वास्तु दोष निवारण के उपाय (Vastu Dosh Nivaran in Hindi)
हर व्यक्ति की कामना होती है कि उसका एक सुंदर एवं वास्तु के अनुरूप घर हो जिसमें वह और उसका परिवार प्रेम, सुख शांति से जीवन जी सकें । लेकिन यदि उस भवन में कुछ वास्तु दोष (Vastu Dosh) हो तो भवन के निवासियों को को परिवारिक, आर्थिक और सामाजिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। भवन के निर्माण के बाद उसे फिर से तोड़कर वास्तु दोषों को दूर करना बहुत ही कठिन होता है। इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने बिना किसी तोड़-फोड़ के इन दोषों को दूर करने के कुछ आसान से उपाय बताए हैं जिन्हें करके हम निश्चय ही अपने जीवन को और भी अधिक ऊँचाइयों पर ले जा सकते है ।
ईशान दिशा के वास्तु दोष निवारण के उपाय (Vastu Tips In Hindi)
यदि भवन के ईशान क्षेत्र कटा हो या उसमे कोई वास्तु दोष हो तो उस कटे हुए भाग पर एक बड़ा शीशा लगाएं। इससे भवन का ईशान क्षेत्र बड़ा हुआ सा प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्त किसी साधु महात्मा अथवा गुरु बृहस्पति या फिर ब्रह्मा जी का कोई चित्र अथवा मूर्ति को ईशान में रखें। बृहस्पति ईशान के स्वामी और देवताओं के गुरु हैं। ईशान के वास्तु दोषो के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए साधु महात्माओं को बृहस्पतिवार को बेसन की बर्फी या लड्डुओं का प्रसाद बांटना चाहिए।
ईशानोन्मुख भवन की उत्तरी दिशा में ऊंची इमारत या भवन हो तो इस ऊंची इमारत और भवन के बीच एक मार्ग / पतली गैलरी बना देना चाहिए अर्थात् कुछ खाली जगह छोड़ दें। इससे ऊंची इमारत के कारण उत्पन्न दोष का स्वतः निवारण हो जाएगा।
अगर ईशान कोण में रसोई घर हो तो उस रसोई घर के अंदर गैस चूल्हे को आग्नेय कोण में रख दें और रसोई के ईशान कोण में साफ बर्तन में जल भरकर रखें ।
अगर ईशान कोण में शौचालय हो तो उस शौचालय का प्रयोग यथासंभव बंद कर दें अथवा शौचालय की बाहरी दीवार पर एक बड़ा आदमकद शीशा या शिकार करता हुआ शेर का चित्र लगाएं। ईशान में शौचालय होने में उपरोक्त में कोई भी उपाय अवश्य ही करें क्योंकि ईशान कोण में शौचालय होना अत्यंत अशुभ होता है।
ईशान क्षेत्र में पेयजल का कोई स्रोत/नल जरूर होना चाहिए है। ईशान में एक चीनी मिट्टी के एक पात्र में जल में गुलदस्ता या एक जल के पात्र में फूलों की पंखुड़ियां रखें और इस जल और फूलों को नित्य बदलते रहें।
ईशान दिशा के भवन में शुभ फलों की प्राप्ति हेतु विधिपूर्वक बृहस्पति यंत्र की स्थापना करें।
पूर्व दिशा के वास्तु दोष निवारण के उपाय (Vastu Shastra Gyan Hindi)
यदि भवन का पूर्व क्षेत्र कटा हो या उसमे कोई वास्तु दोष हो तो उस कटे हुए भाग पर एक बड़ा शीशा लगाएं। इससे भवन का पूर्व क्षेत्र बड़ा हुआ सा प्रतीत होता है। पूर्व की दिशा में वास्तु दोष होने पर उस दिशा में भगवान सूर्य देव की सात घोड़ों के रथ पर सवार वाली एक तस्वीर मूर्ति स्थापित करें ।
नित्य सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को ताम्बें के बर्तन में जल में गुड़ और लाल चन्दन को डाल कर गायत्री मंत्र का सात बार जप करते हुए अर्ध्य दें। पुरूष अपने पिता और स्त्री अपने पति की सेवा करें।
भवन के पूर्वी भाग के ऊँचा होने से धन और स्वास्थ्य की हानि होती है अत: भवन के पूर्वी भाग को सदैव नीचा, साफ-सुथरा और खाली रखें इससे घर के लोग स्वस्थ रहेंगें, धन और वंश की वृद्धि होगी तथा समाज में मान-प्रतिष्ठा भी प्राप्त होगी ।
