काल सर्प दोष निवारण उपाय और पूजा – Kalsarp Dosha Upay
काल सर्प दोष (Kalsarp Dosha) और काल सर्प योग (Kalsarp Yoga) दोनों का एक ही मतलब है कोई अंतर नहीं है। ज्योतिषानुसार कालसर्प दोष मुक्ति के उपाय (Kalsarp Dosh Mukti Ke Upay) और कालसर्प दोष मंत्र (Kalsarp Dosh Mantra) और कालसर्प दोष पूजा विधि (Kalsarp Dosh Puja Vidhi) से इसका भली भांति निवारण किया सकता है, पर जब हमे पता चले की हमारी कुंडली में कालसर्प योग है।
कालसर्प दोष कैसे पता करें
अतःज्योतिषीय परिभाषा के अनुसार कुंडली के सारे ग्रह, सूर्य, चन्द्र, गुरू, शुक्र, मंगल, बुध तथा शनि जब राहू और केतु के बीच में आ जाएं तो ऐसी कुंडली में काल सर्प दोष बनता है।
उदाहरण के तौर पर अगर राहू और केतु किसी कुंडली में क्रमश: दूसरे और आठवें भाव में स्थित हों तथा बाकी के सात ग्रह दो से आठ के बीच या आठ से दो के बीच में स्थित हों तो प्रचलित परिभाषा के अनुसार ऐसी कुंडली में काल सर्प दोष बनता है और ऐसी कुंडली वाला व्यक्ति अपने जीवन काल में तरह-तरह की मुसीबतों का सामना करता है तथा उसके किए हुए अधिकतर प्रयासों का उसे कोई भी लाभ नहीं मिलता।
परन्तु काल सर्प दोष की यह परिभाषा बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है तथा अधिकतर कुंडलियों में सारे ग्रह राहू और केतू के बीच में आने के बावजूद भी काल सर्प दोष नहीं बनता जब कि कुछ एक कुंडलियों में एक या दो ग्रह राहू-केतू के बीच में न होने पर भी यह दोष बन जाता है।
इसलिए काल सर्प दोष की उपस्थिति के सारे लक्ष्णों पर गौर करने के बाद ही इस दोष की पुष्टि करनी चाहिए, न कि सिर्फ राहू-केतु की कुंडली में स्थिति देख कर, और अगर काल सर्प दोष किसी कुंडली में उपस्थित भी हो, तब भी इसके परिणाम बताने से पहले कुछ बहुत महत्त्वपूर्ण बातों पर गौर करना बहुत आवश्यक है,
- जैसे कि कुंडली में यह दोष कितना बलवान है
- कुंडली धारक की किस आयु पर जाकर यह दोष जाग्रत होगा
- तथा प्रभावित व्यक्ति के जीवन के किन हिस्सों पर इसका असर होगा
कोई भी अच्छा-बुरा योग तब तक बहुत लाभ या हानि करने में सक्षम नहीं होता जब तक यह एक सीमा से उपर बलवान न हो तथा कुंडली में जाग्रत न हो। काल सर्प दोष के बुरे प्रभावों को पूजा, रत्नों तथा ज्योतिष के अन्य उपायों के माध्यम से बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है
यदि सभी ग्रह राहू या केतुके एक ओर स्थित हों तो कालसर्प योग का निर्माण होता है। राहु- केतु की भावगत स्थिति के आधार पर अनन्तादि 12 प्रकार के कालसर्प योग निर्मित होते हैं। कालसर्प योग के कारण सूर्यादि सप्तग्रहों की शुभफल देने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इससे जातक को 42 साल की आयु तक परेशानियां झेलनी पड़ती है। लेकिन दूसरी तरफ किसी की कुंडली में कालसर्प योग होने के बाद भी जातक की उन्नति होती है।
बारह प्रकार के कालसर्प योग या कालसर्प दोष
सामान्यतौर पर बस कालसर्प योग को ही जाना जाता है, ये बहुत ही कम लोग जानते हैं कि ये योग भी 12 प्रकार का होता है और श्रेणी के अनुसार ही इसका प्रभाव कम, ज्यादा या भयावह होता है। चलिए जानते हैं इन 12 प्रकार के कालसर्प योगों के बारे में।
- अनंत कालसर्प योग
- कुलिक कालसर्प योग
- वासुकि कालसर्प योग
- शंखपाल कालसर्प योग
- पदम कालसर्प योग
- महापदम कालसर्प योग
- तक्षक कालसर्प योग
- कारकोटक कालसर्प योग
- शंखचूड़ कालसर्प योग
- घातक कालसर्प योग
