कलश स्थापना विधि
नवरात्री में कलश स्थापना में नारियल कैसे रखें, कलश स्थापना किस दिशा में करें, कलश स्थापना का समय, कलश स्थापना विधि क्या है आदि कई प्रश्न आपके मन में आते होंगे तो हम लाये है आपके सभी सवालो के जवाब
नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि- विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार से प्रारंभ होगा। शारदीय नवरात्रि का पर्व 11 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा।
कलश स्थापना
नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है। इससे देवी प्रसन्न होती हैं। कलश में ब्राह्मा, विष्णु और महेश और मातृगण का निवास माना जाता है। इसकी स्थापना से जातक को शुभ परिणाम मिलते हैं। नवरात्र संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ नौ रात है। इन नौ दिनों में उपवास रखकर दुर्गा देवी की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तसती का पाठ, दुर्गा स्त्रत्तेत और दुर्गा चालीसा के साथ राम चरितमानस का भी पाठ किया जाता है। भक्ति भाव से आराधना करने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं। उन्होंने बताया इस बार माता पालकी में आ रहीं हैं। नवरात्र की शुरूआत गुरुवार अथवा शुक्रवार से होती है, तो माना जाता है कि माता पालकी या डोली में आ रहीं हैं।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 2024
इस बार कलश स्थापना का समय सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस तरह कलश स्थापना का समय कुल 1 घंटा 6 मिनट रहेगा। इसके अलावा कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी की जा सकती है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। यानि 47 मिनट का समय मिलेगा।
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कलश स्थापना विधि
नवरात्रि में कलश स्थापना देव-देवताओं के आह्वान से पूर्व की जाती है। कलश स्थापना करने से पूर्व आपको कलश को तैयार करना होगा जिसकी सम्पूर्ण विधि इस प्रकार है…
- सबसे पहले मिट्टी के बड़े पात्र में थोड़ी सी मिट्टी डालें। और उसमे जवारे के बीज डाल दें।
- अब इस पात्र में दोबारा थोड़ी मिटटी और डालें। और फिर बीज डालें। उसके बाद सारी मिट्टी पात्र में डाल दें और फिर बीज डालकर थोड़ा सा जल डालें।
(ध्यान रहे इन बीजों को पात्र में इस तरह से लगाएं कि उगने पर यह ऊपर की तरफ उगें। यानी बीजों को खड़ी अवस्था में लगाएं और ऊपर वाली लेयर में बीज अवश्य डालें।) - अब कलश और उस पात्र की गर्दन पर मौली बांध दें। साथ ही तिलक भी लगाएं।
- इसके बाद कलश में गंगा जल भर दें।
- इस जल में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का भी दाल दें।
- अब इस कलश के किनारों पर 5 अशोक के पत्ते रखें और कलश को ढक्कन से ढक दें।
- अब एक नारियल लें और उसे लाल कपड़े या लाल चुन्नी में लपेट लें। चुन्नी के साथ इसमें कुछ पैसे भी रखें।
- इसके बाद इस नारियल और चुन्नी को रक्षा सूत्र से बांध दें।
- तीनों चीजों को तैयार करने के बाद सबसे पहले जमीन को अच्छे से साफ़ करके उसपर मिट्टी का जौ वाला पात्र रखें। उसके ऊपर मिटटी का कलश रखें और
- फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रख दें। आपकी कलश स्थापना संपूर्ण हो चुकी है। इसके बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान करके विधिवत नवरात्रि पूजन करें। इस कलश को आपको नौ दिनों तक मंदिर में ही रखे देने होगा। बस ध्यान रखें सुबह-शाम आवश्यकतानुसार पानी डालते रहें।