ चित्रवर्णाय नमः ||

ॐ श्रीपिङ्गलाक्षकाय नमः ||

ॐ फुल्लधूम्रसंकाषाय नमः ||१०

ॐ तीक्ष्णदंष्ट्राय नमः ||

ॐ महोदराय नमः ||

ॐ रक्तनेत्राय नमः ||

ॐ चित्रकारिणे नमः ||

ॐ तीव्रकोपाय नमः ||

ॐ महासुराय नमः ||

ॐ क्रूरकण्ठाय नमः ||

ॐ क्रोधनिधये नमः ||

ॐ छायाग्रहविशेषकाय नमः ||

ॐ अन्त्यग्रहाय नमः ||२०

ॐ महाशीर्षाय नमः ||

ॐ सूर्यारये नमः ||

ॐ पुष्पवद्ग्राहिणे नमः ||

ॐ वरहस्ताय नमः ||

ॐ गदापाणये नमः ||

ॐ चित्रवस्त्रधराय नमः ||

ॐ चित्रध्वजपताकाय नमः ||

 ॐ घोराय नमः ||

ॐ चित्ररथाय नमः ||

ॐ शिखिने नमः ||३०

ॐ कुलुत्थभक्षकाय नमः ||

ॐ वैडूर्याभरणाय नमः ||

ॐ उत्पातजनकाय नमः ||

ॐ शुक्रमित्राय नमः ||

ॐ मन्दसखाय नमः ||

ॐ गदाधराय नमः ||

ॐ नाकपतये नमः ||

ॐ अन्तर्वेदीश्वराय नमः ||

ॐ जैमिनिगोत्रजाय नमः ||

ॐ चित्रगुप्तात्मने नमः ||४०

ॐ दक्षिणामुखाय नमः ||

ॐ मुकुन्दवरपात्राय नमः ||

ॐ महासुरकुलोद्भवाय नमः ||

ॐ घनवर्णाय नमः ||

ॐ लम्बदेवाय नमः ||

ॐ मृत्युपुत्राय नमः ||

ॐ उत्पातरूपधारिणे नमः ||

ॐ अदृश्याय नमः ||

ॐ कालाग्निसंनिभाय नमः ||

ॐ नृपीडाय नमः ||५०

ॐ ग्रहकारिणे नमः ||

ॐ सर्वोपद्रवकारकाय नमः ||

ॐ चित्रप्रसूताय नमः ||

ॐ अनलाय नमः ||

ॐ सर्वव्याधिविनाशकाय नमः ||

ॐ अपसव्यप्रचारिणे नमः ||

ॐ नवमे पापदायकाय नमः ||

ॐ पंचमे शोकदाय नमः ||

ॐ उपरागखेचराय नमः ||

ॐ अतिपुरुषकर्मणे नमः ||६०

ॐ तुरीये सुखप्रदाय नमः ||

ॐ तृतीये वैरदाय नमः ||

ॐ पापग्रहाय नमः ||

ॐ स्फोटककारकाय नमः ||

ॐ प्राणनाथाय नमः ||

ॐ पञ्चमे श्रमकारकाय नमः ||

ॐ द्वितीयेऽस्फुटवग्दात्रे नमः ||

ॐ विषाकुलितवक्त्रकाय नमः ||

ॐ कामरूपिणे नमः ||

ॐ सिंहदन्ताय नमः ||७०

ॐ कुशेध्मप्रियाय नमः ||

ॐ चतुर्थे मातृनाशाय नमः ||

ॐ नवमे पितृनाशकाय नमः ||

ॐ अन्त्ये वैरप्रदाय नमः ||

ॐ सुतानन्दन्निधनकाय नमः ||

ॐ सर्पाक्षिजाताय नमः ||

ॐ अनङ्गाय नमः ||

ॐ कर्मराश्युद्भवाय नमः ||

ॐ उपान्ते कीर्तिदाय नमः ||

ॐ सप्तमे कलहप्रदाय नमः ||८०

ॐ अष्टमे व्याधिकर्त्रे नमः ||

ॐ धने बहुसुखप्रदाय नमः ||

ॐ जनने रोगदाय नमः ||

ॐ ऊर्ध्वमूर्धजाय नमः ||

ॐ ग्रहनायकाय नमः ||

ॐ पापदृष्टये नमः ||

ॐ खेचराय नमः ||

ॐ शाम्भवाय नमः ||

ॐ अशेषपूजिताय नमः ||

ॐ शाश्वताय नमः ||९०

ॐ नटाय नमः ||

ॐ शुभाशुभफलप्रदाय नमः ||

ॐ धूम्राय नमः ||

ॐ सुधापायिने नमः ||

ॐ अजिताय नमः ||

ॐ भक्तवत्सलाय नमः ||

ॐ सिंहासनाय नमः ||

ॐ केतुमूर्तये नमः ||

ॐ रवीन्दुद्युतिनाशकाय नमः ||

ॐ अमराय नमः ||१००

ॐ पीडकाय नमः ||

ॐ अमर्त्याय नमः ||

ॐ विष्णुदृष्टाय नमः ||

ॐ असुरेश्वराय नमः ||

ॐ भक्तरक्षाय नमः ||

ॐ वैचित्र्यकपटस्यन्दनाय नमः ||

ॐ विचित्रफलदायिने नमः ||

ॐ भक्ताभीष्टफलप्रदाय नमः ||

||इति केतु अष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णम् ||

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