गंगश्याम जी मंदिर,जोधपुर

गंगश्याम जी का मंदिर जोधपुर, राजस्थान में स्थित है | यह मंदिर शहर के भीतर जूनी मंडी में है |

तिहास

जोधपुर के राजा सुजाजी के सुपुत्र बांधाजी राठौड़ के दो पुत्र थे | एक तो श्री वीरम जी और दुसरे श्री गांगाजी जो बड़े ईश्वर भक्त थे, गांगाजी की शादी सिरोही राज्य के देवड़ा वंश के चौहान गौत्र में राव लाखाजी के सुपुत्र जग्मालजी की सुपुत्री पद्मावती से संवत १५६९ में हुई | पद्मावती श्री श्यामजी की अनन्य भक्त थी,यहाँ तक की बगैर श्यामजी के पूजन किये अन्न जल भी नहीं लेती थी | जब शादी के बाद पद्मावती ससुराल के लिए रवाना होने लगी तो उसने गांगाजी से कहा की में तो श्याम के दर्शन किये बगैर अन्न जल कुछ भी नहीं ले सकती , तब गांगाजी को बड़ी चिंता हुई उसी रात्रि को गांगाजी को स्वप्न में श्याम ने कहा की तुम चिंता फिक्र मत करो, मैं तुम्हारे साथ जोधपुर चलूँगा | सुबह होते ही अब राव लाखाजी ने दहेज़ में खूब धन दौलत देकर विदा करने की सोची , तब गांगाजी ने लेने से इंकार कर दिया, तो लाखाजी ने उन्हें प्रसन्न करने के लिए वचन दिया की आप जो मांगोगे वही दूंगा | इस पर गांगाजी ने श्याम की मूर्ति मांगी पहले तो लाखाजी को सुनकर बड़ा दु :ख हुआ किन्तु करते भी क्या आखिर अपने दामाद को वचन जो दिया,तो उन्होंने कहा की आप श्याम से जाकर स्वयम महल में पूंछ ले की अगर वे आपके साथ चले तो मैं इंकार नहीं करता | इस पर श्याम ख़ुशी ख़ुशी पैदल उनके साथ जोधपुरर रवाना हो गए उनके साथ उनके पुजारी शाकद्वीपीय ब्राह्मण जीवराजजी भी साथ आये | गांगाजी श्याम को लाये इसलिए इनका नाम जब से गंगश्याम जी पुकारा जाने लगा | श्री गंगश्याम जी महाराज संवत 1567 से 1735 संवत तक जोधपुर गढ में विराजमान रहे, फिर संवत 1736 से 1763 तक जोधपुर खालसे में रहने से जोधपुर में शाकद्वीपीय ब्राहमण (सेवको) के घर पर ही विराजमान रहे | तत्पश्चात महाराज श्री अजीतसिंहजी को जोधपुर राज्य वापिस किया तब संवत 1755 से जोधपुर में धानमंडी में पन्च देवरियो नामकमंदिर में विराजमान रहे और फिर संवत 1811 में महाराज विजयसिंहजी ने एक लाख रुपये की बोलवा की थी सी गनीम हापा को हराकर संवत 1818 माघ सुदी पंचमी (बसंत पंचमी ) को पन्च देवरिया मंदिर के सामने ही बहुत विशाल मंदिर की प्रतिष्टा हुई , जहाँ आज विराजमान हैं | श्री गंगश्याम जी को जो भक्ति भाव से ध्यान करता हैं उसकी इच्छा पूर्ण हुई हैं |

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