बुधवार व्रत कथा

बुधवार व्रत कथा – Budhwar Vrat Katha

Budhwar Vrat – बुध ग्र की शांति और सर्व-सुखों की इच्छा रखनेवाले स्त्री-पुरुषों को बुधवार का व्रत अवश्य करना चाहिए। बुधवार का व्रत बुध ग्रह को शांत करने के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। बुधवार के दिन बुद्ध देव के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ज्ञान, कार्य, बुद्धि, व्यापार आदि में प्रगति के लिए बुधवार व्रत बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है।

बुधवार व्रत विधि – Budhvar Vrat Vidhi in Hindi

अग्नि पुराण के अनुसार बुध-संबंधी व्रत विशाखा नक्षत्रयुक्त बुधवार को आरंभ करना चाहिए और लगातार सात बुधवार तक व्रत करना चाहिए। बुधवार का व्रत शुरू करने से पहले गणेश जी के साथ नवग्रहों की पूजा करनी चाहिए। व्रत के दौरान भागवत महापुराण का पाठ करना चाहिए।

बुधवार व्रत कथा – Budhwar Vrat Katha

एक समय की बात है एक साहूकार अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए अपने ससुराल गया। कुछ दिन वहां रहने के उपरांत उसनेसास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिए कहा किंतु सास-ससुर तथाअन्य संबंधियों ने कहा कि “बेटा आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते।”

लेकिन वह नहीं माना और हठ करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा करवाकर अपने नगर को चल पड़ा। राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी, उसने पति से पीने के लिए पानी मांगा। साहूकार लोटा लेकर गाड़ी से उतरकर जल लेने चला गया। जब वह जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा, क्यूंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था।

पत्नी भी अपने पति को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई। साहूकार ने पास बैठे शख्स से पूछा कि तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो? उसकी बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- अरे भाई, यह मेरी पत्नी है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं, लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?

दोनों आपस में झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आए और उन्होंने साहूकार को पकड़ लिया और स्त्री से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन है? उसकी पत्नी चुप रही क्यूंकि दोनों को देखकर वह खुद हैरान थी कि वह किसे अपना पति कहे? साहूकार ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला “हे भगवान, यह क्या लीला है?”

तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे शुभ कार्य के लिए गमन नहीं करना चाहिए था। तूने हठ में किसी की बात नहीं मानी। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।

साहूकार ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा याचना की। तब मनुष्य के रूप में आए बुध देवता अंतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को घर ले आया। इसके पश्चात पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार व्रत करने लगे। जो व्यक्ति इस कथा को कहता या सुनता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

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