धनतेरस 2024 – धनतेरस पूजा विधि, धनतेरस शुभ मुहूर्त 2024

धनतेरस 2024 | Dhanteras 2024

सभी के मन में धनतेरस कब है, धनतेरस पूजा विधि क्या है, धनतेरस के दिन क्या खरीदना चाहिए, धनतेरस पर कितने दीपक जलाते हैं, धनतेरस का मुहूर्त कब है और धनतेरस क्यों मनाया जाता है जैसे प्रश्न सहज ही आते होंगे तो उन सभी सवालो का जवाब आपको आज इस पोस्ट में मिल जायेगा।

दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार छोटी दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता हैं जो कई धन के देवता कुबेर जी की पूजा की जाती है, और इस दिन लोग बाजारों से नये सामान की खरीदारी करते हैं इस दिन कई लोग तो बड़े साधन का विधि विधान से महूर्त कर के अपने घर लाते हैं, इस दिन कोई भी सामान लेना बहुत ही शुभ माना जाता हैं।

धनतेरस कब है | dhanteras kab hai

Dhanteras 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Date and Auspicious Time) कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी

धनतेरस
धनतेरस

धनतेरस क्यों मनाया जाता है | Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai

धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी या धन्वन्तरि जयन्ती भी होती है। जो आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। धनतेरस हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है। इस दिन लोग नई चीजें अपने घर लातें है साथ ही इस दिन श्री गणेश और लक्ष्मी घर लाएं जाते है। इस दिन की मान्यता है कि इस दिन कोई किसी को उधार नही देता है। इसलिए सभी नई वस्तुएं लातें है। इस दिन लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ-साथ यमराज की भी पूजा की जाती है। इस दिन की बहुत अधिक महत्व है।

धनतेरस का महत्व | Dhanteras Ka Mahatva

  • साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है।
  • शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है।
  • सात धान्य गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है।
  • सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है।
  • इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है।
  • साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है।

धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था, धनवंतरी देव, देवताओं के चिकित्सकों के देव है, यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है, धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है –

धनतेरस पूजा विधि | Dhanteras Puja Vidhi

धनतेरस की पूजा सही प्रकार तथा सही विधि में करनी चाहिए. इससे घर में सुख-शांति में अनुभव होता है तथा घर में धन की कमी नही होती. साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है। शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है।

धनतेरस के दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर की पूजा करें. इसके बाद देव कुबेर को फूल चढाएं, अब भगवान कुबेर का ध्यान करें और बोलें कि – हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर हम आपका ध्यान करते हैं. इसके बाद भगवान कुबेर का धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करें और मन्त्र पढ़े।

‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।’

धनतेरस का मुहूर्त कब है | Dhanteras Muhurat 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार, Dhanteras 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Date and Auspicious Time) कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी

धनतेरस का शुभ मुहूर्त

  • धनतेरस पूजा मुहूर्त – शाम 06 बजकर 31 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
  • प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 38 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
  • वृषभ काल – शाम 06 बजकर 31 मिनट से 09 बजकर 27 मिनट तक
  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक

धनतेरस की पौराणिक कथा | Dhanteras ki Katha

एक जमाने में एक राजा हुआ करते थे. जिनका नाम हेम था। दैव कृपा के कारण उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुयी थी. जब उनके पुत्र की ज्योंतिषियों द्वारा बनवाई गयी तो उससे पता चला की बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी. जब राजा को यह बात पता चली तो उसे बहुत दुःख हुआ. इसलिए राजा ने अपने पुत्र को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े.

दैवयोग से एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजर रही थी तभी राजकुमार ने राजकुमारी को देखा और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया. जब उन दोनों ने विवाह कर लिया तो विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे. जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा. इसके बाद यमदूत ने यमराज से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु के लेख से मुक्त हो जाए. तब यमराज बोले कार्तिक कृष्ण पक्ष की रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं |

धनतेरस पर कितने दीपक जलाते हैं

धनतेरस के दिन दीप दान का बहुत अधिक महत्व है। दीप दान करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है और उसका जीवन खुशहाल बनता है। दक्षिण दिशा में यम का दीपदान बहुत जरूरी माना जाता है। धनतेरस के दिन घर के हर महत्वपूर्ण कोने में दिये जलाए जाते हैं परन्तु इनकी संख्या 13 हो तो सर्वोत्तम है।

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कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व 

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस की पूजा के साथ ही दीपावली के आयोजन शुरू हो जाते हैं। कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व होता है क्योंकि धारणा है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है। लक्ष्मी के पैरों के संकेत के तौर पर रंगोली से घर के अंदर तक छोटे छोटे पैरों के चिह्न बनाए जाते हैं। शाम को 13 दिए जला कर लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है। इस दिन कारोबारी व व्यवसायी अपने पुराने बही खातों को बंद कर नए खातों की शुरुआत करते हैं |

धनतेरस के टोटके 

धनतेरस के दिन पांच रुपए का साबुत धनिया खरीदें। इसे संभालकर पूजा घर में रख दें। दीपावली की रात लक्ष्मी माता के सामने साबुत धनिया रखकर पूजा करें। अगले दिन प्रातः साबुत धनिया को गमले में या बाग में बिखेर दें। माना जाता है कि साबुत धनिया से हरा भरा स्वस्थ पौधा निकल आता है तो आर्थिक स्थिति उत्तम होती है।

धनतेरस में क्या खरीदना चाहिए

धनतेरस के दिन क्या खरीदना चाहिए – लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है. इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है |

धनतेरस के दिन क्‍या न ख़रीदे?

वैसे तो धनतेरस के दिन नए सामान की ख़रीदारी शुभ मानी जाती है, लेकिन मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन लोगों को कुछ चीजों को खरीदने से बचना चाहिए। धनतेरस के दिन काले रंग की चीजें नहीं खरीदनी चाहिए। हिन्‍दू धर्म में काले रंग को अशुभ माना जाता है। ऐसे में धनतेरस के दिन काले रंग की वस्तुएँ न खरीदें। इस दिन कोई भी नुकीली चीज जैसे कि कैंची और चाकू नहीं खरीदना चाहिए। मान्‍यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन कांच का सामान नहीं खरीदना चाहिए।

धनतेरस के दिन ज़रूर बरतें ये सावधानियां?

वैसे तो धनतेरस का दिन बहुत ही शुभ होता है, लेकिन इस दिन व्यक्ति को कुछ सावधनियां ज़रूर बरतनी चाहिए। घर की साफ-सफाई का काम धनतेरस से पहले ही पूरा कर लें। धनतेरस के दिन साफ़ घर में ही भगवान धन्‍वंतरि, माता लक्ष्‍मी और कुबेर भगवान का स्वागत करें। धनतेरस के दिन दिन उधार लेना या उधार देना सही नहीं माना जाता है, इसीलिए इस बात का खास ध्यान रखें। धनतेरस के दिन यदि आप कोई बर्तन खरीदते हैं तो घर लाते समय उसे बिलकुल भी खाली न लाएं और उसमें कुछ मीठा ज़रूर डालें। धनतेरस के दिन तिजोरी में अक्षत रखते समय इस बात का ध्‍यान रखें कि अक्षत खंडित न हों। कभी भी तिजोरी में टूटे हुए अक्षत नहीं रखने चाहिए।

धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना चाहिए या नहीं

धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का प्रचलन है। कहा जाता है कि झाड़ू इससे वर्षभर के लिए घर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है। इस दिन झाडू खरीदना चाहिए क्योंकि यह बहुत ही शुभ माना गया है क्योंकि इससे घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।

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