शत्रु बाधा हेतु बगलामुखी मंत्र साधना – Baglamukhi Sadhna
शत्रुनाशिनी श्री बगलामुखी (Baglamukhi) का परिचय भौतिकरूप में शत्रुओं का शमन करने की इच्छा रखने वाली तथा आध्यात्मिक रूप में परमात्मा की संहार शक्ति हैं। पीताम्बरा विद्या के नाम से विख्यात बगलामुखी की साधना (Baglamukhi Sadhna) प्रायः शत्रु भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए की जाती है।
जीवन में अमृतत्व प्राप्ति में चार बड़े विष हैं, जिनके रहते जीवन में आनन्द आ ही नहीं सकता, ये जीवन के चार विष हैं – 1. शत्रु बाधा, 2. कलह, 3. तिरस्कार, 4. भय। ये चारों स्थितियां विष हैं, और विष को अपने आप से दूर करने का, इस विष को नष्ट करने का एक मात्र उपाय है – ‘गुरु कृपा से बगलामुखी सिद्धि’।
भगवती बगलामुखी के ध्यान से स्पष्ट हो जाता है कि बगलामुखी अमृतत्व प्राप्ति के मार्ग में आने वाले शत्रु, कलह, तिरस्कार और भय (विष रूपी) को पूर्ण रूप से समाप्त कर देती हैं। देवी विरोधियों – शत्रुओं की वाणी एवं बुद्धि को ही कुंठित कर देती है, जिससेशत्रु आपके प्रति षड्यंत्र नहीं कर सकते।
वाणी का कीलन एवं बुद्धि का नाश कर देने से शत्रु आपके जीवन में बाधाएं, कलह एवं समस्याएं उत्पन्न नहीं कर सकते। बगलामुखी शत्रुओं की प्रगति, उन्नति ही समाप्त कर देती है। शत्रु पक्ष उसके भक्तों का तिरस्कार नहीं कर सकता और भय पैदा करने वाले शत्रुओं को अपने प्रहार से चूर-चूर कर समाप्त ही कर देती है अर्थात् मात्र बगलामुखी देवी की साधना-आराधना द्वारा जीवन की सभी बाधाओं और समस्याओं को समाप्त कर आनन्द एवं प्रसन्नतापूर्वक जीवन व्यतीत कर सकता है।
बगलामुखी साधना शत्रुओं पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की साधना है। साधना की प्रचण्डता और तीव्रता इतनी अधिक है, कि साधक जिस किसी को भी शत्रु मानता हो, उस पर उसे विजय प्राप्त होती ही है। यह आवश्यक नहीं कि शत्रु कोई व्यक्ति ही हो, जो भी व्यक्ति अथवा परिस्थिति आपके तनाव का कारण है, वही आपके शत्रु हैं।
इनकी आराधना मात्र से साधक के सारे संकट दूर हो जाते हैं, शत्रु परास्त होते हैं और श्री वृद्धि होती है। बगलामुखी का जप साधारण व्यक्ति भी कर सकता है, लेकिन इनकी तंत्र उपासना किसी योग्य व्यक्ति के सान्निध्य में ही करनी चाहिए।
बगलामुखी मंत्र साधना और सिद्धि – Baglamukhi Mantra hindi
- माँ बगलामुखी की फोटो , यंत्र व हल्दी की माला और पीले वस्त्र, पीला आसन और चौकी पर बिछाने के लिए पीला कपड़ा ये सामग्री आप बाज़ार से ले आये | माँ बगलामुखी की साधना में पीले वस्त्रों का प्रयोग करना अनिवार्य है |
- माँ बगलामुखी का बीज मंत्र 36 अक्षरों से मिलकर बना है | माँ बगलामुखी को 36 का अंक बहुत प्रिय है इसीलिए साधना में मंत्र जप की संख्या आप 3600 या 36000 ही रखे |
- माँ बगलामुखी की साधना रात्रि में की जानी चाहिए इसलिए रात्रि 09 बजे के बाद कोई भी समय निश्चित कर प्रतिदिन उसी समय पर साधना करें |
- निर्धारित किये मंत्र जप को आप 41 दिन में पूरा करें और प्रतिदिन मंत्र जप की संख्या समान रखे |
- दक्षिण दिशा की तरफ एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर माँ बगलामुखी की फोटो और यंत्र को स्थापित करें | अब आप फोटो के सामने पीला आसन बिछाकर व पीले वस्त्र पहनकर बैठ जाये |
- माँ बगलामुखी की फोटो के सामने चौकी के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाये | दीपक जलाये समय बत्ती पट लगाये |
