स्वतंत्रता दिवस : जाने असली स्वतंत्रता – Independence Day : What is True Freedom

स्वतंत्रता दिवस : जाने असली स्वतंत्रता – Independence Day : What is True Freedom

स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन हम राजनीति रूप से स्वतन्त्र हुए थे। लेकिन साथ ही कुछ नई सीमाएं भी रच दी गयीं थी। आइये जानते हैं कि सच्ची स्वतंत्रता सीमाओं को तोड़ने में है। सही मायनों में स्वतंत्रता तभी मिलेगी जब विश्व की भौगौलिक सीमायें, और साथ ही हमारे अंदर क्रोध और भेदभाव इत्यादि की सीमाएं पूरी तरह ध्वस्त हो जाएंगी।

भारत का स्वतंत्रता दिवस ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि इस दिन हम राजनीतिक तौर पर आजाद हुए और हमने लोगों के दिल और दिमाग में राष्ट्रीयता का विचार पैदा करना शुरु किया। अगर ऐसा न होता तो लोग अपनी जाति, समुदाय व धर्म आदि के आधार पर ही सोचते रह जाते। हालांकि भारतीय होने का यह गौरव केवल एक भौगोलिक सीमा के ऊपर खड़ा था।

भारत का असली व पूरा गौरव, इसकी सीमाओं में नहीं बल्कि इसकी संस्कृति, आध्यात्मिक मूल्यों तथा सार्वभौमिकता में समाया है। भारत दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी है। तीन ओर से सागर तथा एक ओर से हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा भारत, स्थिर जीवन का केन्द्र बन कर सामने आया है। यहां के निवासी एक हजारों सालों से बिना किसी बड़े संघर्ष के रहते आ रहे हैं, जबकि बाकी संसार में ऐसा नहीं रहा।

जब आप संघर्ष की सी स्थिति में जीते हैं तो आपके लिए प्राणों की रक्षा ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य बना रहता है। जब लोग स्थिर समाज में जीते हैं, तो जीवन-रक्षा से परे जाने की इच्छा पैदा होती है। इस तरह भारत ही ऐसा स्थान है, जहां लंबे अरसे से, स्थिर समाजों का उदय हुआ और नतीजन आध्यात्मिक प्रक्रियाएं विकसित हुईं।

भारत ही ऐसा स्थान है, जहां लंबे अरसे से, स्थिर समाजों का उदय हुआ और नतीजन आध्यात्मिक प्रक्रियाएं विकसित हुईं। आज आप अमेरिका में लोगों के बीच आध्यात्मिकता को जानने की तड़प को देख रहे हैं, उसका कारण यह है कि उनकी आर्थिक दशा पिछली तीन-चार पीढ़ियों से काफी स्थिर रही है। उसके बाद उनके भीतर कुछ और अधिक जानने की इच्छा बलवती हो रही है। भारत में आज से कुछ हज़ार साल पहले ऐसा ही घट चुका है। और यह अविश्वसनीय जान पड़ता है कि हमने कितने रूपों में आध्यात्मिकता को अपनाया है।

इंसान बुनियादी रूप से क्या है, इस मुद्दे पर इस धरती के किसी भी दूसरी संस्कृति ने उतनी गहराई से विचार नहीं किया जैसा हमारे देश में किया गया। यही इस देश का मुख्य आकर्षण है कि हमे पता है कि मानव-तंत्र कैसे काम करता है, हम जानते हैं कि इसके साथ हम क्या कर सकते हैं या इसे इसकी चरम संभावना तक कैसे ले जा सकते हैं। हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि महान मनुष्यों के निर्माण से ही तो महान देश और महान विश्व की रचना हो सकती है।

सच्ची स्वतंत्रता – True Freedom

सच्ची स्वतंत्रता तभी मिल सकेगी जब हम किसी देश से अपनी पहचान जोड़ने की जरुरत से भी स्वतंत्र हो जाएंगे। अगर कुछ सौ सालों में, हम एक ऐसा दिन मना सकें कि संसार सारी सीमाओं और भेदों से स्वतंत्र हो जाए, तो वह सही मायनों में एक भव्य स्वतंत्रता होगी।

