महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर – Mahalakshmi Mandir Kolhapur
मंदिर के बाहर लगे शिलालेख से पता चलता है कि यह 1800 साल पुराना है। शालिवाहन घराने के राजा कर्णदेव ने इसका निर्माण करवाया था, जिसके बाद धीरे-धीरे मंदिर के अहाते में 30-35 मंदिर और निर्मित किए गए। कोल्हापुर (महाराष्ट्र) शहर के मध्य में बसे तीन गर्भगृहों वाला यह पश्चिमाभिमुखी श्री महालक्ष्मी मंदिर हेमाड़पंथी है। मंदिर में चारों दिशाओं से प्रवेश किया जा सकता है। मंदिर के महाद्वार से प्रवेश के साथ ही देवी के दर्शन होते हैं।
मंदिर के खंभों पर नक्काशी का खूबसूरत काम देखते ही बनता है, लेकिन खंभों की संख्या आज तक कोई जान नहीं पाया क्योंकि जिसने भी गिनने की कोशिश की, उसी के साथ या उसके परिवार में कुछ अनहोनी जरूर घटी। मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि साल में एक बार सूर्य की किरणें देवी की प्रतिमा पर सीधे पड़ती हैं। बड़े शिल्पों को जोड़कर तैयार मंदिर की जुड़ाई बगैर चूने के की गई है। मंदिर में श्री महालक्ष्मीजी की मूर्ति तीन फुट ऊँची, चतुर्भुज है।
कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर की कथा – Religious Significance of Kolhapur Mahalaxmi Temple
राजा दक्ष के यज्ञ में सती ने अपनी आहुति दी और भगवान शंकर उनकी देह कंधे पर लिए सारे ब्रह्मांड में घूमे। तब विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती की देह के जो भाग किए, वे पृथ्वी पर 108 जगह गिरे। इनमें आँखें जहाँ गिरी वहाँ लक्ष्मी प्रकट हुईं। करवीर यानी कोल्हापुर देवी का ऐसा पवित्र स्थान है जिसे दक्षिण की काशी माना जाता है। आमतौर पर किसी भी तीर्थस्थान को देवी या देवता के नाम से जाना जाता है, लेकिन कोल्हापुर और करवीर यह राक्षस के नाम से जाना जाता है।
इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि विष्णु की नाभि से उत्पन्न ब्रह्मा ने तमोगुण से युक्त गय, लवण और कोल्ह ऐसे तीन मानस पुत्रों का निर्माण किया। बड़े पुत्र गय ने ब्रह्मा की उपासना कर वर माँगा कि उसका शरीर देवपितरों तीर्थ से भी अधिक शुद्ध हो और ब्रह्माजी के तथास्तु कहने के साथ गय अपने स्पर्श से पापियों का उद्धार करने लगा। यम की शिकायत पर देवताओं ने बाद में उसका शरीर यज्ञ के लिए माँग लिया था।
केशी राक्षस के बेटे कोल्हासुर के अत्याचार से परेशान देवताओं ने देवी से प्रार्थना की। श्री महालक्ष्मी ने दुर्गा का रूप लिया और ब्रह्मास्त्र से उसका सिर उड़ा दिया। कोल्हासुर के मुख से दिव्य तेज निकलकर सीधे श्री महालक्ष्मी के मुँह में प्रवेश कर गया और धड़ कोल्हा (कद्दू) बन गया। अश्विन पंचमी को उसका वध हुआ था। मरने से पहले उसने वर माँगा था कि इस इलाके का नाम कोल्हासुर और करवीर बना रहे। समय के साथ कोल्हासुर से कोल्हापुर हुआ, लेकिन करवीर वैसा ही कायम रहा।
ऐसा कहा जाता है कि तिरुपति यानी भगवान विष्णु से रूठकर उनकी पत्नी महालक्ष्मी कोल्हापुर आईं। इस वजह से आज भी तिरुपति देवस्थान से आया शालू उन्हें दिवाली के दिन पहनाया जाता है। कोल्हापुर की श्री महालक्ष्मी को करवीर निवासी अंबाबाई के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ दीपावली की रात महाआरती में माँगी मुराद पूरी होने की जन-मान्यता है। अश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी घटस्थापना से उत्सव की तैयारी होती है। पहले दिन बैठी पूजा, दूसरे दिन खड़ी पूजा, त्र्यंबोली पंचमी, छठे दिन हाथी के हौदे पर पूजा, रथ पर पूजा, मयूर पर पूजा और अष्टमी को महिषासुरमर्दिनी सिंहवासिनी के रूपों में देवी का उत्सव दर्शनीय होता है।
कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर खुलने का समय – Mahalakshmi Temple Kolhapur Timing
कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे खुलता है और रात को 11:00 बजे बंद हो जाता है। इस दौरान मंदिर में कई तरह के अनुष्ठान भी किए जाते हैं। सभी भक्तगण इन अनुष्ठानों में शामिल हो सकते हैं। कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का समय इस प्रकार है
- अनुष्ठान दर्शन समय – सुबह 4:30 बजे।
- काकड़ आरती का समय – सुबह 4:30 बजे।
- महापूजा (सुबह) का समय – सुबह 8:00 बजे।
- नैवद्यम का समय – सुबह 9:30 बजे।
- महापूजा (दोपहर) का समय – दोपहर 11:30 बजे।
- भोग आरती का समय – सुबह 7:30 बजे।
- शेज आरती का समय – रात्री 10:00 बजे।
कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर के पास घूमने वाले स्थान – Places to visit near Kolhapur Mahalaxmi Temple
कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर के आस पास घूमने वाले कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में जानकारी नीचे दी गई है।
1- खासबाग मैदान
खासबाग मैदान कोल्हापुर शहर में एक राष्ट्रीय कुश्ती स्टेडियम है। इसका निर्माण राजर्षि शाहू महाराज के समय किया गया। यह भारत का सबसे बड़ा कुश्ती स्टेडियम है, और लगभग सौ साल पुराना है। यह महालक्ष्मी मंदिर से मात्र 1 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित है।
2- भवानी मंडप
यह भवानी देवी को समर्पित एक छोटा स मंदिर है। यह महालक्ष्मी मंदिर से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित है। भवानी देवी को लक्ष्मी माता की बहन और कोल्हापुर की अतिथि माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भवानी देवी के दर्शन किए बिना महालक्ष्मी मंदिर की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
3- नरसिंहवाड़ी या नरसोबाची वाडी
यह तीर्थस्थल कोल्हापुर से 55 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान दत्तात्रेय जिन्हें भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पवित्र त्रिमूर्ति का अवतार माना जाता है उनको समर्पित है। यहां पर उनकी श्री नरसिंह सरस्वती के रूप में पूजा की जाती है। यह दो नदियों, पंचगंगा और कृष्णा के संगम का स्थल भी है।
4- बाहुबली पहाड़ी मंदिर
बाहुबली पहाड़ी मंदिर जैन दिगंबर समर्पित मंदिर है। यह कोल्हापुर से 27 किमी की दूरी पर स्थित है। पहाड़ों पर बीएसई होने के कारण इसे कुंभोजगिरी नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर बाहुबली की 28 फीट लंबी प्रतिमा विराजमान है, और यह जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित मंदिरों से घिरी हुई है।
कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में कैसे पहुँचें – How to Reach Kolhapur Mahalaxmi Temple ?
- हवाई मार्ग से कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में पहुँचने के लिये कोल्हापुर घरेलू हवाई अड्डे से ऑटो टैक्सी या टैक्सी के माध्यम से पहुँच सकते हैं। हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है।
- रेल मार्ग से कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में पहुँचने के लिये छत्रपति शाहू महाराज टर्मिनस से ऑटो टैक्सी या टैक्सी के माध्यम से मंदिर परिसर तक पहुँच सकते हो। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है।
- रोड मार्ग से कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में पहुँचने के लिये महाराष्ट्र राज्य के किसी भी शहर से परिवहन निगम की बसों,निजी बसों और टैक्सियों के माध्यम से मंदिर परिसर में पहुँच सकते हैं।