मंगलवार आरती – Hanuman ji ki Aarti With Lyrics

Hanuman ji ki Aarti

मंगलवार आरती – Hanuman ji ki Aarti

Hanuman ji ki Aarti in Hindi – शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी को मंगल ग्रह का नियंत्रक भी कहा जाता है। इनकी पूजा-अर्चना (Hanuman ji ki Aarti Lyrics) से मात्र सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जो कोई भी भक्त इनकी सच्चे मन से पाठ (Hanuman ji ki Aarti) करता है वो हर किसी मुसीबत से सुरक्षित हो जाता है। किसी भी भगवान की पूजा के बाद उनकी आरती करने के बाद ही पूजा को सम्पूर्ण माना जाता है।

Hanuman ji ki Aarti Lyrics – मंगलवार आरती

आज मंगलवार है, महावीर का वार है

ये सच्चा दरबार है, सच्चे मन से जो कोई ध्यावे, उसका बेडा पार है

चैत सुदी पूनम मंगल का, जन्म वीर ने पाया है

लाल लंगोट, गदा हाथ मे, सिर पर मुकट सजाया है

शंकर का अवतार हे, महावीर का वार है

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे.

ब्रह्माजी के ब्रह्म ज्ञान का, बल भी तुमने पाया है

राम काज शिवशंकर ने, वानर का रूप धारया है

लीला अपरम्पार है, महावीर का वार है

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे.

बालापन में महावीर ने, हरदम ध्यान लगाया है.

श्राप दिया ऋषियों ने तुमको, ब्रह्म ध्यान लगाया है.

राम नाम आधार है महावीर का वार है.

सच्चे मन से…….

राम जन्म हुआ अयोध्या में, कैसा नाच दिचाया है

कहा राम ने लक्ष्मण से, यह वानर मन को भाया है

राम चरण से प्यार है  महावीर का वार है

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे….

पंचवटी से माता को जब, रावण लेकर आया है

लंका मे जाकर तुमने, माता का पता लगाया है

अक्षय को मार हे, महावीर का वार है

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे….

मेघनाथ ने ब्रह्मपाश मे, तुमको आन फंसया है

ब्रह्मपाश मे फंस करके, ब्रह्मा का मान बढाया है

बजरंग बाकी मार है  महावीर का वार है

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे….

लंका जलाई आपने जब, रावण भी घबराया है

श्री रामलखन को आकर, माँ का सन्देश सुनाया है

सीता शोक अपार हे, महावीर का वार है

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे.

शक्ति-बाण लग्यो लक्ष्मण के, बूटी लाने धाये है

संजीवन बूटी लाकर, लक्ष्मण के प्राण बचाए है

राम-लखन का प्यार हे, महावीर का वार है

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे.

राम चरण मे महावीर ने, हरदम ध्यान लगाया है

राम तिलक मे महावीर ने, सीना फाड़ दिखाया है

सीने मे सीता राम हे, मन मे प्रेम अपार है

सच्चे मन से ध्यान लगा लो.. तेरा बेडा पार है

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे.

श्री मंगल जी की आरती हनुमत सहितासु गाई

होइ मनोरथ सिद्ध जब अन्त विष्णुपुर जाई

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