पूर्व दिशा में लाल, सुनहरे और पीले रंग का प्रयोग करें। पूर्वी बगीचे में लाल गुलाब रोपें। पूर्व दिशा को बल देने के लिए बंदरों को गुड़ और भुने हुए चने खिलाएं।
पूर्व दिशा के भवन में मुखिया को हर रविवार को आदित्य ह्र्दय का पाठ करन चाहिए। पूर्व दिशा के भवन में पूर्व में तुलसी का पौधा अवश्य ही लगाएं
भवन में सूर्य की प्रथम किरणों के प्रवेश हेतु खिड़की अवश्य ही होनी चाहिए। अथवा पूर्व दिशा में एक दीपक / सुनहरी या पीली रोशनी देने वाला बल्ब जलाएं।
पूर्व दिशा के भवन में में सूर्य यंत्र की स्थापना अवश्य ही करें। पूर्व मुखी भवन में मुख्य द्वार के बाहर ऊपर की ओर सूर्य का चित्र या प्रतिमा अवश्य ही लगानी चाहिए इससे सदैव शुभता की प्राप्ति होती है ।
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आग्नेय दिशा के वास्तु दोष निवारण के उपाय ( Vastu dosh nivaran ke upay in Hindi )
यदि भवन का आग्नेय कोण कटा हो या बढ़ा हो तो इसे काटकर वर्गाकार या आयताकार बनाएं। आग्नेय दिशा में लाल रंग का एक बल्ब कम से कम तीन घंटे तक अवश्य ही जलाए रखें।
आग्नेय दिशा में द्वार होने पर उस पर लाल रंग का पेंट करा दें अथवा लाल रंग का पर्दा लगा दें ।
आग्नेय दिशा में गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति रखने , अग्नि देव की एक तस्वीर, मूर्ति अग्नेय दिशा के वास्तु दोष दूर होते है। आग्नेय कोण में मनीप्लांट का पौधा लगाएं। इस दिशा में ऊंचे पेड़ बिलकुल भी न लगाएं।
अग्नेय कोण के भवन में लाभ हेतु प्रतिदिन रसोई में बनने वाली पहली रोटी गाय को खिलाएं एवं हर शुक्रवार को गाय को मीठे चावल या पेड़े भी खिलाएं। यदि आग्नेय दिशा में दोष है तो गाय-बछड़े की सफेद संगमरमर से बनी मूर्ति या तस्वीर को भवन में इतनी ऊंचाई पर लगाएं कि वह आसानी से लोगो को दिखाई पड़े ।आग्नेय दिशा का स्वामी शुक्र ग्रह दाम्पत्य संबंधों का कारक है। अतः इस दिशा के दोषों को दूर करने के लिए जीवनसाथी के प्रति आदर और प्रेम रखें।
घर की स्त्रियों को हमेशा खुश रखें। आग्नेय दिशा के भवन में शुक्र यंत्र की स्थापना अवश्य ही करें।
दक्षिण दिशा के वास्तु दोष निवारण के उपाय ( Vastu Tips in Hndi for Home )
यदि भवन की दक्षिण दिशा कटी हो या बढ़ी हो तो इसे काटकर वर्गाकार या आयताकार बनाएं। दक्षिण दिशा में खाली स्थान ना छोड़े यदि खाली स्थान रखना आवश्यक हो तो इस दिशा में कंक्रीट के बड़े और भारी गमलों में बड़े पौधे लगाएं। इस दिशा से शुभता प्राप्ति हेतु घर के बाहरी हिस्से में लाल रंग का उपयोग करें ।
दक्षिण दिशा में भवन होने पर भैरव तथा हनुमान जी की अवश्य ही आराधना करें।
इस दिशा में दोष होने पर घर का भारी से भारी सामान दक्षिण दिशा में रखे।
भवन की दक्षिणी दीवार पर हनुमान जी का लाल रंग का बड़ा चित्र अवश्य ही लगाएं। दक्षिण दिशा में दोष होने पर दक्षिण दिशा में मंगल यंत्र की स्थापना अवश्य ही करें।
नेत्रत्य दिशा के वास्तु दोष निवारण के उपाय ( घर के वास्तु दोष निवारण हेतु अचूक उपाय )
यदि भवन की नेत्रत्य दिशा कटी हो या बढ़ी हो तो इसे भी काटकर वर्गाकार या आयताकार बनाएं। नेत्रत्य दिशा को हमेशा ऊँचा और भारी रखे, इस दिशा के ऊँचे होने बहुत ही लाभ प्राप्त होता है । नैर्ऋत्य दिशा भारी सामान अथवा मूर्तियां अवश्य ही रखें ।