- अब हाथ में जल लेकर संकल्प ले और हल्दी की माला द्वारा मंत्र जप आरम्भ करें | मंत्र जप पूर्ण होने के बाद फिर से हाथ में जल लेकर संकल्प ले |
- 41 दिनों तक एक समय और एक ही स्थान पर मंत्र जप करें | 41 दिन पूरे होने पर जितने मंत्र जप आपने इन दिनों में किये है उनके 10वें भाग से आहुति देकर हवन करें |
बगलामुखी संक्षिप्त साधना विधि – Baglamukhi Sadhna Vidhi
छत्तीस अक्षर के मंत्र का विनियोग ऋयादिन्यास, करन्यास, हृदयाविन्यास व मंत्र इस प्रकार है-
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विनियोग
ऊँ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषिः त्रिष्टुप छंदः श्री बगलामुखी देवता ह्लीं बीजं स्वाहा शक्तिः प्रणवः कीलकं ममाभीष्ट सिद्धयार्थे जपे विनियोगः।
ऋष्यादि न्यास-
नारद ऋषये नमः शिरसि, त्रिष्टुय छंद से नमः मुखे, बगलामुख्यै नमः,
ह्मदि, ह्मीं बीजाय नमः गुहये, स्वाहा शक्तये नमः पादयो, प्रणवः कीलकम नमः सर्वांगे।
हृदयादि न्यास
ऊँ ह्मीं हृदयाय नमः बगलामुखी शिरसे स्वाहा, सर्वदुष्टानां शिरवायै वषट्,
वाचं मुखं वदं स्तम्भ्य कवचाय हु, जिह्वां भीलय नेत्रत्रयास वैषट् बुद्धिं विनाशय ह्मीं ऊँ स्वाःआआ फट्।
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ध्यान
मध्ये सुधाब्धि मणि मंडप रत्नवेघां सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम्।
पीताम्बरा भरणमाल्य विभूषितांगी देवीं भजामि घृत मुदग्र वैरिजिह्माम ।।
बगलामुखी मंत्र – Baglamukhi Mantra
ऊँ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदंस्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।
मंत्र जाप लक्ष्य बनाकर किया जाए तो उसका दशांश होम करना चाहिए। जिसमें हल्दी, हरताल, चने की दाल, काले तिल एवं शुद्ध घी का प्रयोग करें एवं समिधा में आम की सूखी लकड़ी या पीपल की लकड़ी का भी प्रयोग कर सकते हैं। मंत्र जाप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर करना चाहिए।
बगलामुखी महायंत्र की साधना सम्पन्न करने के पश्चात् अपने स्थान पर शांति से बैठे रहें और अपने दोनों हाथों में बगलामुखी पीताम्बरा माला लेकर प्रार्थना मुद्रा में बैठ जाएं तथा शांत मद्धम स्वर में बगलामुखी बीज मंत्र (ॐ ह्लीं ॐ… ॐ ह्लीं ॐ… ॐ ह्लीं ॐ…) का उच्चारण करते रहें। मंत्र उच्चारण के समय अपने नेत्रों को बंद कर लें |
विशेष :- बगलामुखी प्रचंड महाविद्या हैं , कमजोर दिल के साधक और महिलाएं व् बच्चे बिना गुरु की अनुमति और सानिध्य के यह साधना न करें.
बगलामुखी यंत्र सिद्धि – Baglamukhi Yantra Sidhhi
घर में धन-लक्ष्मी की वृद्धि के लिए, अपने शत्रुओं के नाश के लिए, घर से ऊपरी बाधाओं को दूर रखने के लिए माँ बगलामुखी यंत्र को सिद्ध करके घर में पूजा स्थल पर स्थित करें व नियमित रूप से यंत्र की पूजा करें |
बगलामुखी यंत्र को सिद्ध करने के लिए चौकी पर यंत्र की स्थापना कर व दीपक जलाकर माँ बगलामुखी मंत्र के 5000 मंत्रों का जप करें |
अगले दिन 500 मन्त्रों की आहुति द्वारा हवन करें, हवन सम्पूर्ण होने पर यंत्र को हवन के ऊपर से 21 बार माँ बगलामुखी का ध्यान करते हुए घुमाये व हवन की भभूती द्वारा तिलक कर पूजा स्थल में स्थापित करें |
अब आप नियमित रूप से माँ बगलामुखी के 108 मंत्र जप प्रतिदिन करें | शीघ्र ही आपको माँ बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त होगा