पशुपतिनाथ मंदिर, नेपाल – Pashupatinath Temple, Nepal
नेपाल अध्यात्म की भूमि है और एक समय में यह जगह पूरी तरह से जिंदगी के आध्यात्मिक पहलुओं (Spiritual Facts) से जुड़ी हुई थी। दुर्भाग्य से इस देश को राजनैतिक और आर्थिकस्तर पर बेहद उठा-पटक और पतन का दौर देखना पड़ा। इसी वजह से वे अपने यहां हुए इस उम्दा काम को जो कई सौ सालों में हुआ था, सही तरह से सहेज कर नहीं रख पाए। जो हम आज देख रहे हैं, वे दरअसल बचे हुए अवशेष हैं। लेकिन जो कुछ भी बचा है, वह भी असाधारण है।
अगर आप कभी नेपाल घुमने जाते हैं तो आपको वहां जाकर इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं होगा कि आप एक अलग देश में हैं। कुछ भारत जैसी संस्कृति और संस्कारों को देखकर आप आश्चर्यचकित जरुर हो जायेंगे। आप अगर शिव भगवान के भक्त हैं तो आपको एक बार नेपाल स्थित भगवान शिव का पशुपतिनाथ मंदिर जरूर जाना चाहिए।
पशुपतिनाथ मंदिर – Pashupatinath Temple
पशुपति नाथ मंदिर (Pashupatinath Mandir) नेपाल का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर (Hindu Temple) है जो भगवान् पशुपतिनाथ को समर्पित है. पशुपतिनाथ भगवान शिव (lord Shiv) का अवतार है, जो यहाँ के इष्ट देव है और ये मंदिर नेपाल का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है. ये मंदिर नेपाल की राजधानी और पूर्वी शहर काठमांडू की काठमांडू घाटी के उत्तर पूर्व से 5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित बागमती नदी के किनारे स्थित है. इस मंदिर को हिन्दुओ के सबसे पवित्र कहे जाने वाले मंदिरो में से एक माना जाता है. इसका असाधारण महत्त्व भारत के अमरनाथ व केदारनाथ से किसी भी प्रकार कम नहीं है।
यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर (Most Holy Temple) माना जाता है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के आठ सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। नेपाल में यह भगवान शिव का सबसे पवित्र मंदिर है। इस अंतर्राष्ट्रीय तीर्थ के दर्शन के लिए भारत के ही नहीं, अपितु विदेशों के भी असंख्य यात्री और पर्यटक काठमांडू पहुंचते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास – Pashupatinath Temple History
माना जाता है कि यह लिंग, वेद लिखे जाने से पहले ही स्थापित हो गया था। पशुपति काठमांडू घाटी के प्राचीन शासकों के अधिष्ठाता देवता रहे हैं। पाशुपत संप्रदाय के इस मंदिर के निर्माण का कोई प्रमाणित इतिहास तो नहीं है किन्तु कुछ जगह पर यह उल्लेख मिलता है कि मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था।
605 ईस्वी में अमशुवर्मन ने भगवान के चरण छूकर अपने को अनुग्रहीत माना था। बाद में इस मंदिर का पुन: निर्माण लगभग 11वीं सदी में किया गया था। दीमक की वजह से मंदिर को बहुत नुकसान हुआ, जिसकी कारण लगभग 17वीं सदी में इसका पुनर्निर्माण किया गया। बाद में मध्य युग तक मंदिर की कई नकलों का निर्माण कर लिया गया। ऐसे मंदिरों में भक्तपुर (1480), ललितपुर (1566) और बनारस (19वीं शताब्दी के प्रारंभ में) शामिल हैं। मूल मंदिर कई बार नष्ट हुआ है। इसे वर्तमान स्वरूप नरेश भूपलेंद्र मल्ला ने 1697 में प्रदान किया।
अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप में पशुपतिनाथ मंदिर के विश्व विरासत स्थल की कुछ बाहरी इमारतें पूरी तरह नष्ट हो गयी थी जबकि पशुपतिनाथ का मुख्य मंदिर और मंदिर की गर्भगृह को किसी भी प्रकार की हानि नहीं हुई थी।
पशुपतिनाथ के मुख्य मंदिर की संरचना :- Architecture of Pashupatinath Temple
मुख्य मंदिर का निर्माण नेपाल की वास्तुकला (Vastu Shastra) के पगोडा शैली में किया गया है. इस मंदिर में पगोडा शैली की सभी विशेषताएं पायी जाती है जिनमे घनत्व निर्माण, खूबसूरती से बनी हुई लकड़ी की छते जिन पर वें विश्राम करते है (Tundal) सम्मिलित है. मंदिर की द्वी स्तरीय छत का निर्माण तांबे से किया गया है जिनपर सोने की परत चढाई गई है. नेपाल का ये प्रसिद्ध मंदिर वर्गाकार के एक चबूतरे पर बना है जिसकी आधार से शिखर तक की ऊँचाई 23m 7cm है.
