हाथी दांत की माला गणेशजी की साधना के लिए श्रेष्ठ मानी गई है।
लाल चंदन की माला गणेशजी व देवी साधना के लिए उत्तम है।
तुलसी की माला से वैष्णव मत की साधना होती है (विष्णु, राम व कृष्ण)।
मूंगे की माला से लक्ष्मी जी की आराधना होती है। पुष्टि कर्म के लिए भी मूंगे की माला श्रेष्ठ होती है।
मोती की माला वशीकरण के लिए श्रेष्ठ मानी गई है।
पुत्र जीवा की माला का प्रयोग संतान प्राप्ति के लिए करते हैं।
कमल गट्टे की माला की माला का प्रयोग अभिचार कर्म के लिए होता है।
कुश-मूल की माला का प्रयोग पाप-नाश व दोष-मुक्ति के लिये होता है।
हल्दी की माला से बगलामुखी की साधना होती है।
स्फटिक की माला शान्ति कर्म और ज्ञान प्राप्ति; माँ सरस्वती व भैरवी की आराधना के लिए श्रेष्ठ होती है।
चाँदी की माला राजसिक प्रयोजन तथा आपदा से मुक्ति में विशेष प्रभावकरी होती है।
जप से पूर्व निम्नलिखित मंत्र से माला की वन्दना करनी चाहिए
(साधना या देवता विशेष के लिए अलग-अलग माला-वन्दना होती है)
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणी। चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे। जपकाले च सिद्ध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धये॥
2 Comments
aap ke sabhi post gyanvardak hai
बेहतरीन पोस्ट। … Thanks for sharing this!! 🙂 🙂