सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – Somnath jyotirlinga
शिवजी के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है। यह भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है। कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है। सोमनाथ का अर्थ “सोम यानि चंद्र देव के भगवान” से है।
सोमनाथ कहाँ है – Somnath Location
गुजरात के पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल के पास प्रभास पाटन में स्थित सोमनाथ मंदिर, गुजरात का एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल है। पता : सोमनाथ मंदिर Rd, वेरावल, गुजरात 362268.
सोमनाथ मंदिर – Somnath Temple
ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार आक्रमणकारियों ने इस मंदिर पर 6 बार आक्रमण किया। इसके बाद भी इस मंदिर का वर्तमान अस्तित्व इसके पुनर्निर्माण के प्रयास और सांप्रदायिक सद्भावना का ही परिचायक है। सातवीं बार यह मंदिर कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में बनाया गया है। इसके निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल भी जुड़े रह चुके हैं।
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यह मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप- तीन प्रमुख भागों में विभाजित है। इसका 150 फुट ऊंचा शिखर है। इसके शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है। इसके अबाधित समुद्री मार्ग- त्रिष्टांभ के विषय में ऐसा माना जाता है कि यह समुद्री मार्ग परोक्ष रूप से दक्षिणी ध्रुव में समाप्त होता है। यह हमारे प्राचीन ज्ञान व सूझबूझ का अद्भुत साक्ष्य माना जाता है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास – Somnath Temple History
वर्तमान समय में बना सोमनाथ मंदिर देश की आज़ादी के बाद सरदार वल्लब भाई पटेल जी द्वारा बनवाया गया है। इससे पहले इतिहास में यह मंदिर कई बार बनाया गया था और उसे हर बार किसी मुस्लिम शासक ने तोड़ दिया।
सोमनाथ मंदिर पहली बार किस समय में बना इसके बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है पर फिर भी यह जानकारी जरूर प्राप्त है कि 649 ईसवी में इसे वैल्लभी के मैत्रिक राजाओं ने दुबारा बनवाया था। इस मंदिर को 725 ईसवी में सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल – जुनैद ने तुड़वा दिया।
815 ईस्वी में प्रतिहार राजा नागभट्ट ने इस मंदिर को दुबारा बनवाया। सन 1024 ईस्वी में महमूद ग़ज़नवी ने अपने 5 हज़ार साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और 25 हज़ार लोगों को कत्ल करके मंदिर की सारी धन – दौलत लूट के ले गया।
महमूद के मंदिर लूटने के बाद राजा भीमदेव ने पुनः उसे दुबारा बनवाया । सन् 1093 में सिद्धराज जयसिंह ने भी मंदिर की प्रतिष्ठा और उसके पवित्रीकरण में भरपूर सहयोग किया। 1168 ई. में विजयेश्वर कुमारपल और सौराष्ट्र के राजा खंगार ने भी सोमनाथ मन्दिर का सौन्दर्यीकरण करवाया था।
सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलज़ी के सेनापति नुसरत खां ने गुजरात पर हमला किया तो उसने सोमनाथ मंदिर को दुबारा तोड़ दिया। उसने पवित्र शिवलिंग को भी खंडित कर दिया तथा सारी धन – संपदा लूट ली।
मंदिर को हिंदु राजाओं द्वारा बनवाने और मुस्लिम राजाओं द्वारा उसे तोड़ने का क्रम जारी रहा। सन 1395 ईसवी में गुजरात के सुल्तान मुजफ्फरशाह ने मंदिर को जम कर लूटा इसके बाद 1413 ईसवी में उसके पुत्र अहमदशाह ने भी यही किया।
औरंगज़ेब के काल में सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया, पहली बार 1665 ईसवी में और दूसरी बार 1706 ईसवी में। 1665 ईसवी में मंदिर को तुड़वाने के बाद जब औरंगज़ेब के देखा कि हिंदु अब भी उस स्थान पर पूजा – अर्चना करने आते है तो उसने 1706 ईसवी में वहां दुबारा हमला करवाया और लोगों को कत्ल कर दिया गया।