इस मंदिर में चार मुख्य द्वार है जिन्हें चांदी की परतो से ढका गया है. पशुपतिनाथ मंदिर का शिखर सोने का है जिसे gajur भी कहा जाता है. परिसर के भीतर दो गर्भगृह है एक भीतर और दुसरी बाहर. भीतरी गर्भगृह वें स्थान है जहा महादेव की प्रतिमा को स्थापित किया गया है जबकि बाहरी गर्भगृह एक खुला गलियारा है
ऐसे तो ये मंदिर प्रत्येक दिन प्रातः 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक खुला रहता है. केवल दोपहर के समय और साय 5 PM बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है. मंदिर में जाने का सबसे उत्तम समय सुबह सुबह जल्दी और देर शाम का होता है. पुरे मंदिर परिसर का भ्रमण करने के लिए 90 से 120 मिनट का समय लगता है.
मंदिर से जुडी पौराणिक कथाएं – Pashupatinath Temple Story
एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव यहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले बैठे थे। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। कहा जाता हैं इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया था। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में यहां प्रकट हुए थे।
दूसरी कथा एक चरवाहे से जुड़ी है – कहते हैं कि इस शिवलिंग को एक चरवाहे द्वारा खोजा गया था जिसकी गाय का अपने दूध से अभिषेक कर शिवलिंग के स्थान का पता लगाया था।
तीसरी कथा भारत के उत्तराखंड राज्य से जुडी है – इस कथा के अनुसार इस मंदिर का संबंध केदारनाथ मंदिर से है। कहा जाता है जब पांडवों को स्वर्गप्रयाण के समय शिवजी ने भैंसे के स्वरूप में दर्शन दिए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन पूर्णतः समाने से पूर्व भीम ने उनकी पुंछ पकड़ ली थी। जिस स्थान पर भीम ने इस कार्य को किया था उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। एवं जिस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया उसे पशुपतिनाथ कहा जाता है। पुराणों में पंचकेदार की कथा नाम से इस कथा का विस्तार से उल्लेख मिलता है।
पशुपतिनाथ मंदिर कहाँ है – Pashupatinath Temple Location
यह मंदिर काठमांडू घाटी के पशुपतिनाथ रोड में स्थित है। यह काठमांडू के पूर्व में लगभग 5 किमी, बागमती नदी के तट के करीब है।
पशुपतिनाथ मंदिर और हवाई अड्डे के बीच की दूरी – 5 किमी
पशुपतिनाथ मंदिर और काठमांडू सिटी सेंटर के बीच की दूरी – 3 किमी
पशुपतिनाथ मंदिर और थामेल के बीच की दूरी – 4.3 किमी
पशुपतिनाथ मंदिर और भक्तापुर के बीच की दूरी – 13.2 किमी
पशुपतिनाथ मंदिर और पाटन के बीच की दूरी – 9.2 किमी
पशुपतिनाथ मंदिर और काठमांडू बस स्टॉप के बीच की दूरी – 24 किमी
पशुपतिनाथ मंदिर कैसे पहुँचें – How To Reach Pashupatinath Temple
काठमांडू (रत्ना पार्क या सिटी बस स्टेशन से) से पाटन, के लिए नियमित बस सेवाएं हैं। पशुपतिनाथ के लिए पड़ाव गोशाला पहुंचने में लगभग 45 मिनट लगते हैं। काठमांडू में रत्ना पार्क कार्यालय के पास से बैटरी टेम्पो रवाना होता है और पशुपतिनाथ के पश्चिम में रिंग रोड पर तीर्थयात्रियों को रोकता है। इसके बाद, चबाहिल या बोधनाथ जाने वाले एक टेम्पो को किराए पर लिया जा सकता है।
पशुपतिनाथ शिवलिंग – Pashupatinath Shivling
पशुपतिनाथ लिंग विग्रह में चार दिशाओं में चार मुख और ऊपरी भाग में पांचवां मुख है। प्रत्येक मुखाकृति के दाएं हाथ में रुद्राक्ष (Rudraksh) की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। प्रत्येक मुख अलग-अलग गुण प्रकट करता है। पहला मुख ‘अघोर‘ मुख है, जो दक्षिण की ओर है। पूर्व मुख को ‘तत्पुरुष‘ कहते हैं।
उत्तर मुख ‘अर्धनारीश्वर‘ रूप है। पश्चिमी मुख को ‘सद्योजात‘ कहा जाता है। ऊपरी भाग ‘ईशान’ मुख के नाम से पुकारा जाता है। यह निराकार मुख है। यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख माना जाता है।
पश्चिमी द्वार की ठीक सामने शिव जी के बैल नंदी की विशाल प्रतिमा है जिसका निर्माण पीतल से किया गया है. इस परिसर में वैष्णव और शैव परंपरा के कई मंदिर और प्रतिमाएं है.
