अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 के अनुसार, हिन्दू शास्त्रों में उल्लेखित सभी 16 संस्कारों में से अन्नप्राशन संस्कार को 7वां सबसे अहम संस्कार माना गया है। जिस दौरान शिशु को उसके जन्म के बाद सबसे पहली बार, हिन्दू रीती-रिवाज अनुसार अन्न ग्रहण करवाया जाता है। क्योंकि अन्नप्राशन संस्कार से पहले शिशु केवल अपनी माँ का दूध ही ग्रहण करते हैं, लेकिन ये संस्कार होने के बाद बच्चे को दूध के अलावा भी, कई ठोस पदार्थ खाने के लिए दिए जाते हैं।
माना जाता है कि अन्नप्राशन संस्कार से पहले बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास केवल और केवल माँ के दूध पर ही निर्भर करता है। परंतु इस संस्कार के उपरान्त उनका सारा विकास विशेष रूप से, अन्न के ऊपर ही निर्भर हो जाता है। इसलिए ही ये संस्कार बालक को जन्म के बाद पहली बार, उसे अन्न से परिचित कराने के लिए किया जाता है।
अन्नप्राशन किसे कहते हैं ?
Annaprashan Muhurat 2021 –हिंदू धर्म में जब बच्चे का जन्म होता है। तो उसके साथ 16 संस्कार किए जाते हैं। जिसमें से सप्तम संस्कार अन्नप्राशन संस्कार होता है। इस संस्कार में बच्चा 6 से 7 माह का हो जाता है। तब उसको अन्न खिलाया जाता है। इसी को अन्नप्राशन संस्कार कहते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार कब किया जाना चाहिए?
हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार शिशु के जन्म के समय से लेकर उसके 6 या 7 माह की उम्र में बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार किया जाना शुभ माना जाता है।