कराग्रे वसते लक्ष्मी – कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ

कराग्रे वसते लक्ष्मी – कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र के द्वारा हम सुबह उठते ही हाथों की हथेलियों को देख कर शास्त्रोक्त मंत्र का उच्चारण करते हुवे धन की देवी माँ लक्ष्मी, विद्या की देवी माँ सरस्वती और गोविन्द यानि श्री कृष्णा के रूप में सर्वोच्च शक्ति की कल्पना करते हुवे उनका आह्वान करते है और शुभ दिन घटने की प्रार्थना करते है। अलग अलग मंत्रों में हथेली के मूल में गणेश, ब्रह्मा आदि के नाम भी आते हैं, इनका मूल उद्देश्य हमारी सुरक्षा करनेवाले, हमारा पालन करने वाले हमारे ईष्टदेव के दर्शन करना है।

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र
कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र

प्रातः स्मरण

कराग्रे वसते लक्ष्मी
करमध्ये सरस्वती
करमूले तु गोविन्दः
प्रभाते कर दर्शनम ॥ १ ॥

इस संपूर्ण श्लोक का अर्थ है – हाथ के अग्रभाग में धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है, तथा मध्य भाग में सरस्वती, मूल भाग में गोविंद अर्थात भगवान विष्णु का निवास होता है, यह सभी देवी देवता आपके दिन को मंगलमय करें।

समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमाले ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पाद्स्पर्म क्षेन स्वे ॥ २ ॥

अर्थ- साथ ही आगे कहा गया है, कि समुद्ररूपी वस्त्र को पहनने वाली, जिसने पर्वतों को धारण किया हुआ है, भगवान विष्णु की पत्नी पृथ्वी मुझे माफ करें, क्योंकि उन्हें मेरे पैरों का स्पर्श होता है, इसलिए क्षमायाचना करता हूँ।

ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरांतकारी
भानु शाशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनि-राहु-केतवः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ॥ ३ ॥

अर्थ – तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश तथा सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु यह सभी ग्रह एवं सभी देव मेरे प्रभात को शुभ एवं मंगलमय करें।

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ

हथेलियों के दर्शन का मूल भाव यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त कर सकें। हमारे हाथों से कोई बुरा काम न हो एवं दूसरों की मदद के लिए हमेशा हाथ आगे बढ़ें। कर दर्शन का दूसरा पहलू यह भी है कि हमारी वृतियां भगवत चिंतन की ओर प्रवृत हों ऐसा करने से शुद्ध सात्विक कार्य करने की प्रेरणा मिलती हैं, साथ ही पराश्रित न रहकर अपनी मेहनत से जीविका कमाने की भावना भी पैदा होती है।

इसके अलावा जब हम सुबह सोकर उठते है तो हमारी आंखें उनींदी रहती हैं। ऐसे में यदि एकदम दूर की वस्तु या कहीं रोशनी पर हमारी नज़र पड़ेगी तो आंखों पर कुप्रभाव पड़ेगा। कर दर्शन करने का यह फायदा है कि इससे दृष्टि धीरे-धीरे स्थिर हो जाती है और आंखों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

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