- विषधर कालसर्प योग
- शेषनाग कालसर्प योग
कालसर्प दोष का उपाय
किसी भी प्रकार के दोष के निवारण के लिए की जाने वाली पूजा को विधिवत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उस दोष के निवारण के लिए निश्चित किये गए मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप करना तथा यह संख्या अधिकतर दोषों के लिए की जाने वाली पूजाओं के लिए 125,000 मंत्र होती है।
सबसे पूर्व भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान गणेश तथा शिव परिवार के अन्य सदस्यों की पूजा फल, फूल, दूध, दहीं, घी, शहद, शक्कर, धूप, दीप, मिठाई, हलवे के प्रसाद तथा अन्य कई वस्तुओं के साथ की जाती है तथा इसके पश्चात मुख्य पंडित के द्वारा काल सर्प योग के निवारण मंत्र का जाप पूरा हो जाने का संकल्प किया जाता है
कालसर्प दोष पूजा
पूजा के आरंभ वाले दिन पांच या सात पंडित पूजा करवाने वाले यजमान अर्थात जातक के साथ भगवान शिव के शिवलिंग के समक्ष बैठते हैं तथा शिव परिवार की विधिवत पूजा करने के पश्चात मुख्य पंडित यह संकल्प लेता है कि वह और उसके सहायक पंडित उपस्थित यजमान के लिए कालसर्प योग के निवारण मंत्र का 125,000 बार जाप एक निश्चित अवधि में करेंगे तथा इस जाप के पूरा हो जाने पर पूजन, हवन तथा कुछ विशेष प्रकार के दान आदि करेंगे। जाप के लिए निश्चित की गई अवधि सामान्यतया 7 से 11 दिन होती है।
संकल्प के समय मंत्र का जाप करने वाली सभी पंडितों का नाम तथा उनका गोत्र बोला जाता है तथा इसी के साथ पूजा करवाने वाले यजमान का नाम, उसके पिता का नाम तथा उसका गोत्र भी बोला जाता है तथा इसके अतिरिक्त जातक द्वारा करवाये जाने वाले काल सर्प योग के निवारण मंत्र के इस जाप के फलस्वरूप मांगा जाने वाला फल भी बोला जाता है जो साधारणतया जातक की कुंडली में कालसर्प दोष का निवारण होता है।
इस संकल्प के पश्चात सभी पंडित अपने यजमान अर्थात जातक के लिए काल सर्प योग निवारण मंत्र का जाप करना शुरू कर देते हैं तथा प्रत्येक पंडित इस मंत्र के जाप को प्रतिदिन 8 से 10 घंटे तक करता है जिससे वे इस मंत्र की 125,000 संख्या के जाप को संकल्प के दिन निश्चित की गई अवधि में पूर्ण कर सकें।
इस समापन पूजा के चलते नवग्रहों से संबंधित अथवा नवग्रहों में से कुछ विशेष ग्रहों से संबंधित कुछ विशेष वस्तुओं का दान किया जाता है जो विभिन्न जातकों के लिए भिन्न भिन्न हो सकता है तथा इन वस्तुओं में सामान्यतया चावल, गुड़, चीनी, नमक, गेहूं, दाल, खाद्य तेल, सफेद तिल, काले तिल, जौं तथा कंबल इत्यादि का दाने किया जाता है।
काल सर्प योग निवारण मंत्र की हवन के लिए निश्चित की गई जाप संख्या के पूरे होने पर कुछ अन्य महत्वपूर्ण मंत्रों का उच्चारण किया जाता है तथा प्रत्येक बार मंत्र का उच्चारण पूरा होने पर यज्ञाहुति में स्वाहा की ध्वनि के साथ पुन: हवन कुंड की अग्नि में हवन सामग्री डाली जाती है।
अंत में एक सूखे नारियल को उपर से काटकर उसके अंदर कुछ विशेष सामग्री भरी जाती है तथा इस नारियल को विशेष मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन कुंड की अग्नि में पूर्ण आहुति के रूप में अर्पित किया जाता है।
काल सर्प दोष निवारण पूजा के नियम
- इस अवधि के भीतर जातक के लिए प्रत्येक प्रकार के मांस, अंडे, मदिरा, धूम्रपान तथा अन्य किसी भी प्रकार के नशे का सेवन निषेध होता है
