अवधूत बाबा शिवानंद – Avdhoot Baba Shivanand
डॉ. अवधूत शिवानंद जी (Shivanand Baba) का जन्म 26 मार्च 1955 को दिल्ली में हुआ और वे राजस्थान में बड़े हुए। अवधूत बाबा शिवानंद जी (shivanand babaji) को बचपन से ही ईश्वर की प्राप्ति को लेकर एक जुनून-सा था। वह जब मात्र आठ साल के थे, एक महान हिमालयन योगी 108 जगन्नाथ स्वामी जी ने शिवानंद जी के तेज से प्रभावित होकर उन्हें अपने पास बुलाया, और गुरू-मंत्र देकर शीघ्रता से वहां से चले गये। इस दिव्य-मंत्र की प्राप्ति के बाद बाबा ने इसे बड़ी संख्या में आम लोगों तक पहुंचाने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने एक वर्कशॉप (कार्यशाला) शुरू किया। बाबा एक करिश्माई व्यक्ति थे। उन्हें भारतीय चिकित्सा का जनक भी माना जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन प्राणियों के कल्याण के लिए समर्पित किया है।
उन्होंने दुनिया भर में आध्यात्मिकता और ध्यान फैलाने के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया। 1990 से, उन्होंने शिवयोग (shivyog foundation) और भारत के चारों ओर अद्वैत श्री विद्या साधना पर वार्ता और कार्यशालाओं का संचालन शुरू किया।
1995 में उन्होंने शिवयोग फाउंडेशन का उद्देश्य सभी के ध्यान और आंतरिक उपचार के ज्ञान को साझा करने के उद्देश्य से बनायाI पहला शिवयोग आश्रम दिल्ली में बनाया गया था जहां उन्होंने ध्यान (shivyog meditation) पढ़ाया था। आज क्रमश: दिल्ली, लखनऊ और कर्जत में 3 शिवयोग आश्रमों कर रहे हैं और शिवयोग पाठ्यक्रम भारत में 100 से अधिक स्थानों पर आयोजित की जाती हैं। शिवयोग कार्यक्रम भी दुनिया भर में करीब 2000 देशों में आयोजित किए जाते हैं।
सितंबर 2016 में, डी वाई पाटिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ पी डी पाटिल ने आधुनिक आध्यात्मिक विज्ञान में योगदान के लिए ‘डॉक्टर एमीरिट्स’ की अवधारणा शिवानंद जी को अवधूत करने के लिए सम्मानित किया।
यह भी जरूर पढ़े –
- सत्य साई बाबा जी
- रामकृष्ण परमहंस – Ramkrishna Paramhans
- स्वामी विवेकानन्द – Swami Vivekananda Biography in hindi
बाबा शिवानंद जी ने पूज्यनीय गुरु माँ एवं ईशान शिवानंद जी के साथ 11 महीने की अथक तपस्या व mantra से पारद (पारा) से एक शिवलिंग तैयार किया। इस अद्भुत और अलौकिक शिवलिंग के बारे में ऐसी मान्यता है कि स्वयं महादेव जी ने पारद संहिता के तीसरे अध्याय में कहा है कि करोड़ों शिवलिंग के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ों गुना ज्यादा फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है। जीवन में भगवान शिव के महत्व और महिमा को आम लोगों तक पहुंचाने वाले बाबा शिवानंद जी का आश्रम लखनऊ में है।
अवधूत बाबा शिवानंद का जीवन तत्व और मार्गदर्शन
बाबा शिवानंद (shivanand baba) कहते है कि बड़े बड़े आलीशान घरों में हर चीज का अलग अलग कमरा होता है। अतिथि का कमरा भी अलग होता है। लेकिन भगवान का कमरा होता ही नहीं है। रसोईघर में किसी आले में भगवान को रख देते हैं। लेकिन आप सब ऐसा नहीं करना। भगवान के लिए अलग से एक ऐसा कमरा बनाना जहां फर्नीचर नहीं हो। जमीन पर दरी व गद्दे रखे हों। कमरे में संभव हो सके तो कालीन रख देना। खंडित मूर्ति, टूटा दीया व फटे कैलेंडर घर में नहीं रखना।