भारत का बड़ा हिस्सा जब मराठों के अधिकार में आ गया तो सन 1783 में इन्दौर की मराठा रानी अहिल्याबाई द्वारा मूल मन्दिर से कुछ ही दूरी पर पूजा-अर्चना के लिए सोमनाथ महादेव का एक और मंदिर बनवाया गया।
भारत को आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने जूनागढ को 9 नवम्बर 1947 को पाकिस्तान से आजाद कराया। उन्होंने सोमनाथ का दौरा किया और समुद्र का जल लेकर नए मंदिर का संकल्प किया। उनके संकल्प के बाद 1950 मंदिर का पुन: निर्माण हुआ।
1951 में भारत के पहले राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने मंदिर में ज्योर्तिलिंग की स्थापना की तथा यह मंदिर 1962 में पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ।
सोमनाथ मंदिर की कथा – Somnath Temple Story
पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार सोम नाम चंद्र का है, जो दक्ष के दामाद थे। एक बार उन्होंने दक्ष की आज्ञा की अवहेलना की, जिससे कुपित होकर दक्ष ने उन्हें श्राप दिया कि उनका प्रकाश दिन-प्रतिदिन धूमिल होता जाएगा। जब अन्य देवताओं ने दक्ष से उनका श्राप वापस लेने की बात कही तो उन्होंने कहा कि सरस्वती के मुहाने पर समुद्र में स्नान करने से श्राप के प्रकोप को रोका जा सकता है। सोम ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित अरब सागर में स्नान करके भगवान शिव की आराधना की। प्रभु शिव यहां पर अवतरित हुए और उनका उद्धार किया व सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
सोमनाथ मंदिर का समय – Somnath Temple Timings
- Darshan timings are from 6:00 am to 8:00 pm.
- Aarti timings are at 8:00am, 12 noon and 7:00 pm.
- Sound and Lighting Show Timings: 8:00 pm – 9:00 pm. Daily.
सोमनाथ मंदिर के पास घूमने के स्थान – Places To Visit Near Somnath Temple
- Somnath Temple
- Somnath Beaches
- Laxminarayan Temple
- Paanch Pandav Gufa
- Triveni Sangam Temple
- Suraj Mandir
- Parshuram Temple
- Shashibhushan Mahadev and Bhidbhanjan Ganpatiji Temple
- Kamnath Mahadev Temple
- Bhalka Tirth
- Gita Temple
- Dehotsarg Teerth
- Prabhas Patan Museum
- Junagadh Gate
- Prachi Tirth
- Chorwad Beach
सोमनाथ मंदिर कैसे पहुँचें – How To Reach Somnath Temple
सोमनाथ मंदिर के लिए निकटतम हवाई अड्डा – Nearest Airport To Somnath Temple
देश के अन्य प्रमुख शहरों से सोमनाथ के लिए नियमित उड़ानें नहीं हैं। निकटतम हवाई अड्डा दीव हवाई अड्डा है जो की सोमनाथ से लगभग 63 किमी दूर है ।
सोमनाथ मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन – Nearest Railway Station To Somnath Temple
वेरावल रेलवे स्टेशन सोमनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन है जो मुश्किल से 5 किमी दूर है। यह रेलवे स्टेशन मुंबई और अहमदाबाद सहित प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सोमनाथ मंदिर सड़क मार्ग से – Somnath Temple By Road
आप आसानी से देश के अन्य प्रमुख शहरों से सोमनाथ के लिए नियमित बसें प्राप्त कर सकते हैं।
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सोमनाथ मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा समय है -Best Time To Visit Somnath Temple
सोमनाथ यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च के बीच का मौसम सही रहता है ,जिससे आपको कोई असुविधा नहीं होती है। गर्मी और बारिश के मौसम में नहीं जाना चाहिए क्योंकि इन दो मौसमों के दौरान गर्मी और हुमिडीटी इतनी ज्यादा होती है के आप बीमार भी हो सकते है।