पशुपतिनाथ के भीतरी आँगन में मौजूद मंदिर और प्रतिमाएं –
• वासुकि नाथ मंदिर
• उन्मत्ता भैरव मंदिर
• सूर्य नारायण मंदिर
• कीर्ति मुख भैरव मंदिर
• बूदानिल कंठ मंदिर
• हनुमान मूर्ति
• 184 शिवलिंग मूर्तियां
पशुपतिनाथ के बाहरी परिसर में मौजूद मंदिर और मूर्तियां –
• राम मंदिर
• विराट स्वरुप मंदिर
• 12 ज्योतिर्लिंग और पंद्र शिवालय
• गुह्येश्वरी मंदिर
पशुपतिनाथ मंदिर प्रवेश शुल्क – Pashupatinath Temple Entry Fee
नेपाली रुपया 1000 प्रति व्यक्ति (10 डॉलर) विदेशियों के लिए। भारतीय और नेपाल में प्रवेश करने के लिए स्वतंत्र हैं।
नोट : यदि आप एक हिंदू हैं, तो अपने साथ कोई भी प्रमाण (आईडी कार्ड) लेजाना बेहतर है। यह आपको आंतरिक मंदिर प्रांगण तक पहुंचने की अनुमति दिलाने में मदद करेगा।
पशुपतिनाथ मंदिर का समय – Pashupatinath Temple Timings
ये मंदिर प्रत्येक दिन प्रातः 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक खुला रहता है। केवल दोपहर के समय से साय पांच बजे तक मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है। मंदिर में जाने का सबसे उत्तम समय सुबह जल्दी और देर शाम का होता है। पुरे मंदिर परिसर का भ्रमण करने के लिए 90 से 120 मिनट का समय लगता है।
पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन का समय – Pashupatinath Temple Darshan Timings
- मॉर्निंग टेम्पल ओपनिंग टाइमिंग – सुबह 4:00 बजे
- मॉर्निंग टेम्पल क्लोजिंग टाइमिंग – दोपहर 12:00 बजे
- शाम का मंदिर खुलने का समय – शाम 5:00 बजे
- शाम मंदिर बंद करने का समय – सुबह 9:00 बजे
नोट : दर्शन के समय अवसरों और त्योहारों पर बदल सकते हैं।
पशुपतिनाथ आरती – Pashupatinath Aarti
- सुबह अभिषेक का समय – सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे तक।
- हर शाम 7 बजे होने वाली आरती की रस्म लगभग 60 मिनट तक चलती है और आपको हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और परंपराओं के बहुत ही सुन्दर दर्शन कराती है।
नोट : भक्तों के अनुरोध पर विशेष पूजा शाम को की जाती है।
काठमांडू में पर्यटन स्थल – Tourist Places In Kathmandu
- Pashupatinath Temple
- Kopan Monastery
- Chandragiri Hills
- Garden of Dreams
- Shivapuri Nagarjun National Park
- Namo Buddha (Stupa)
- Boudhanath Stupa
- Thamel City
- Swayambhunath Temple
- Kathmandu Valley
- Kathmandu Durbar Square
- Changu Narayan
- Bhaktapur Durbar Sqaure
- Hanuman Dhoka
- Nyatapola
पशुपतिनाथ मंदिर का महत्व – Importance of Pashupatinath Temple
यह मंदिर एक प्राचीन हिंदू दर्शन को दर्शाता है, जो यह तय करता है कि मृत्यु का भय नहीं करना चाहिए है और सेक्स घृणा करने के लिए नहीं है। इस मान्यता को दर्शाते हुए, मंदिर के छत पर यौन चित्र है और श्मशान भूमि भी मंदिर के बहुत करीब है। पशुपतिनाथ मंदिर परिसर का मुख्य मंदिर है। हालांकि, आप परिसर के अंदर सैकड़ों छोटे मंदिरों को पा सकते हैं। आप गुह्येश्वरी मंदिर, वटसला मंदिर, राम मंदिर, सती का गेट आदि देख सकते हैं।
देवता को क्षीरभिषेकम / (दूध डालना) करने पर, भक्तों को 54 रुद्राक्षों के साथ पंचमुखी रुद्राक्ष माला दी जाती है और भक्तों द्वारा यह माना जाता है कि भारत के केदारनाथ मंदिर से प्राप्त हुई माला के अन्य 54 रुद्राक्ष मिल कर इस माला को पूर्ण करते है। एक माला में 108 रुद्राक्ष बनाना बहुत ही शुभ और भाग्यशाली माना जाता है जो वास्तव में दोनों मंदिरों के बीच बहुत अनोखा और अद्भुद कनेक्शन है।
काठमांडू जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Kathmandu
सर्दियों में नेपाल जाने का सबसे अच्छा समय है, काठमांडू में पर्यटन सीजन होता है जो सितंबर से शुरू होता है और नवंबर तक रहता है।