इस दिशा में अधिक खुला स्थान होने पर यहां पर ऊंचे पेड़ लगाएं। इसके अतिरिक्त घर के भीतर भी नेत्रत्य दिशा में कंक्रीट के गमलों में भारी और बड़े पेड़ पौधे लगाएं। नेत्रत्य दिशा के दोष निवारण के लिए राहु के मंत्रों का जप करें ।
पितरों का श्राद्धकर्म विधिपूर्वक संपादन कर अपने पितरों को अवश्य ही संतुष्ट करें। इस क्षेत्र की दक्षिणी दीवार पर मृत सदस्यों की एक तस्वीर लगाएं जिस पर पुष्पदम टंगी हों।
वर्ष में कम से क़म एक बार पूरे कुटुंब के साथ भगवान भोलनाथ का का रुद्राभिषेक / दुग्धाभिषेक अवश्य ही करे तथा महादेव को कांस्य, रजत या स्वर्ण निर्मित नाग – नागिन का जोड़ा अर्पित कर प्रार्थना करते हुए उसे नैर्ऋत्य दिशा में दबा दें।
नैर्ऋत्य दिशा के भवन में राहु यंत्र की स्थापना अवश्य ही करें। राहु के मंत्रो का जाप इस दिशा में बैठ कर पूर्व की और मुँह करके करे।
पश्चिम दिशा के वास्तु दोष निवारण के उपाय ( Vastu dosh nivaran tips hindi )
यदि भवन की पश्चिम दिशा कटी हो या बढ़ी हो तो इसे भी काटकर वर्गाकार या आयताकार बनाकर उसके वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है।
पश्चिम दिशा में खाली स्थान पूर्व दिशा से कम ही रखें ।
पश्चिम दिशा का भवन होने पर सूर्यास्त के समय प्रार्थना के अलावा कोई भी शुभ कार्य न करें।
भवन के स्वामी को हर शनिवार शनि देव के दर्शन और काले उडद और सरसो के तेल का दान करना चाहिये साथ ही नित्य शनि देव की एक माला भी अवश्य ही जपनी चाहिए ।
भवन के मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल लगायें जिसका मुख नीचें की तरफ हो ।
भवन के पश्चिम दिशा में शनि यंत्र की विधिपूर्वक स्थापना अवश्य ही करें।
वायव्य दिशा के वास्तु दोष निवारण के उपाय ( Vastu Shastra in Hindi )
यदि वायव्य दिशा का भाग बढ़ा हुआ हो, तो उसे भी वर्गाकार या आयताकार बनाएं ।
वायव्य दिशा में हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति लगाएं। इसके अतिरिक्त पूर्णिमा के चाँद की तस्वीर लगाने से भी वायव्य दिशा के दोषों का निवारण हो जाता है । पूर्णिमा की रात खाने की चीजों पर पहले चांद की किरणों को पड़ने दें और फिर उनका सवेन करें।
वायव्य दिशा में बने कमरे में ताजे फूलों का गुलदस्ता रखें। वायव्य दिशा में छोटा फव्वारा या एक्वेरियम स्थापित करना भी शुभ रहता है ।
नित्य प्रात: गंगाजल में कच्चा दूध मिलाकर शिवलिंग परचढ़ाकर शिव मन्त्र का पाठ करें।
भवन के मुखिया को भगवान शिव एवं चन्द्र देव के मंत्रो का जाप अवश्य ही करना चाहिए ।
वायव्य दिशा के दोषो के निवारण के लिए इस दिशा में प्राण-प्रतिष्ठित मारुति यंत्र एवं चंद्र यंत्र की स्थापना अवश्य ही करें।
उत्तर दिशा के वास्तु दोष निवारण के उपाय ( आसान वास्तु उपाय )
यदि भवन का उत्तर दिशा का भाग कटा हो तो उत्तरी दीवार पर एक बड़ा आदमकद शीशा लगाने से उस दिशा के वास्तु दोषों का निवारण हो जाता है।
इस दिशा में लक्ष्मी देवी का चित्र जिसमें माँ कमलासन पर विराजमान हों और स्वर्ण मुद्राएं गिरा रही हों लगाना बहुत ही शुभ रहता है ।
उत्तर दिशा की दीवार पर तोतों का चित्र लगाएं।
इससे भवन में पढ़ाई कर रहे बच्चो को बहुत सहायता मिलती है
उत्तर दिशा की दिवार पर हलके हरे रंग का पेंट लगवाना शुभ रहता है।
उत्तर दिशा में बुध यंत्र, कुबेर यंत्र अथवा लक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें।