रुद्राक्ष पहनने के फायदे और रुद्राक्ष माला सिद्ध करने का मंत्र

shiva-rudraksha-power

रुद्राक्ष – Rudraksha

रुद्र का मतलब भगवान शंकर (शिव) है। अक्ष आंख को कहते हैं। इन दोनों शब्दों से रुद्राक्ष (Rudraksh) बना। रुद्राक्ष मूल रूप से पर्वतीय क्षेत्र में होता है। रुद्राक्ष हमारे लिए कितना लाभकारी है, यह हमारे पूर्वज जानते थे और प्रयोग करते थे। पुराणों के अनुसार भगवान शंकर के नेत्र से ज्ञानानंद अश्रु (आंसू) की बूंद से यह वृक्ष (Rudraksha Plant) जन्म लेता है। शिव का अर्थ ही कल्याण है तो यह रुद्राक्ष कल्याण के लिए ही धरती पर आया है। इसके अनेक नाम हैं रुद्राक्ष, शिवाक्ष, भूतनाशक, पावन, नीलकंठाक्ष, हराक्ष, शिवप्रिय, तृणमेरु, अमर, पुष्पचामर, रुद्रक, रुद्राक्य, अक्कम, रूद्रचल्लू आदि।

रुद्राक्ष को विधि-विधान से इसे धारण करना परम लाभकारी है। रुद्राक्ष वृक्ष और फल दोनों ही पूजनीय हैं। मानव के अनेकों रोग, शोक, बाधा नष्ट करने की शक्ति रुद्राक्ष में है। इसमें चुम्बकीय और विद्युत ऊर्जा से शरीर को रुद्राक्ष का अलग-अलग लाभ होता है। एक मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ है। शायद ही कभी उसके दर्शन हो पाएं लेकिन बाजार, टैलीविजन में बेधड़क एक मुखी रुद्राक्ष बिक रहे हैं जो शायद ही शुद्ध हों।

यह भी जरूर पढ़े – रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी : रुद्राक्ष के मंत्र, आध्यात्मिक लाभ और असली रुद्राक्ष की…

सभी रुद्राक्ष के महत्व और लाभ

एक मुखी रुद्राक्ष : 1 mukhi Rudraksha

इसके मुख्य ग्रह सूर्य होते हैं। इसे धारण करने से हृदय रोग, नेत्र रोग, सिर दर्द का कष्ट दूर होता है। चेतना का द्वार खुलता है, मन विकार रहित होता है और भय मुक्त रहता है। लक्ष्मी की कृपा होती है।

दो मुखी रुद्राक्ष : 2 mukhi Rudraksha

मुख्य ग्रह चन्द्र हैं यह शिव और शक्ति का प्रतीक है मनुष्य इसे धारण कर फेफड़े, गुर्दे, वायु और आंख के रोग को बचाता है। यह माता-पिता के लिए भी शुभ होता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष के फायदे : 3 mukhi Rudraksha

मुख्य ग्रह मंगल, भगवान शिव त्रिनेत्र हैं। भगवती महाकाली भी त्रिनेत्रा है। यह तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना साक्षात भगवान शिव और शक्ति को धारण करना है। यह अग्रि स्वरूप है इसका धारण करना रक्तविकार, रक्तचाप, कमजोरी, मासिक धर्म, अल्सर में लाभप्रद है। आज्ञा चक्र जागरण (थर्ड आई) में इसका विशेष महत्व है।

4 मुखी रुद्राक्ष के फायदे : 4 mukhi Rudraksha

चार मुखी रुद्राक्ष के मुख्य देवता ब्रह्मा हैं और यह बुधग्रह का प्रतिनिधित्व करता है इसे वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता और चिकित्सक यदि पहनें तो उन्हें विशेष प्रगति का फल देता है। यह मानसिक रोग, बुखार, पक्षाघात, नाक की बीमारी में भी लाभप्रद है।

5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे : 5 mukhi Rudraksha

यह साक्षात भगवान शिव का प्रसाद एवं सुलभ भी है। यह सर्व रोग हरण करता है। मधुमेह, ब्लडप्रैशर, नाक, कान, गुर्दा की बीमारी में धारण करना लाभप्रद है। यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।

