कामिका एकादशी 2020- व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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कामिका एकादशी 2020 – Kamika Ekadashi 

हिंदू परंपरा में एकादशी को पुण्य कार्यों के लिए, भक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। वैसे तो एक साल में 24 एकादशियां होती हैं लेकिन मलमास या अधिकमास होने के कारण इनकी संख्या 26 हो जाती है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस बार यह एकादशी 28 जुलाई, 2020 (रविवार) को है। पुराणों में बताया गया है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने से जीवात्माओं को उनके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

सावन माह में है यह एकादशी

भगवान विष्णु के आराध्य भगवान शिव हैं और भगवान शिव के आराध्य भगवान विष्णु हैं। सावन माह में एकादशी का आना एक बहेद विशेष संयोग है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो मनुष्य सावन मास में भगवान नारायण का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्य करना चाहिए। इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है। इसका व्रत रखने वाले को कभी भी कुयोनि प्राप्त नहीं होती।

कामिका एकादशी व्रत कथा 

महाभारत काल में एक समय में कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण ने कहा, “हे भगवन, कृपा करके मुझे श्रावण कृष्ण एकादशी का नाम और महत्व बताइए। श्रीकृष्ण ने कहा कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी भी देवर्षि नारद से कह चुके है, अतः मैं भी तुमसे वहीँ कहता हूं। नारदजी ने ब्रह्माजी से श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की इच्छा जताई थी| उस एकादशी का नाम, विधि और माहात्म्य जानना चाहा|

ब्रह्मा ने कहा- “हे नारद! श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका एकादशी है| इस एकादशी व्रत को सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस तिथि पर शंख, चक्र एवं गदाधारी श्रीविष्णुजी का पूजन होता है| उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो|

गंगा, काशी, नैमिशारण्य और पुष्कर में स्नान करने से जो फल मिलता है, वह फल विष्णु भगवान के पूजन से भी मिलता है। सूर्य व चंद्र ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, भूमि दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में आने के समय गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी जो फल प्राप्त नहीं होता, वह प्रभु भक्ति और पूजन से प्राप्त होता है। पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता। जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं। हे नारद! मैं स्वयं श्रोहरी की प्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूं। तुलसी के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और इसके स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है|”

कृष्ण ने बताया था इस एकादशी का महत्व

पुरातन ग्रंथों में वर्णन आता है कि एक बार इस एकादशी के महत्व के बारे में खुद भगवान कृष्ण ने पांडुपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। भगवान कृष्ण ने कहा था कि इस एकादशी का व्रत रखने वाले को अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इस दिन शंख, चक्र और गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन और अर्चना की जाती है। और तो और व्रत के फलस्वरूप भगवान विष्णु की पूजा से उपासकों के साथ उनके पित्रों के भी कष्ट दूर हो जाते हैं| उपासक को मोक्ष प्राप्ति होती है| इस दिन तीर्थस्थानों में स्नान करने और दान-पुण्य करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फलप्राप्ति होती है|

यह भी मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान विष्णुजी की पूजा करने से, सभी गन्धर्वों और नागों की भी पूजा हो जाती है| श्री विष्णुजी को यदि संतुष्ट करना हो तो उनकी पूजा तुलसी पत्र से करें| ऐसा करने से ना केवल प्रभु प्रसन्न होंगे बल्कि आपके भी सभी कष्ट दूर हो जाएंगे| कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है|

इस तरह करें एकादशी की पूजा

एकादशी तिथि पर सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें फिर व्रत का संकल्प लेकर पूजन-क्रिया को प्रारंभ करें। प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि निवेदित करें, उनक रोली-अक्षत से तिलकर करके फूल चढ़ाएं। एकादशी के दिन आठों पहर निर्जल रहकर विष्णुजी के नाम का स्मरण करें एवं भजन-कीर्तन करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जप अवश्य करें।

इस दिन गरीबों और ब्राह्मण भोज करके दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। अगर संभव हो सके तो इस दिन सिर में तेल ना लगाएं और बेड पर नहीं जमीन पर सोएं और ईश्वर का ध्यान करते रहें। इस प्रकार विधिनुसार जो भी कामिका एकादशी का व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूर्ण होती हैं।

कामिका एकादशी के दिन क्या ना करें ?

एकादशी का व्रत रखनेवालों को सदाचार का पालन करना चाहिए। जो यह व्रत नहीं भी करता है उन्हें भी इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी और तंबाकू आदि से परहेज करना चाहिए। व्रत रखनेवाले को दशमी तिथि के दिन से ही भगवान विष्णु का ध्यान शुरू कर देना चाहिए। साथ ही काम भाव, भोग विलास से खुद को दूर कर लेना चाहिए। ध्यान रहे व्रत के दौरान कांसे के बर्तन में भोजन और नमक का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

कामिका एकादशी 2020 व्रत तिथि व मुहूर्त

  • कामिका एकादशी व्रत तिथि– 28 जुलाई 2020, (रविवार)
  • पारण समय – 05:40:30 से 08:23:17 तक 29, जुलाई को
  • एकादशी तिथि प्रारंभ 07:52 बजे से 
  • एकादशी तिथि समाप्त 05:15 बजे 
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