बाबा ने भक्तों को आलमारी में मंदिर न बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जो चेतना तुम्हारे भीतर है वही परमात्मा के भीतर है। जैसा भाव रखोगे, वैसी ही कृपा मिलेगी। शिवलिंग परमब्रह्मा का सूचक है। समाज में एक बुद्धिहीन प्रचार हो चुका है कि घर में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। शिव की शरण में जो गया, उसका जीवन सफल हो जाएगा। परमात्मा की पूजा करो, गुरुओं ने भी शिवलिंग रूप की साधना की है। लेकिन टोने टोटके व ताबीज निकाल कर बाहर फेंक दो। शिवलिंग के आगे दीये जलाओगे, तो लक्ष्मी घर में वास करेगी।
Shivanand Baba – अवधूत बाबा शिवानंद का दार्शनिक पहलु
बाबाजी (avdhoot baba shivanand ji) व्यक्तिगत रूप से किसी के साथ बैठक नहीं करना पसंद करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि हर जवाब भीतर है और वह प्रत्येक मानव में इन निष्क्रिय शक्तियों का उपयोग करने के लिए सिखाता है। बाबाजी मानव अज्ञानता में दफन होने वाली क्षमता की अनदेखी करके अपनी स्वयं की ज़िम्मेदारी लेने और अपना स्वयं का भाग्य बनाने के लिए सिखाते हैं। लाखों लोगों ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं और अपने जीवन को शांति, स्वास्थ्य, सुख और बहुतायत से जीवन जीने की इच्छा के तरीके से पुनर्निर्देशित किया है। बाबाजी सभी विविधता, धर्म, बच्चों से लेकर वृद्ध तक के लोगों की भूमिका-मॉडल बन गए हैं।
यह भी जरूर पढ़े –
- परम पूज्य स्वामी श्री अवधेशानंद गिरी जी
- सदगुरु ओशो – एक व्यक्तित्व ही नहीं वरन एक वैचारिक क्रांति भी
- आज्ञा-चक्र जाग्रत करने की विधि, योगासन, मन्त्र और प्राप्त होने वाली सिद्धिया और प्रभाव
शिव योग – Shivyog
शिव का अर्थ है अनंत और योग अर्थात जुडऩे की प्रक्रिया है। शिवयोग भविष्य की जरूरत है। जर्मनी में कई लिपियों का अध्ययन और किसी भी विज्ञान से भारतीय संस्कृति को सीखना चाह रहे हैं। शिव योग हर व्यक्ति में है। नाद योग शक्ति है हर ग्रह का एक नाद है जिसे वैज्ञानिक अनुभव कर चुके हैं। यजुर्वेद में ऐसे मंत्रों का उल्लेख है लेकिन तपस्या से ही जागृत हो सकते हैं। मैं सप्त ऋषियों की शक्ति बांट रहा हूं। नकारात्मक भाव ब्रह्मांड को प्रभावित करते है।
ब्रह्मांड एक नाद पर आधारित है। ब्रह्मांड में जीवन देने और लेने की शक्ति है। वैज्ञानिक भी गॉड पार्टिकल को मान चुके हैं, जबकि भारतीय संस्कृति इससे कहीं आगे है। नकारात्मक भाव या वाणी का असर ब्रह्मांड पर होता है। इसलिए जीवन में नफरत खत्म कर प्यार की जरूरत है। प्राकृतिक आपदा और परेशानियों का कारण नकारात्मकता ही है। शिवयोग से सफेद क्रांति, हरित क्रांति और प्राकृतिक आपदा पर नियंत्रण किया जा सकता है।
परमात्मा दाता हैं, हम सब भिखारी हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वो देने के लिए हमारे पीछे पीछे भागते हैं। सत्संग तो कृपा पाने के लिए होता है, टाइम पास करने के लिए। परमात्मा जीवन प्रत्यक्ष कर देता है। दुर्गा सप्तशती शक्ति साधना का उच्चतम ग्रंथ है। चेतना जगाने का ग्रंथ है। कई जन्मों में जो कार्य किया है वो संचित होकर दुखों का कारण बन जाता है। दुखों से मुक्ति के लिए ही सप्तशती का पाठ किया जाता है। दुर्गा सप्तशती के बीज मंत्रों से बाबा (avdhoot baba) ने काफी असहाय लोगो ला भला किया है |