अध्यात्म

दैवासुर सम्पद विभाग योग – Daivasur Sampad Vibhag Yoga – गीता अध्याय -16

गीता अध्याय -16 दैवासुर सम्पद विभाग योग – Daivasur Sampad Vibhag Yoga फलसहित दैवी और आसुरी संपदा का कथन: श्रीभगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः। दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्‌॥  भावार्थ : श्री भगवान […]

पुरुषोत्तमयोग – Purushottma Yoga – गीता अध्याय -15

गीता अध्याय -15 पुरुषोत्तमयोग – Purushottma Yoga संसार वृक्ष का कथन और भगवत्प्राप्ति का उपाय : श्रीभगवानुवाच ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्‌ । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्‌ ॥  भावार्थ

गुणत्रय विभाग योग – Gunatray Vibhag Yoga – गीता अध्याय -14

गीता अध्याय -14 गुणत्रय विभाग योग – Gunatray Vibhag Yoga ज्ञान की महिमा और प्रकृति–पुरुष से जगत्‌ की उत्पत्ति: श्रीभगवानुवाच परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम्‌ । यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां

क्षेत्र क्षेत्रजना विभाग योग – Kshetra Kshetrajan Vibhag Yoga – अध्याय -13

गीता अध्याय -13 क्षेत्र क्षेत्रजना विभाग योग – Kshetra Kshetrajan Vibhag Yoga ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय –  श्रीभगवानुवाच इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते। एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः॥  भावार्थ

भक्ति योग – Bhakti Yoga – गीता अध्याय -12

भक्ति योग – Bhakti Yoga  भक्ति योग गीता के अनुसार – गीता अध्याय 12 – Bhagavad Gita Bhakti Yoga साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति

विश्वरूप दर्शन योग – Vishwa Roop Darshan Yoga – गीता अध्याय -11

गीता अध्याय -11 विश्वरूप दर्शन योग – Vishwa Roop Darshan Yoga अर्जुन उवाच मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्‌ । यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥  भावार्थ : अर्जुन बोले- मुझ पर अनुग्रह करने

विभूति योग – Vibhuti Yoga – गीता अध्याय -10

गीता अध्याय -10 विभूति योग – Vibhuti Yoga श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः । यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥  भावार्थ : श्री भगवान्‌ बोले- हे महाबाहो! फिर भी

राजविद्या राजगुह्य योग – Rajvidya Rajgruha Yoga – गीता अध्याय -9

गीता अध्याय -9 राजविद्या राजगुह्य योग – Rajvidya Rajgruha Yoga श्रीभगवानुवाच इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे । ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्‌ ॥  भावार्थ : श्री भगवान बोले- तुझ दोषदृष्टिरहित भक्त के

ज्ञान विज्ञान योग – Gyan Vigyan Yoga – गीता अध्याय -7

गीता अध्याय -7 ज्ञान विज्ञान योग – Gyan Vigyan Yoga श्रीभगवानुवाच मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः । असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ॥  भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे पार्थ! अनन्य

आत्मसंयमयोग – Atmasanyam Yoga – गीता अध्याय -6

गीता अध्याय -6 आत्मसंयमयोग – Atmasanyam Yoga कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ पुरुष के लक्षण: श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः । स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न

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