भाद्रपद के त्यौहार – List of Festivals in Bhadrapada
हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के छठे महीने को भाद्रपद अथवा भादों का महीना कहा जाता है। ये श्रावण माह के बाद और आश्विन माह से पहले आता है। सावन शंकर का महीना है तो भादों श्रीकृष्ण का माह माना जाता है। इस माह में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार सभी हिन्दू मनाते हैं।
भादों भगवान श्रीकृष्ण के प्रकटोत्सव का मास है। इस दिन भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण ने भादों के महीने के कृष्ण पक्ष में रोहिणी नक्षत्र के अंतर्गत हर्षण योग वृष लग्न में जन्म लिया। श्रीकृष्ण की उपासना को समर्पित भादों मास विशेष फलदायी कहा गया है। भाद अर्थात कल्याण देने वाला। कृष्ण पक्ष स्वयं श्रीकृष्ण से संबंधित है। भादों का माह भी, सावन की तरह ही पवित्र माना जाता है। इस माह में कुछ विशेष पर्व पड़ते हैं जिनका अपना-अपना अलग महत्त्व होता है। आइये जानते हैं, भादों माह के कुछ विशेष व्रत और पर्व.
कजली या कजरी तीज – Kajli Teej
भाद्रपद कृष्ण तृतीया को कज्जली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को राजस्थान के कई क्षेत्रों में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह माना जाता है कि इस पर्व का आरम्भ महाराणा राजसिंह ने अपनी रानी को प्रसन्न करने के लिये आरम्भ किया था।
जन्माष्टमी – Janmasthami in Hindi
भाद्रपद मास में आने वाला अगला पर्व कृष्ण अष्टमी या जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। यह उपवास पर्व उत्तरी भारत में विशेष महत्व रखता है। पूरे भारत में जन्माष्टमी बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन में व्रत रखकर श्रद्धालु रात 12 बजे तक नाना प्रकार के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक आयोजन करते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों की सजावट हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है। इस मौके पर मथुरा में विशेष आयोजन किए जाते हैं। आधी रात को कृष्ण का जन्म होता है। गोविंद की पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है और भक्त व्रत खोलते हैं।
अजा एकादशी – Aja Ekadashi
भाद्रपद माह की कृष्ण एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है।
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गणेश चतुर्थी – Ganesh Chaturthi
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा, उपवास व आराधना का शुभ कार्य किया जाता है। पूरे दिन उपवास रख श्री गणेश को लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। प्राचीन काल में इस दिन लड्डूओं की वर्षा की जाती थी, जिसे लोग प्रसाद के रूप में लूट कर खाया जाता था। गणेश मंदिरों में इस दिन विशेष धूमधाम रहती है। गणेश चतुर्थी को चन्द्र दर्शन नहीं करने चाहिए। विशेष कर इस दिन उपवास रखने वाले उपासकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए, अन्यथा उपवास का पुण्य प्राप्त नहीं होता है।
भाद्रपद अमावस्या – Bhadrapada Amawasya
भाद्रपद मास की अमावस्या पितृ शांति के लिये पिंड दान, तर्पण आदि धर्म कर्म के कामों के लिये काफी शुभ फलदायी मानी जाती है।
हरतालिका तीज, गौरी हब्बा – Hartalika Teej
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गौरी हब्बा नामक पर्व भी मनाया जाता है। यह पर्व दक्षिण भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू में विशेष रूप से मनाया जाता है। इसमें माता पार्वती के रूप गौरी की पूजा की जाती है।
ऋषि पंचमी – Rishi Panchami
भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं व उपवास रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रजस्वला दोष से मुक्त होकर पवित्रता पाने के लिये भी यह उपवास किया जाता है। यह तिथि हरतालिका तीज के दो दिन तो गणेश चतुर्थी से अगले दिन मनाई जाती है।
देवझूलनी अथवा पदमा अथवा परिवर्तनी एकादशी – Dev Jhulni Ekadashi
भाद्रपद, शुक्ल पक्ष, एकादशी तिथि, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में देवझूलनी एकादशी मनाई जाती है। देवझूलनी एकादशी में विष्णु जी की पूजा, व्रत, उपासना करने का विधान है। देवझूलनी एकादशी को पदमा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विष्णु देव की पाषाण की प्रतिमा अथवा चित्र को पालकी में ले जाकर जलाशय से स्थान करना शुभ माना जाता है। इस उत्सव में नगर के निवासी विष्णु गान करते हुए पालकी के पीछे चल रहे होते है। उत्सव में भाग लेने वाले सभी लोग इस दिन उपवास रखते है।
अनंत चतुर्दशी – Anant Chaturdashi
भाद्रपद माह में आने वाले पर्वों की श्रंखला में अगला पर्व अनन्त चतुर्दशी के नाम से प्रसिद्ध है। भाद्रपद चतुर्दशी तिथि, शुक्ल पक्ष, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में यह उपवास पर्व इस वर्ष मनाया जाता है। इस पर्व में दिन में एक बार भोजन किया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु के अनन्त स्वरूप पर आधारित है। इस दिन “ऊँ अनन्ताय नम:’ का जाप करने से विष्णु जी प्रसन्न होते है।