6 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे : 6 mukhi Rudraksha

शिवजी के पुत्र कार्तिकेय का प्रतिनिधित्व करता है। इस पर शुक्रग्रह सत्तारूढ़ है। शरीर के समस्त विकारों को दूर करता है, उत्तम सोच-विचार को जन्म देता है, राजदरबार में सम्मान विजय प्राप्त कराता है।

7 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे : 7 mukhi Rudraksha

इस पर शनिग्रह की सत्तारूढ़ता है। यह भगवती महालक्ष्मी, सप्त ऋषियों का प्रतिनिधित्व करता है। लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, हड्डी के रोग दूर करता है, यह मस्तिष्क से संबंधित रोगों को भी रोकता है।

8 मुखी रुद्राक्ष के फायदे : 8 mukhi Rudraksha

भैरव का स्वरूप माना जाता है, इसे धारण करने वाला व्यक्ति विजय प्राप्त करता है। गणेश जी की कृपा रहती है। त्वचा रोग, नेत्र रोग से छुटकारा मिलता है, प्रेत बाधा का भय नहीं रहता। इस पर राहू ग्रह सत्तारूढ़ है।

नौ मुखी रुद्राक्ष : 9 mukhi Rudraksha

नवग्रहों के उत्पात से रक्षा करता है। नौ देवियों का प्रतीक है। दरिद्रता नाशक होता है। लगभग सभी रोगों से मुक्ति का मार्ग देता है।

दस मुखी रुद्राक्ष : 10 mukhi Rudraksha

भगवान विष्णु का प्रतीक स्वरूप है। इसे धारण करने से परम पवित्र विचार बनता है। अन्याय करने का मन नहीं होता। सन्मार्ग पर चलने का ही योग बनता है। कोई अन्याय नहीं कर सकता, उदर और नेत्र का रोग दूर करता है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष : 11 mukhi Rudraksha

रुद्र के ग्यारहवें स्वरूप के प्रतीक, इस रुद्राक्ष को धारण करना परम शुभकारी है। इसके प्रभाव से धर्म का मार्ग मिलता है। धार्मिक लोगों का संग मिलता है। तीर्थयात्रा कराता है। ईश्वर की कृपा का मार्ग बनता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष : 12 mukhi Rudraksha

बारह ज्योतिर्लिंगों का प्रतिनिधित्व करता है। शिव की कृपा से ज्ञानचक्षु खुलता है, नेत्र रोग दूर करता है। ब्रेन से संबंधित कष्ट का निवारण होता है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष : 13 mukhi Rudraksha

इन्द्र का प्रतिनिधित्व करते हुए मानव को सांसारिक सुख देता है, दरिद्रता का विनाश करता है, हड्डी, जोड़ दर्द, दांत के रोग से बचाता है।

14 मुखी रुद्राक्ष के फायदे : 14 mukhi Rudraksha

भगवान शंकर का प्रतीक है। शनि के प्रकोप को दूर करता है, त्वचा रोग, बाल के रोग, उदर कष्ट को दूर करता है। शिव भक्त बनने का मार्ग प्रशस्त करता है।

यह भी जरूर पढ़े – ज्योतिष राशिनुसार रुद्राक्ष धारण का उपाय और लाभ

रुद्राक्ष को विधान से अभिमंत्रित किया जाता है, फिर उसका उपयोग किया जाता है। रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने से वह अपार गुणशाली होता है। अभिमंत्रित रुद्राक्ष से मानव शरीर का प्राण तत्व अथवा विद्युत शक्ति नियमित होती है। भूतबाधा, प्रेतबाधा, ग्रहबाधा, मानसिक रोग के अतिरिक्त हर प्रकार के शारीरिक कष्ट का निवारण होता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सशक्त करता है, जिससे रक्त चाप का नियंत्रण होता है। रोगनाशक उपाय रुद्राक्ष से किए जाते हैं, तनावपूर्ण जीवन शैली में ब्लडप्रैशर के साथ बे्रन हैमरेज, लकवा, मधुमेह जैसे भयानक रोगों की भीड़ लगी है। यदि इस आध्यात्मिक उपचार की ओर ध्यान दें तो शरीर को रोगमुक्त कर सकते हैं।

रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम

  • रुद्राक्ष को सिद्ध़ करने के बाद ही धारण करना चाहिए। साथ ही इसे किसी पवित्र दिन में ही धारण करना चाहिए।
  • प्रातःकाल रुद्राक्ष को धारण करते समय तथा रात में सोने के पहले रुद्राक्ष उतारने के बाद रुद्राक्ष मंत्र तथा रुद्राक्ष उत्पत्ति मंत्र का नौ बार जाप करना चाहिए ।
  • रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को मांसाहारी भोजन का त्याग कर देना चाहिए तथा शराब/एल्कोहल का सेवन भी नहीं करना चाहिए ।
  • ग्रहण, संक्रांति, अमावस्या और पूर्णमासी आदि पर्वों और पुण्य दिवसों पर रुद्राक्ष अवष्य धारण करना चाहिए।
  • शमशान स्थल तथा शवयात्रा के दौरान भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही जब किसी के घर में बच्चे का जन्म हो उस स्थल पर भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए ।यौन सम्बंधों के समय भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। स्त्रियों को मासिक धर्म के समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।

जानिए किस  दिन करे रुद्राक्ष धारण

रूद्राक्ष को हमेशा सोमवार के दिन प्रात:काल शिव मन्दिर में बैठकर गंगाजल या कच्चे दूध में धो कर, लाल धागे में अथवा सोने या चांदी के तार में पिरो कर धारण किया जा सकता है।

रुद्राक्ष
रुद्राक्ष

यह भी जरूर पढ़े – शिव पुराण – Shiv Puran Katha in Hindi

रुद्राक्ष धारण करने की सम्पूर्ण विधि – रुद्राक्ष को शुद्ध कैसे करें

यदि किसी कारणवश रुद्राक्ष के विशेषरुद्राक्ष मंत्रों से धारण न कर सके तो इस सरल विधि का प्रयोग करके धारणकर लें। रुद्राक्ष के मनकों को शुद्ध लाल धागे में माला तैयार करने के बादपंचामृत (गंगाजल मिश्रित रूप से) और पंचगव्य को मिलाकर स्नान करवाना चाहिए और प्रतिष्ठा के समय ॐ नमः शिवाय इस पंचाक्षर मंत्र को पढ़ना चाहिए। उसके पश्चात पुनः गंगाजल में शुद्ध करके निम्नलिखित मंत्र पढ़तेहुए चंदन, बिल्वपत्र, लालपुष्प, धूप, दीप द्वारा पूजन करके अभिमंत्रित करे और “ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात”। 108 बार मंत्र का जाप कर अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।

यह भी जरूर पढ़े – शिव मंत्र पुष्पांजली तथा सम्पूर्ण पूजन विधि और मंत्र श्लोक

शिवपूजन, मंत्र, जप, उपासना आरंभ करने से पूर्व ऊपर लिखी विधि के अनुसार रुद्राक्ष माला को धारण करने एवं एक अन्य रुद्राक्ष की माला का पूजन करके जप करना चाहिए। जपादि कार्यों में छोटे और धारण करने में बड़े रुद्राक्षों का ही उपयोग करे। तनाव से मुक्ति हेतु 100 दानों की, अच्छी सेहत एवं आरोग्य के लिए 140 दानों की, अर्थ प्राप्ति के लिए 62 दानों की तथा सभी कामनाओं की पूर्ति हेतु 108 दानों की माला धारण करे। जप आदि कार्यों में 108 दानों की माला ही उपयोगी मानी गई है।

अभीष्ट की प्राप्ति के लिए 50 दानों की माला धारण करे। द्गिाव पुराण के अनुसार 26 दानों की माला मस्तक पर, 50 दानों की माला हृदय पर, 16 दानों की माला भुजा पर तथा 12 दानों की माला मणिबंध पर धारण करनी चाहिए। जिस रुद्राक्ष माला से जप करते हो, उसे धारण नहीं करे। इसी प्रकार जो माला धारण करें, उससे जप न करे। दूसरों के द्वारा उपयोग मे लाए गए रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला को प्रयोग में न लाएं।

Scroll to Top