- जातक को इस अवधि में अपनी पत्नि अथवा किसी भी अन्य स्त्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिएं तथा अविवाहित जातकों को किसी भी कन्या अथवा स्त्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिएं।
- जातक को इस अवधि में किसी भी प्रकार का अनैतिक, अवैध, हिंसात्मक तथा घृणात्मक कार्य आदि भी नहीं करना चाहिए
- भगवान शिव के त्रयंबकेश्वर मंदिर में की जाने वाली काल सर्प योग निवारण पूजा का फल किसी साधारण मंदिर में की गई पूजा के फल से अधिक होगा | त्रयंबकेश्वर तथा उज्जैन जैसे धार्मिक स्थानों पर जाना तथा इन स्थानों पर उपस्थित परम शक्तियों का आशिर्वाद लेना बहुत शुभ कार्य है तथा प्रत्येक व्यक्ति को यह कार्य यथासंभव करते रहना चाहिए
काल सर्प दोष निवारण के आसान और अचूक उपाय-टोटके
- कभी भी छिपकली, सांप आदि की प्रजाति के जीवो को नुकसान नहीं पहुचना चाहिए |
- अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए पूजा अर्चना करें तथा काल सर्प दोष शांति पाठ करें|
- शनिवार को व्रत रखें तथा इस दिन राहु, केतु, शनि और हनुमान जी की पूरी श्रद्धा से आराधना करें|
- काल सर्प दोष निवारण का अचूक उपाय यह है की शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर शिवलिंग अर्पित करें और शिव मंत्र का जाप करें|
- नाग पंचमी के दिन व्रत रखना भी फलदायी माना जाता है इससे दोष के प्रभाव काफी कम हो जाते हैं|
- सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर दूध और भांग चढाने से भी काल सर्प दोष दूर होता है|
- श्रावण मास के हर सोमवार को व्रत रखें तथा भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करें तथा महामृत्युंजय जप करने से यह दोष दूर होता है|
- 24 मोर पंख लेकर बाँध लीजिये और इस बंडल को उस कमरे में रखिये जहाँ आप सोते हैं| हर दिन राहु काल के समय इसका झाडा जातक को लगायें|
- काल सर्प दोष में ज्योतिषानुसार गोमेद रत्न धारण करना चाहिए, परन्तु पहले आप योग्य ज्योतिष से सलाह लेवे |
- जातक को चांदी से बना पंचमुखी सांप को अपने घर में बने मंदिर में रखना चाहिए तथा उसे प्रतिदिन चावल और हल्दी अर्पित करनी चाहिए| इससे काल सर्प दोष के प्रभाव कम हो जाते हैं|
- मंदिर में पीपल के पेड़ को हर शनिवार जल अर्पित करने से भी लाभ होता है|
- शत्रु से भय होने की स्थति में चांदी या ताम्बे धातु का सर्प बनाएं और सर्प की आंख में सुरमा लगाकर शिवलिंग पर चढाने से भय दूर होगा और शत्रु शांत होंगे|
- राहू मंत्र और केतु मंत्र का जप करे क्यों की कालसर्प दोष का मुख्य कारण कुण्डली में राहू केतु की गलत जगह आना है | आप राहू को केतु को प्रसन्न रखने वाले मंत्रो का जप करे | इससे कालसर्प दोष निवारण होगा |
- सर्प और नाग मंत्र से करे नागदेवता की पूजा करे क्यों की नाग भगवान शिव के आभूषण और विष्णु की शय्या है | आपको नाग मंत्रो द्वारा सही विधि से माला जप करना चाहिए | जैसे नाग सर्प मंत्र – ॐ नागदेवताय नम: || तथा नाग गायत्री मंत्र – || ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ||
- सर्पो और नागो के मुख्य त्यौहार नाग पंचमी पर पूजा करे और किसी सपेरे से नाग को जंगल में मुक्त करवाए |
- शिव का शक्तिशाली मंत्र : भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र को रुद्राक्ष की माला के साथ नित्य 108 बार जप करे |
- शिवलिंग पर नाग चढ़ाये : ऐसे शिवलिंग जिस पर धातु का नाग ना हो, सोमवार के दिन शिवलिंग पूजा के बाद धातु का नाग चढ़ाये | यह कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करता है |