परंतु अब, लोगों को भौगोलिक सीमाओं में ही गौरव का अनुभव होने लगा है। अंग्रेज़ों के आने से पूर्व, यह सारी धरती अनेक राज्यों में बंटी थी। फिर हमने इसे एक देश बनाया, लेकिन कुछ दुर्भाग्यपूर्ण कारणों से यह तीन टुकड़ों में विभाजित हो गया है। संसार में कुछ ताकतें हमेशा विभाजन के लिए काम करती रहती हैं क्योंकि इसी में उनका लाभ छिपा होता है।

परंतु यदि मानवता परिपक्व हो जाएगी तो सीमाओं के बावजूद उनका इतना अधिक प्रभाव नहीं होगा। इस समय उनका बहुत गहरा असर दिखाई दे रहा है। उदाहरण के लिए भारत और पाकिस्तान सही मायनों में दो अलग देश नहीं हैं – संस्कृति, जातीयता और बोली के हिसाब से, वे आपस में बहुत हद तक जुड़े हुए हैं। परंतु एक सीमा रेखा का असर तो देखिए। हम पाकिस्तान से परे नहीं सोच सकते। वे भारत से परे नहीं सोच सकते।

मैंने ऐसे बहुत से लोग देखे हैं जो लंबे अरसे से वहीं रहे, परंतु सीमा पार करते ही वे धरती को चूमते हैं। आप यही चुंबन उस धरती को भी दे सकते थे। वैसे आप चाहे जहां भी धरती को चूमें, आपके मुँह में माटी ही तो जाएगी। लेकिन केवल इतना ही तय भर कर लेने से कि ‘यह मेरा देश है’ – एक तरफ की माटी मीठी और दूसरे तरफ की माटी कड़वी हो जाती है।

सच्ची स्वतंत्रता तभी मिल सकेगी जब हम किसी देश से अपनी पहचान जोड़ने की जरुरत से भी स्वतंत्र हो जाएंगे। अगर कुछ सौ सालों में, हम एक ऐसा दिन मना सकें कि संसार सारी सीमाओं और भेदों से स्वतंत्र हो जाए, तो वह सही मायनों में एक भव्य स्वतंत्रता होगी। अन्यथा, अगर कोई एक देश स्वतंत्र होता है और दूसरा देश गुलाम, तो यह सच्ची स्वतंत्रता नहीं है। जब आप किसी को नीचे दबाते हैं तो आप उसके साथ-साथ अपनी स्वतंत्रता भी गंवा देते हैं।

जैसे कोई पुलिस वाला हथकड़ी के एक हिस्से को अपने हाथ में और दूसरे हिस्से को मुजरिम के हाथों मे पहना दे। दोनों ही तो बंधन में बंधे हैं, बस अंतर इतना है कि पुलिसवाले के हाथ में हथकड़ी की चाबी है। परंतु जीवन के साथ ऐसा नहीं है। चाबी तो बहुत पहले कहीं खो गई है। अगर आप किसी को बांधते हैं, तो आप स्वयं भी बंधते हैं और इसे खोलने के लिए कोई चाबी नहीं है।

स्वतंत्रता दिवस की असली चाबी सीमाओं को तोड़ने में है, ये सीमाएं केवल राजनीतिक ही नहीं हैं, हमें उन बाधाओं को भी तोड़ना है, जो हमने अपने भीतर बना रखी हैं। जब तक हम अपने गुस्से, भेदभाव, जलन या ऐसी दूसरी सीमाओं से मुक्त नहीं होते, तब तक हमारे लिए स्वतंत्रता कोई मायने नहीं रखती। इस देश की सांस्कृतिक विरासत में, इन बंधनों को तोड़ने की आंतरिक विधियां और तकनीकें हमेशा से मौजूद रही हैं। अब समय आ गया है कि स्वतंत्रता के इन साधनों को संसार के सामने पेश किया जाए।

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